ELECTION;पिछडा वर्ग बाहुल्य रायपुर सीट पर भाजपा का बोलबाला, इस बार पिछडे वर्ग का दावेदार नहीं
रायपुर, लोकसभा चुनाव के चुनावी रण में पिछडा वर्ग बाहुल्य रायपुर सीट का इतिहास बेहद रोचक है। ये वही सीट है जिस पर कुछ साल तक भाजपा के एक ही नेता रमेश बैस का सिक्का चलता था। श्री बैस अभी महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। उन्होंने रायपुर लोकसभा सीट पर सात बार सांसद बनकर इतिहास रच दिया। इस सीट पर भाजपा ने इस बार शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को मैदान में उतारा है। जबकि कांग्रेस ने पूर्व विधायक विकास उपाध्याय को प्रत्याशी बनाया है।
बृजमोहन अग्रवाल राजनीति में अजेय और संकटमोचक माने जाते हैं। रायपुर-दक्षिण विधानसभा सीट से वह लगातार आठ बार के विधायक हैं। उनके सामने चुनाव में जीतने से कहीं ज्यादा लीड लेकर जीत करने की चुनौती है। साथ ही रमेश बैस जैसे ही अब सांसदी में भी रिकार्ड बनाने की चुनौती होगी। रायपुर की जनता के बीच कुछ इसी तरह की चर्चा गर्म है। बृजमोहन इस सीट को जीतने और बड़ी लीड पाने की मशक्कत भी कर रहे हैं। कांग्रेस ने इस सीट पर युवा नेता व पूर्व विधायक विकास उपाध्याय पर दांव खेला है।
बृजमोहन ज्यादा अनुभवी
राजनीतिक अनुभव के मुकाबले बृजमोहन का अनुभव विकास की तुलना में कहीं अधिक है मगर राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि रण चाहे जो भी हो, कभी भी अपने सामने लड़ रहे व्यक्ति को कमजोर नहीं माना जाना चाहिए। शायद इसी फार्मूले को मानते हुए भाजपा के बृजमोहन अग्रवाल और उनकी टीम ने रायपुर सीट पर पूरी ताकत झोंक दी है। न सिर्फ रायपुर में, बल्कि संपूर्ण छत्तीसगढ़ में भाजपा विकास की लहर से चुनाव लड़ रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विकासपरक छवि, अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर का निर्माण, हर घर शौचालय, नल से जल जैसी विकास की उपलब्धियों को बटोरे हुए भाजपा के नेता लोगों के घरों तक पहुंच रहे हैं।
युवा दावेदार विकास
वहीं कांग्रेस की सीट पर चुनाव लड़ रहे विकास उपाध्याय पहली बार रायपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वह कांग्रेस के पांच न्याय और 25 गारंटी को लेकर जनता के बीच पहुंच रहे हैं। वर्ष 2018 में विकास पहली बार रायपुर पश्चिम से विधायक बने। तीन बार के बीजेपी विधायक रहे राजेश मूणत को हराया था। विधानसभा चुनाव 2023 में राजेश मूणत ने उन्हें हराकर इस सीट पर कब्जा कर लिया।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव हार चुके है
इतिहासकार बताते हैं कि 1967 के लोकसभा चुनाव में रायपुर की सीट से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे आचार्य जेबी कृपलानी भी चुनाव हार चुके हैं। 1947 में जब भारत को आजादी मिली उस समय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य कृपलानी ही थे, उन्होंने पंडित जवाहर लाल नेहरू से अपने मतभेद के चलते कांग्रेस छोड़ दी थी, रायपुर से 1967 का लोकसभा चुनाव भी उन्होंने कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी केएल गुप्ता से लड़ा और हार गए।
बैस ने रायपुर को बनाया भाजपा मजबूत गढ़
रायपुर सीट पर 1952 से अब तक 17 लोकसभा चुनाव हुए। इसमें आठ बार कांग्रेस और आठ बार भाजपा जीती। एक बार भारतीय लोकदल के प्रत्याशी पुरुषोत्तम लाल कौशिक ने जीत हासिल की। राज्य निर्माण से पहले यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है मगर राज्य निर्माण के बाद यहां भाजपा मजबूत हुई। भाजपा के कद्दावर नेता रमेश बैस इस सीट पर पहली बार 1989 में सांसद बने। इसके बाद रमेश बैस 1996, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में सांसद बने।
केयूर भूषण, श्यामाचरण शुक्ल और भूपेश बघेल को हराए थे बैस
रमेश बैस पहली बार वर्ष 1989 में रायपुर लोकसभा से सांसद चुने गए। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार गांधीवादी नेता केयूर भूषण को चुनाव हराया था। हालांकि 1991 में हुए लोकसभा चुनाव मेें बैस कांग्रेस के वरिष्ष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल से चुनाव हार गए थे। इसके बाद 2004 में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल और वर्ष 2009 में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को हरा दिया था।
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे विद्याचरण शुक्ल को रायपुर लोकसभा सीट से ही पहचान मिली। आपातकाल में विद्याचरण शुक्ल भी लोगों के गुस्से से बच नहीं पाए और 1977 में हुए चुनाव में भारतीय लोकदल के प्रत्याशी के तौर पर खड़े पुरुषोत्तम लाल कौशिक से 85 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से पराजित हुए थे। विद्याचरण शुक्ल इस सीट से कुल चार बार लोकसभा का चुनाव लड़े. दो बार जीते और दो बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2013 में झीरम घाटी की घटना में विद्याचरण शुक्ल की हत्या हो गई थी।
साहू-कुर्मी जाति के दबदबे वाली सीट
रायपुर की लोकसभा सीट में वैसे तो सभी जाति के लोग निवासरत हैं पर बड़ी आबादी साहू समाज की है। साहू, कुर्मी, यादव, सतनामी समाज, सिख, मुस्लिम समेत अनुसूचित जाति एवं जनजाति के मतदाता भी इस सीट पर प्रभावी हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सुनील कुमार सोनी ने जीत हासिल की। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद दुबे को हराया था।
लोकसभा क्षेत्र में नौ विधानसभा क्षेत्र
क्षेत्र व विधायक
बलौदाबाजार-टंकराम वर्मा (भाजपा)
भाटापारा- इंद्रकुमार साव (कांग्रेस)
धरसींवा-अनुज शर्मा(भाजपा)
रायपुर शहर पश्चिम-राजेश मूणत (भाजपा)
रायपुर शहर उत्तर-पुरंदर मिश्रा (भाजपा)
रायपुर शहर दक्षिण-बृजमोहन अग्रवाल (भाजपा)
रायपुर ग्रामीण-मोतीलाल साहू (भाजपा)
अभनपुर- इंद्रकुमार साहू (भाजपा)
आरंग-गुरु खुशवंत सिंह साहेब (भाजपा)
कब-कब किसने जीता रायपुर का चुनावी रण
1952-भूपेन्द्र नाथ मिश्रा- कांग्रेस
1957- बीरेंद्र बहादुर सिंह- कांग्रेस
1962-केशर कुमारी देवी -कांग्रेस
1967- लखन लाल गुप्ता -कांग्रेस
1971- विद्याचरण शुक्ल- कांग्रेस
1977- पुरुषोत्तम कौशिक- जनता पार्टी
1980- केयूर भूषण-कांग्रेस
1984- केयूर भूषण-कांग्रेस
1989- रमेश बैस- बीजेपी
1991- विद्याचरण शुक्ल-कांग्रेस
1996- रमेश बैस- भाजपा
1998- रमेश बैस- भाजपा
1999 -रमेश बैस- भाजपा
2004 -रमेश बैस- भाजपा
2009 -रमेश बैस- भाजपा
2014 – रमेश बैस- भाजपा
2019 -सुनील कुमार सोनी- भाजपा