DOG;सावधान ! ..बिस्किट की मिठास बना रही श्वानों को हिंसक, दोगुना ज्यादा हो जाते हैं खतरनाक
भोपाल, एजेंसी, इन दिनों गली-मोहल्लों में घूमने वाले आवारा श्वानों के हिंसक होने का सबसे बड़ा कारण भूख है। श्वान यदि भूखा है, तो वह चिढ़चिढ़ा होकर हिंसक हो जाता है। बहुत से लोग श्वानों को प्रेमवश भोजन भी देते हैं, जिसमें सबसे ज्यादा सामान्य भोजन बिस्किट और टोस्ट होता है। पशुप्रेमी प्रेमवश श्वानों को वे बिस्किट और टोस्ट ही डालते हैं, जो इंसानों के खाने के लिए होता है। इन्हें तैयार करने में शक्कर का उपयोग किया जाता है। शक्करयुक्त बिस्किट और टोस्ट 10 से 15 दिन लगातार खाने से श्वानों को खुजली और त्वचा की समस्या हो जाती है, जो उनकी चिढ़चिढ़ाहट को हमेशा के लिए बढ़ा देती है।
श्वान का यदि पेट भरा भी है, तो भी वह खुजली और त्वचा की समस्या के कारण चिढ़चिढ़ा हो जाता है और इंसानों के जरा से बदले हुए व्यवहार को देखकर हमला कर देता है। लोग श्वानों को यह भोजन तो देते हैं, लेकिन उम्रभर के लिए उसके द्वारा काटने की संभावना को जन्म दे देते हैं। खुजली के कारण श्वान खुद ही अपने शरीर के प्रभावित हिस्सों को काट-काटकर लहूलुहान कर लेता है। इस चिढ़चिढ़ाहट में वे इंसानों को भी काट लेते हैं।
शहर के विभिन्न व्यवसायिक इलाकों जैसे सिटी सेंटर के बाजारों, गोविंदपुरी, लश्कर क्षेत्र में कई स्थानों पर लोग श्वानों को मीठे बिस्किट खिलाते हुए आसानी से नजर आते हैं। पशु चिकित्सकों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि सिर्फ मांसाहार खाकर ही कुत्ते हिंसक होते हैं, लेकिन उनके अनुपात में मीठे बिस्किट खिलाना बड़ी समस्या है। इससे त्वचा की समस्या होती है, जिससे श्वान दोगुना तक खतरनाक हो जाते हैं। वे यह भी सलाह देते हैं कि श्वानों को भोजन दें, लेकिन उन्हें बिस्किट या टोस्ट के बजाय घर में बनने वाली रोटी या ब्रेड डालें। पशु चिकित्सक यह भी सलाह देते हैं कि यदि श्वान का पेट भरा रहेगा, तो वह कभी किसी को नहीं काटेगा।
लार में रैबीज बैक्टीरिया बढ़ते हैं, जो इंसानों के लिए खतरनाक
श्वान आसानी से शक्कर को पचा नहीं पाते हैं। लंबे समय तक मीठे बिस्किट खाने से श्वान का शरीर विषाक्त होने के साथ ही उनकी लार में मौजूद रैबीज बैक्टीरिया तेजी से बढ़ते हैं। इसके अलावा ऐसे श्वानों की लार भी गिरती रहती है। ऐसे श्वान अन्य श्वानों की तुलना में दोगुना ज्यादा खतरनाक होते हैं। ऐसे श्वान जब इंसानों को काटते हैं, तो रैबीज होने का खतरा दोगुना तक बढ़ जाता है। इसके अलावा काटे गए हिस्से में संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में जरूरी है कि जिस कुत्ते की लार गिरती दिखे, उससे दूरी बना ली जाए।
कान खड़े और पूंछ का हिलना बंद तो खतरा, आंखों से न मिलाएं आंखें
- शहर में जिम्मेदार तो श्वानों की समस्या की ओर से आंखें बंद किए बैठे हैं। ऐसे में श्वानों के हमले से बचने के उपाय खुद ही करने होंगे। यहां पशु चिकित्सकों द्वारा बताए गए कुछ उपाय कर श्वानों के हमले की संभावना को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
- श्वान के यदि कान खड़े हैं और उसकी पूंछ का हिलना बंद है, तो वह आक्रमण के लिए तैयार है।
- श्वान की आंखों से आंखें न मिलाएं। इसे वे चुनौती के तौर पर लेते हैं।
- श्वान हमला करने से पहले भौंककर डराता है।
- श्वान यदि भौंककर डराए, तो तेज आवाज में उसे डांटने का प्रयास करें। इससे वह पीछे हट जाएगा।
- श्वानों के छोटे बच्चों को खिलाने से बचें। बच्चों पर खतरा मानकर वे काट सकते हैं।
- श्वान यदि भोजन कर रहा है, तो उस समय उसे नहीं छेड़ें। मांसाहार से खतरनाक है मिठास
पशुपालन विभाग के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डा. जीएस दुबे ने कहा कि लोग ऐसा मानते हैं कि जिन आवारा श्वानों को मांस-मछली की दुकानों के आसपास मांसाहार मिलता है, वे हिंसक हो जाते हैं लेकिन मीठे बिस्किट को वे श्वानों का भोजन मानते हैं। ऐसा कतई नहीं है। मिठास श्वानों के लिए ज्यादा खतरनाक है। इससे वे संक्रमित होते हैं और आक्रामक भी। त्वचा रोग से संक्रमित श्वानों द्वारा इंसानों पर ज्यादा हमले किए जाते हैं।
खाना दें तो नहीं काटेंगे श्वान, बिस्किट-टोस्ट न डालें
वरिष्ठ पशु चिकित्सक डा आरके मावई का मानाना है कि श्वान को यदि खाना मिलेगा और उसका पेट भरा रहेगा, तो वह बिल्कुल नहीं काटेगा। लोग बाजारों में पांच-दस रुपए के इंसानों के खाने लायक मीठे बिस्किट-टोस्ट श्वानों को डालते हैं। इससे उनकी लार में रैबीज बैक्टीरिया बढ़ते हैं। ऐसा श्वान यदि किसी इंसान को काटता है, तो संक्रमण का खतरा दोगुना बढ़ जाता है। मैं लोगों को सलाह देता हूं कि वे बिस्किट-टोस्ट के बजाय रोटी डालें।