AIIMS; ट्रांसजेंडर्स के स्वास्थ्य पर जागरूकता बढ़ाने की जरुरत,चिकित्सा और नर्सिंग छात्रों को ट्रांसजेंडर्स को लेकर संवेदनशील बनाने पर सहमति
रायपुर, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में ट्रांसजेंडर्स समुदाय को स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ मितवा संकल्प समिति के तत्वावधान में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। इस अवसर पर एम्स में ट्रांसजेंडर्स को विभिन्न विभागों में प्राथमिकता के आधार पर उपचार प्रदान करने और उनकी स्वास्थ्य चुनौतियों को लेकर चिकित्सा और नर्सिंग छात्रों को संवेदनशील बनाने पर सहमति व्यक्त की गई।
संस्थान की विद्या राजपूत का कहना था कि समाज में ट्रांसजेंडर्स की स्वीकारता को बढ़ाने के लिए उनसे जुड़े बिंदुओं पर चर्चा की आवश्यकता है जिससे वे भी सामान्य जीवन जी सके। ट्रांसजेंडर बॉडी में उम्र के साथ बदलाव होते हैं। जेंडर डाइस्फोरा की भावना को जेंडर अफरमेशन के माध्यम से समाप्त किया जा सकता है। शारीरिक बदलाव और हार्मोंस में बदलाव के कारण ट्रांसजेंडर्स को चिकित्सा काउंसलिंग और मेडिकल सहायता की आवश्यकता पड़ती है।
कार्यपालक निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (रिटा) ने कहा कि एम्स में ट्रांसजेंडर्स को प्राथमिकता के साथ चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। इस संबंध में समिति के सुझावों पर भी सकरात्मक निर्णय लिए जाएंगे। उन्होंने चिकित्सा और नर्सिंग छात्रों को ट्रांसजेंडर्स के संदर्भ में संवेदनशील बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली एम्स में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर ट्रांसजेंडर हैल्थकेयर संचालित हो रहा है। गंभीर ट्रांसजेंडर रोगियों को आवश्यकता पड़ने पर वहां के लिए रेफर किया जा सकता है।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने केंद्र सरकार के जेंडर अफरमेशन केयर एंड द ट्रांसजेंडर पर्सन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) एक्ट 2019 के अंतर्गत विभिन्न प्रावधानों पर चर्चा की और ट्रांसजेंडर्स को हार्मोन थैरेपी और सेक्स रि असानमेंट सर्जरी की आवश्यकता बताई। इस अवसर पर अधिष्ठाता (शैक्षणिक) प्रो. आलोक चंद्र अग्रवाल और चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रेनू राजगुरु भी उपस्थित थी।