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AGRICULTURE; छत्तीसगढ़ में होगी लाल केले की खेती, कृषि विश्वविद्यालय के टिश्यू कल्चर नर्सरी में तैयार किए जा रहे है पौधे

रायपुर,आपको बाजार में अभी पीला केला देखने को मिलता है। अब आने वाले दिनों लाल केला भी देखने को मिलेगा। छत्तीसगढ़ के किसान भी लाल केला की खेती कर पाएंगे। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के टिश्यू कल्चर लैब में लाल केला की फसल तैयार की जा रही है। प्रयोग के तौर पर 150 पौधे लगाए गए हैं। अगले दो महीने में पौधों पर फूल-फल आना शुरू हो जाएगा।लाल केला के कंद को लेकर नए पौधे तैयार किए जाएंगे।

लाल केला का छिलका लाल रंग का रहेगा, अंदर का फल पीला रंग का रहेगा। लाल केला में दूसरे केला की अपेक्षा विटामिन ए की मात्रा ज्यादा पाई जाती है, जिसके कारण केले का गूदा पीला रंग होता है। इसके अलावा लैब में जी-9 और उद्यम केले के पौधे बड़ी संख्या में तैयार है। दिसंबर के पहले सप्ताह से ही केला के पौधे लगाने का समय शुरू हो जाता है। सरकार की तरफ केला की खेती को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी का भी प्रावधान है।

टिश्यू कल्चर लैब के प्रभारी डा. एलएस वर्मा ने बताया कि पिछले वर्ष चेन्नई के किसानों से लाल केला के पौधे लाए थे। वहां के किसान पहले से लाल केला की खेती करते हैं। विश्वविद्यालय की नर्सरी में 150 लाल केला के पौधे लगाए गए हैं। केला लगाने का सबसे अच्छा समय दिसंबर और जून रहता है। जून में केला लगाने तक लाल केला के पौधे आम किसानों को भी मिलने लगेंगे।

11 महीने में तैयार होती है फसल

लाल केला की फसल 11 महीने में तैयार होती है। इसके पौधे की ऊंचाई लगभग 10 फीट होती है। इसमें 25 किलों तक फल लगते हैं। लाल केला का फल पूरी तरह से लाल रहेगा, अंदर गूदा में हल्का सा पीलापन रहता है। विटामिन ए की मात्रा ज्यादा होने के कारण विटामिन ए की कमी से होने वाले सभी रोगों के लिए फायदेमंद भी है।

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