राज्यशासन

FOREST;रायपुर वन मंडल में दैवेभो के नाम पर हर माह लाखों की बेगारी, अफसरों के डाग केयर से लेकर कब्रिस्तान में तैनाती

रायपुर, जंगल विहीन रायपुर वन मंडल में हर माह लाखों रुपये की बेगारी की शिकायत मिली है। इस खेल में रायपुर के वन मंडल के अधिकारियों ने खुलकर कांग्रेस नेताओं का साथ दिया। उनके चहेते लोगों को चौकीदार, ड्राइवर, बाबू, कंप्यूटर आपरेटर के पद पर काम पर रखा। आश्चर्य की बात यह है कि कब्रिस्तान में पौधारोपण और देखरेख के लिए चौकीदार तक तैनात कर दिया तो कुछ आईएएस, आईएफएस अफसरों के यहां डाग केयर टेकर, चिल्ड्रेन केयर टेकर, घरेलू नौकर भी रखे गए।

जानकारों का कहना है कि एक तरह से वन विभाग को प्लेसमेंट कैम्पस बनाकर रखा गया है। जिन लोगों को दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के तौर पर रखा गया, उनमें से अधिकांश कांग्रेस कार्यकर्ताओं, नेताओं के रिश्तेदार शामिल हैं। वन विभाग को इन कर्मियों को वेतन देने के लिए हर माह लाखों की राशि फिजूल में खर्च करना पड़ रहा है। प्रदेश में सरकार बदलते ही पिछली सरकार के विभागों में खजाने के दुरुपयोग की पोल अब खुलने लगी है।

जानकार सूत्रों ने बताया कि करीब साढे सात सौ दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को प्रति माह अनुमानित 75 लाख रुपये अकेले रायपुर वनमंडल को वेतन देने में वहन करना पड़ता है, जबकि पौधारोपण के लिए सरकार के पास बजट ही नहीं है। यहां कार्यरत विभागीय कर्मचारियों के पास भी कोई काम नहीं है। इन्हे भी बैठे बिठाए वेतन देना पड रहा है। ऐसे में यह अपने आप में सवालिया निशान उठाता है। शहर को हरा भरा बनने के बदले वन विभाग के अधिकारियों ने दैनिक वेतन कर्मचारियों को उपकृत करने में सारा समय निकाल दिया। बैक डोर से दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की संविदा भर्ती को लेकर विभागीय नियमित कर्मचारियों ने नई सरकार के सामने सारी पोल खोलकर रख दी है। लिहाजा वन महकमें में हड़कंप मचा हुआ है।

वहीं विभाग के ही कुछ कर्मचारियों की मानें तो सरकार किसी भी दल का रहे दैवेभो कर्मचारियों की विभागीय स्तर पर तैनाती की जाती है। तीन साल पहले ढाई सौ दैवेभो कर्मचारियों भर्ती की गई थी। इनमें से कई मंत्री, वन अधिकारियों के बंगले में तैनात किए गए थे। इसे रूटीन की प्रक्रिया मानी जाती है।

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