ED बोली- चंद्रभूषण हर महीने पुलिस अफसरों और नेताओं को देता था पैसा; 65 करोड मिले, छत्तीसगढ़ में सट्टा ऐप का ASI वर्मा था लाइजनर
रायपुर, छत्तीसगढ़ में सट्टा ऐप से जुड़े मामले में ईडी ने बड़ा खुलासा किया। प्रवर्तन निदेशालय के मुताबिक एएसआई चंद्रभूषण वर्मा लाइजनर का काम कर रहा था। नेताओं को संरक्षण राशि भी दी जा रही थी। जांच में 65 करोड़ नगद मिले हैं। जिसे चंद्रभूषण ने रिसीव किया है। उसने बड़े पुलिस अफसरों और नेताओं को रिश्वत में बांटा है।
ED ने PMLA यानी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत ASI चंद्रभूषण वर्मा, सतीश चंद्राकर, हवाला कारोबारी अनिल और सुनील दम्मानी को गिरफ्तार किया था। बुधवार को इन्हें कोर्ट में पेश कर 6 दिनों की रिमांड ED ने ली। मामले में पहली बार ED ने प्रेस रिलीज जारी कर इस ऑनलाइन सट्टे में कहानी सिलसिलेवार बताई।
ED के मुताबिक इस मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस की ओर से दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी। इसके बाद विशाखापट्टनम पुलिस ने भी मामले में एफआईआर दर्ज की है और दूसरे राज्यों ने भी रिकॉर्ड लिया है।
ASI चंद्रभूषण वर्मा को बताया मुख्य लाइजनर
ED की जांच में पता चला है कि एएसआई चंद्रभूषण वर्मा छत्तीसगढ़ में मुख्य लाइजनर का काम कर रहा था। चंद्रभूषण दुबई के प्रमोटरों से हवाला के जरिए से हर महीने मोटी रकम लेता और इसे सीनियर पुलिस अफसरों को बांट रहा था और ED के मुताबिक राजनीतिक रूप से मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े लोगों को ‘संरक्षण राशि’ भी दी जा रही थी।
ED की अब तक की जांच से पता चला है कि करीब 65 करोड़ रुपये नकद मिले हैं। जिसे चंद्रभूषण वर्मा ने रिसीव किया और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और राजनेताओं को रिश्वत बांटा है। ED ने गंभीर आरोप लगाते हुए जानकारी दी है कि ASI चंद्रभूषण वर्मा पुलिस में बहुत बड़े पोस्ट में नहीं था लेकिन सीएम के सलाहकार विनोद वर्मा के साथ अपने संबंधों और रवि उप्पल के भेजे रिश्वत से मिले पैसों से वो यहां के वरिष्ठ अधिकारियों को प्रभावित करने में कामयाब रहा।
ASI वर्मा ने ईडी के सामने स्वीकार किया है कि वो कई बड़े ताकतवर लोगों से हर महीने बड़ी रकम रिश्वत में ले रहा था और भुगतान भी कर रहा था। साथ ही वर्मा ने ये भी स्वीकार किया है कि मई 2022 में पुलिस की कुछ कार्रवाई के बाद रिश्वत की रकम भी बढ़ाई गई। मामलों को कम करने और कार्रवाई को स्थानीय सट्टेबाजों तक सीमित करने और भविष्य में किसी भी कार्रवाई को रोकने के लिए रिश्वत की रकम बढ़ाई गई थी। आरोपियों ने इस मामले में विशेष रूप से सीएमओ से जुड़े बड़े अधिकारियों के भी नाम लिए हैं, जिन्होंने मासिक या फिर नियमित आधार पर बड़ी रिश्वत दी गई है।
अवैध सट्टेबाजी का प्लेटफॉर्म मुहैया करती थी ऐप
ED से मिली जानकारी के मुताबिक सट्टेबाजी के इस ऑनलाइन ऐप की जांच से पता चला है कि ये ऑनलाइन बुक पोकर, कार्ड गेम, चांस गेम, क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल सट्टेबाजी जैसे लाइव गेम में अवैध सट्टेबाजी के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म मुहैया कराता थी और तीन पत्ती, पोकर जैसे कई कार्ड गेम खेलने की फैसलिटी भी देती थी।
इसी तरह ड्रैगन टाइगर, कार्ड का उपयोग करके वर्चुअल क्रिकेट गेम खिलाया जाता था, यहां तक कि इस ऐप में देश में होने वाले चुनावों पर भी दांव लगाया जाता था। भिलाई के रहने वाले सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल इस ऑनलाइन बुक के मेन प्रमोटर्स हैं और दुबई से इसका संचालन करते हैं।
बार-बार बदले जाते थे बैंक खाते और वॉट्सऐप नंबर
सट्टे के हेड ऑफिस में साप्ताहिक शीट पैनल मालिकों के साथ साझा की जाती थी, जिसमें सभी दांव, कुल लाभ या हानि के आंकड़े शामिल होते थे। दांव का अंतिम परिणाम जो भी हो, 20 प्रतिशत हिस्सा पैनल संचालक का होता था और ये रकम या तो बैंकिंग चैनल के जरिए या फिर हवाला के जरिए पैनल मालिकों तक पहुंचाई जाती थी।
यहां बैंक खाते और वॉट्सऐप नंबर बार-बार बदले जाते थे। अगर कहीं एफआईआर दर्ज भी होती है तो आमतौर पर केवल छोटे स्तर के सट्टेबाजों या पैनल ऑपरेटरों को ही गिरफ्तार किया जाता है। विदेश में बैठे मुख्य आरोपी अब भी ED की गिरफ्त से बाहर हैं।यहां ED का ये भी कहना है कि पुलिस और नेताओं ने अवैध सट्टेबाजी के गलत असर को देखने के बावजूद सभी ने अपनी आंखें बंद कर लीं थी। इसका असर कुछ ऐसा था कि भिलाई के युवा बड़ी संख्या में दुबई पहुंचे और इसे ऑपरेट करने की ट्रेनिंग लेकर भारत वापस लौटे और खुद का पैनल शुरू कर दिया।