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वोटर लिस्ट और राशनकार्ड….

कालम

भारत में किसी व्यक्ति के नागरिक होने के संबंध में अधिकृत दस्तावेज नहीं है। आधार केवल पहचान पत्र है, नागरिकता का आधार नहीं, ये बात समय समय पर विभिन्न मंचों से होती रही है। निर्वाचन आयोग का भी मानना है कि मतदान के समय  मतदाता परिचय पत्र न होने की स्थिति में दीगर पहचान पत्र का उपयोग किया जा सकता है। बैंक पास बुक, ड्राइविंग लाइसेंस, सरकारी कार्यालय का पहचान पत्र,  स्वास्थ्य बीमा कार्ड, मनरेगा कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड , आदि शामिल है। राशन कार्ड  शामिल नहीं है।
बिहार विधान सभा चुनाव के पहले निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता पुनरीक्षण कार्य में  पहचान पत्र के रूप में आधार की अनिवार्यता पर प्रश्न उठे थे। न्यायालय ने मतदाता सूची में नाम प्रमाणीकरण के लिए राशन कार्ड को भी विकल्प के रूप में दिया है।
  छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य था जहां राशन कार्ड बनाने के काम को स्थानीय निकायों से लेकर शासन द्वारा किया गया था। कालांतर में इसे आधार से भी लिंक कर प्रामाणिक बनाए जाने का सफल कार्य हुआ है। देश के लगभग सभी राज्यों में  राशन कार्ड को आधार से लिंक कर दिया गया है। इस कारण अब राशनकार्ड को भी मतदान के लिए आवश्यक दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जा सकता है।

ऑनलाइन राशन कार्ड बनने के बाद भी छत्तीसगढ़ में राशन कार्ड में यह स्पष्ट लिखा होता है कि इसका उपयोग केवल राशन सामग्री प्राप्त करने के लिए ही किया जा सकता है। दरअसल सारी गड़बड़ी तब होती है जब फोटो कॉपी के आधार पर प्रमाणीकरण या पुष्टि का कार्य होता है। देश भर में इस बात की शिकायत है कि फोटोकॉपी के आधार पर बने राशन कार्डो की प्रामाणिकता संदिग्ध है। इस कारण चुनाव आयोग इस पहचान पत्र को  वैध नहीं मान रहा है। देश भर में भारत शासन ने राशन कार्ड को आधार कार्ड से लिंक करने के लिए समय बढ़ाती जा रही है। इसके बावजूद करोंड़ों राशन कार्ड लिंक नहीं हो पा रहे है। इसके चलते राशन कार्ड को प्रामाणिक नहीं माना जा सकता है।
राशन कार्ड के फोटोकॉपी का उपयोग कर कुख्यात डॉन छोटा राजन और फिल्म नायिका मोनिका बेदी भोपाल से पासपोर्ट बनाकर विदेश भाग गए थे। तब के जमाने में महाराष्ट्र में राशन कार्ड बनाने के नियम बहुत प्रामाणिक थे। फूड इंस्पेक्टर को राशन कार्ड आवेदन को लेकर आवेदक घर जाकर पुष्टि करता था। राशन कार्ड का दुरूपयोग ज्यादातर मूल निवास, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों से जोड़ दिया गया है। इस कारण इसके पहचान के लिए उपयोग करना खतरनाक ही है।

स्तंभकार -संजय दुबे

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