राजनीति

CABINET;सरकारी जमीन आवंटन संबंधी भूपेश सरकार के सारे नियम निरस्त, कांग्रेस ने किया विरोध

रायपुर, सीएम बिष्णुदेव साय सरकार ने पूर्ववर्ती कांग्रेस की भूपेश सरकार में सरकारी जमीन के आवंटन को लेकर जारी सभी परिपत्रों को साय सरकार ने निरस्त कर दिया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय कल लिया गया। इसमें राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा नगरीय क्षेत्रों में अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन, शासकीय भूमि के आवंटन व वार्षिक भू-भाटक के निर्धारण और वसूली प्रक्रिया संबंधी 11 सितंबर 2019 को जारी परिपत्र, नगरीय क्षेत्रों में प्रदत्त स्थायी पट्टों का भूमिस्वामी हक प्रदान किए जाने संबंधी 26 अक्टूबर 2019 को जारी परिपत्र, नजूल के स्थायी पट्टों की भूमि को भूमिस्वामी हक में परिवर्तित किए जाने के लिए 20 मई 2020 को जारी परिपत्र और नगरीय क्षेत्रों में शासकीय भूमि के आवंटन, अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन और भूमि स्वामी हक प्रदान करने के संबंध में 24 फरवरी 2024 को जारी परिपत्र शामिल हैं।

जमीन आवंटन में शिकायत पर होगी जांच

उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा है कि जमीन आवंटन को लेकर किसी तरह की शिकायत आने पर उसकी जांच भी कराई जाएगी। आदेशों के तहत आवंटित भूमि की जानकारी राजस्व विभाग की वेबसाइट में प्रदर्शित की जाएगी और इस विषय में कोई भी आपत्ति और शिकायत प्राप्त होने पर संभागीय आयुक्त द्वारा इसकी सुनवाई की जाएगी। मंत्रिपरिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक-2024 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।

भूमि आबंटन संबंधी मंत्रिमंडल का निर्णय जनहित के खिलाफ – कांग्रेस 

साय मंत्रिमंडल द्वारा पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा जनहित में लिये गये भूमि संबंधी निर्णय को निरस्त करने के फैसले की प्रदेश कांग्रेस ने कड़ी निंदा किया है। पूर्ववर्ती सरकार ने आम जनता के हित में तथा अतिक्रमित शासकीय भूमि का सरकार को प्रतिफल वसूलने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ राज्य के नगरीय क्षेत्रों में शासकीय भूमि के आबंटन, अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन और भूमि स्वामी हक प्रदान करने के लिये पारदर्शी नियम बनाया था। इस नियम से भूमि के आबंटन की पुरानी पद्धति में बदलाव हुआ था तथा भूमि आबंटन के लिये शासकीय गाइडलाइन से 150 प्रतिशत शुल्क निर्धारित किया गया था। भूमि आबंटन की प्रक्रिया पारदर्शी थी तथा सरकार के खजाने की भी वृद्धि हुई थी। वर्षों से शासकीय भूमि में काबिज लोगों को उसके मकानों, दुकानों आदि का मालिकाना हक मिला था। इस निर्णय को निरस्त किया जाना गलत है।

सामाजिक संगठनों को दिया गया जमीनों का आबंटन भी रद्द हो जायेगा?
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि सरकार किसी भी दल की वह जब कोई निर्णय लेती है तो संविधान प्रदत्त शक्तियों के द्वारा लेती है। सरकार बदलने के बाद पूर्ववर्ती सरकार के द्वारा लिये गये फैसले को बदलना संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। जिन लोगों ने सरकार से जमीन खरीद कर भूमि पर मकान, दुकान आदि का निर्माण करवा लिया है सरकार उसका क्या करेगी? लोगों ने सरकार से जमीन लिया है पूरा प्रतिफल देकर रजिस्ट्री करवा कर जमीन का मालिकाना हक हासिल किया है, सरकार का फैसला अपने आप में ही विसंगति पूर्ण है। शुक्ला ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने प्रदेश के विभिन्न सामाजिक संगठनों को सामाजिक भवन बनाने हेतु भूमि आबंटित किया था। मंत्रिमंडल के फैसले से अब सभी समाजों के लिये सामाजिक भवन का आबंटन भी निरस्त हो जायेगा।

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