कानून व्यवस्था

ACCIDENT; बारुद धमाके के बाद अपनों को तलाश रहे ग्रामीण, 50 लाख व सरकारी नौकरी की मांग

दुर्ग, छत्तीसगढ के बेमेतरा जिलेके पिरदा गांव में लगे बारूद कारखाने में हुए भीषण विस्फोट के दूसरे दिन रविवार को भी अपनो की एक झलक पाने कारखाने के सामने स्वजन दिनभर बैठे रहे। शनिवार को सुबह कारखाना में हादसा हुआ, जिसमें अभी तक नौ लोग लापता है। प्रशासन ने सात लापता लोगों की पुष्टि भी कर दी है। ग्रामीण भी अपने लोगों को न्याय दिलाने के लिए पिछले 48 घंटे से ज्यादा समय से प्रदर्शन कर रहे हैं।

नौतपा की तपिश भी ग्रामीणों के हौंसलों को नहीं हरा पाई। फैक्ट्री के मुख्य द्वार पर टेंट लगा है। यही पर ग्रामीण बैठे हुए हैं। यही पर खाने-पीने की व्यवस्था भी कर दी गई है। वही पर खाना पकाया जा रहा है। ग्रामीण 50 लाख रुपये और सरकारी नौकरी की मांग कर रहे हैं। जबतक मांग नहीं पूरी होती तबतक प्रदर्शन करने की बात भी कह रहे हैं। ग्रामीण  बारुद फैक्ट्री के संचालक पर लापरवाही बरतने का भी आरोप लगा रहे हैं। फैक्ट्री में काम करने वालों ने बताया कि सुरक्षा के किसी भी तरह के कोई इंतजाम नहीं है। यहां पर पीने के लिए पानी भी नहीं मिलता है। हम लोग अपने घरों से पानी लाते हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि फैक्ट्री प्रबंधन की तरफ से मृतकों के स्वजनों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने का आफर आया है, लेकिन ग्रामीणों ने इसे ठुकरा दिया है। ग्रामीणों की मांग है कि 50 लाख रुपये का मुआवजा मिले। उफरा गांव का रहने वाला 20 वर्षीय शंकर यादव घर का इकलौता बेटा है। शंकर के बड़े पिता राजकुमार यादव ने बताया कि शंकर के दो छोटी बहन है। घर में सिर्फ यहीं कमाने वाला था। सुबह से शाम छह बजे तक फैक्ट्री में काम करता था। यहां से जाने के बाद चाट-ठेला भी लगाता था। दो महीने पहले ही फैक्ट्री में काम शुरू किया था। घर का चिराग ही बुझ गया।

10 मिनट बाद होता तो पिता भी आ जाते चपेट में

पिरदा के विजय गंधर्व अभी तक लापता है। उनके बड़े भाई जयकुमार ने बताया कि फैक्ट्री में भाई, पिता, मौसा और उनका लड़का पुष्पराज देवदास काम करते हैं। विजय और पुष्पराज सुबह छह बजे से ड्यूटी में जाते थे, मौसा और पिता आठ बजे से जाते थे। 10 मिनट बाद विस्फोट होता तो पिता और मौसा भी नहीं बचते। भाई विजय और मौसी के लड़के पुष्पराज का अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है।

गांव के पंच थे नरहर यदु

लापता नरहर यदु अपने गांव बोरसी के पंच भी है। मनहरन यदु ने बताया कि वह पिछले लगभग 12 वर्ष से फैक्ट्री में काम कर रहे हैं। इसी गांव के भीषम साहू भी 15 वर्ष से ज्यादा समय से फैक्ट्री में काम कर रहे हैं। इनके भाई डगेंद्र साहू ने बताया कि परिवार में अब कोई कमाने वाले नहीं बचा। छोटे-छोटे बच्चें हैं, इनका भरण-पोषण की भी समस्या है।

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