BONUS;तेंदूपत्ता बोनस गड़बड़ी का आरोप, वन समिति ने जताई नाराजगी; चक्काजाम की चेतावनी
गडबडी

जगदलपुर, बस्तर के सुकमा जिले में तेंदूपत्ता बोनस वितरण में एक के बाद एक गड़बड़ी के मामले सामने आ रहे हैं। हाल ही में तेंदूपत्ता बोनस वितरण में गड़बड़ी मामले पर सुकमा के वन मंडल अधिकारी अशोक पटेल (आईएफएस) को निलंबित भी किया जा चुका है। ताजा मामला दोरनापाल थाना क्षेत्र अंतर्गत दुब्बाटोटा वन प्रबंधन समिति में तेंदूपत्ता बोनस वितरण में गड़बड़ी का सामने आया है। इस मामले पर वन प्रबंधन समिति और हितग्राहियों के द्वारा समिति के प्रबंधक पर 76 लाख रुपये तेंदूपत्ता बोनस वितरण मैं गड़बड़ी का आरोप लगाया है।
ग्रामीणों का यह आरोप है कि प्रबंधक के द्वारा हितग्राहियों के खाते में बोनस की राशि हस्तांतरित करने का दावा किया जा रहा है। वहीं, संबंधित बैंक के मैनेजर के द्वारा इस तरह की कोई भी राशि खाते में हस्तांतरित न होने की बात कहीं जा रही है। बुधवार को दुब्बाटोटा के खेल मैदान में वन प्रबंधन समिति और ग्रामीणों के द्वारा बैठक आयोजित की गई, जहां प्रबंधक को भी बुलाया गया। बैठक में समिति और ग्रामीणों के द्वारा प्रबंधक की कार्यशैली को लेकर गहरी नाराजगी जाहिर की गई और प्रबंधक को हटाने का निर्णय लिया गया।
गौरतलब है कि दुब्बाटोटा समिति अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2021 के तेंदूपत्ता बोनस में लगभग 70 लाख से अधिक की राशि के गबन का आरोप समिति के अध्यक्ष कवासी देवा के द्वारा प्रबंधक डीडी जांगडे पर लगाया गया। इतना ही नहीं ग्रामीणों के द्वारा प्रबंधन पर वन प्रबंधन समिति के अंतर्गत आने वाली विभिन्न योजनाओं को लेकर कार्यों में भी लापरवाही बरतने और सवाल करने पर धमकी देने का भी आरोप लगाया है। मांग पूरी न होने पर चक्काजाम और विरोध प्रदर्शन की भी बात कह रहे हैं।
यह था मामला
जानकारी के अनुसार वन प्रबंधन समिति दुब्बाटोटा अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2021 का लगभग 1710 संग्राहकों के बोनस की राशि लगभग 76 लाख रुपए वित्तीय वर्ष 2023 में जारी हुई जिसे संग्राहकों को दिया जाना था । इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2021 में 13010303 रु लगभग 535 संग्राहकों को नगद भुगतान किया जाना था, जिसको लेकर समिति का यह आरोप है कि प्रबंधक के द्वारा रायपुर के माध्यम से बोनस की राशि खाते में हस्तांतरित किए जाने की बात कही जा रही है, जिसकी जानकारी ना तो समिति को दी गई थी और न ही जनप्रतिनिधियों को।
दो साल बाद जब मामला प्रकाश में आया तो प्रबंधक के द्वारा खाते में पैसा डालने का दावा किया जा रहा है, लेकिन संबंधित बैंक के मैनेजर के द्वारा इस तरह की किसी भी राशि के संग्राहकों के खाता में आने की बात से इनकार किया गया। इसके अलावा नकद भुगतान की राशि को भी नगद की जगह खाते में हस्तांतरित किए जाने की बात को लेकर ग्रामीण असंतुष्ट नजर आए। इसके बाद समिति के द्वारा संग्राहको और प्रबंधन की मौजूदगी में बैठक आयोजित की गई, जिसमें प्रबंधक के द्वारा समिति के समक्ष एक सूची प्रस्तुत की गई। इसमें संग्राहकों का नाम खाता नंबर और बोनस की राशि देखने को मिली, लेकिन इस सूची पर भी संग्राहकों और समिति ने सवाल खड़े कर दिए।