Games

COLUMN;अंत भला तो सब भला……….

बहस


यह लगभग तय सा हो चुका है कि  96 साल के ओलंपिक खेलों के सफर में  अनोखा इतिहास(एक ओलंपिक खेल में दो पदक)रचने वाली भारतीय शूटर मनु भाकर को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न सम्मान मिलेगा ही।
खेल मंत्रालय ने बड़ी दिलेरी से भारतीय हॉकी टीम के कप्तान हरमन सिंह( पेरिस ओलम्पिक खेलो में टीम  को कांस्य पदक) और पैरा ओलंपियन प्रवीण कुमार ( हाई जंपर) को खेल रत्न सम्मान देने के साथ साथ  तीस खिलाड़ियों ( 17 पैरा ओलंपियन खिलाड़ी शामिल) को अर्जुन पुरस्कार देने की घोषणा लगभग कर ही दी थी। ये बात मीडिया में भी आ गई।
विस्फोट हुआ और राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित खेल मंत्रालय  हिल गया। नौकरशाहों की जिद के चलते कहे या मनु भाकर के आत्मविश्वास को दोषी मान ले कि उन्होंने बलवती संभावना के आधार पर प्रश्न उठा दिया था कि क्या उन्हें खेल रत्न सम्मान मिलेगा? इसी बात को लेकर  नौकरशाह लोग ने अपने स्वाभिमान का प्रश्न बना लिया और  प्रक्रिया का प्रश्न उठाकर मनु भाकर को सूची में जगह नहीं दी।
दो दिन में देश भर में मनु भाकर के पक्ष और खेल मंत्री सहित खेल मंत्रालय  सवालों के घेरे में आ गया। जिस खिलाड़ी ने देश को पेरिस ओलम्पिक खेलों में 96साल के इतिहास में पहली बार व्यक्तिगत रूप से  दो दो पदक दिलाया उसे केवल आवेदन करने के नाम पर खारिज करने की कोशिश की गई। देश के जनप्रतिनिधि जिसमें प्रधानमंत्री  से लेकर खेल मंत्री  भी है ,आगे आगे हो कर मनु भाकर को बधाई दी थी,शुभ कामनाएं दी थी। सत्ता पक्ष तब और बड़ी बन जाती जब मनु भाकर ने दो पदक जीता था तभी उन्हें खेल रत्न सम्मान देने की घोषणा हो जाती लेकिन सत्ता पक्ष दिल  के छोटे और दिमाग  के कमजोर साबित हुए।
बाईस साल की खिलाड़ी मनु भाकर से खेल  मंत्रालय स्वयं अनुनय विनय  कर सकता था कि महोदया आपको खेल रत्न सम्मान देकर हम अनुग्रहित होंगे । कृपया कर एक आवेदन भर दीजिए। ऐसा करना  मन से छोटा हो जाना होता। याद रखना चाहिए कि शासन को  ऐसे मामलों में बड़ा होना चाहिए जहां कोई व्यक्ति देश के लिए अनुकरणीय कार्य करता है। सचिन तेंडुलकर को कैसे भारत रत्न दिया गया इसका उदाहरण है।
बहरहाल, मध्य मार्ग खोज लिया गया है। मनु भाकर ने स्वयं की तरफ से प्रक्रियात्मक त्रुटि स्वीकार कर ली है। खेल मंत्रालय  ने भी कह दिया कि अभी कुछ भी फाइनल नहीं है। ये भी तय है कि शूटर  मनु भाकर ने इस बार एकदम सही जगह पर निशाना साधा है। 

स्तंभकार-संजय दुबे

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button