CRIME; पुलिस की वॉर्निंग के बाद भी मानव तस्करी जारी,आर्केस्ट्रा में नाच गान कर रही हैं छत्तीसगढ और उडीसा की लड़कियां
बिहार

पुलिस ने कहा-इन लड़कियों को रखा तो ऑर्केस्ट्रा-थियेटर होगा बंद, दर्ज होगी FIR
पटना, पुलिस के विशेष अबभियान के बावजूद बिहार के सारण, सिवान, गोपालगंज, बेतिया, मोतिहारी, रोहतास जिलों में ऑर्केस्ट्रा के नाम पर मानव तस्करी जारी है। जबकि किशनगंज, अररिया, अरवल, नालंदा, बेगूसराय आदि जिलों में देह व्यापार के लिए मानव तस्करी की शिकायत अधिक है। इसमें नेपाल के अलावा छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश, असम, ओडिसा, दिल्ली, पंजाब और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों से तस्करी कर लाई गई नाबालिंग भी शामिल है। अब तक 118 नाबालिग समेत 169 महिलाएं और 506 नाबालिग लड़कों को मुक्त कराया गया है। इसमें 30 से ज्यादा छत्तीसगढ लडकियां शामिल है।
पुलिस मुख्यालय में गुरुवार को आयोजित प्रेस वार्ता में सीआईडी कमजोर प्रभाग के एडीजी अमित कुमार जैन नेजानकारी दी है कि राज्य में ऑर्केस्ट्रा, डांस ग्रुप, थियेटर आदि में नाबालिग लड़कियों से काम कराने वालों के विरुद्ध विशेष अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी। अगर पुलिस की जांच में ऑर्केस्ट्रा-थियेटर ग्रुप में नाबालिग लड़कियों के शोषण की जानकारी मिलती है, तो ऐसे ग्रुप को तत्काल बंद कराया जाएगा।

इसके साथ ही संचालकों के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस बाबत सभी क्षेत्रीय पुलिस पदाधिकारियों को पहले मार्च और फिर जून में एसओपी जारी कर विशेष दिशा-निर्देश दिए हैं।
बताया गया है किइस साल जून तक ऐसे 14 ऑर्केस्ट्रा व थियेटर ग्रुप के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई है। इसमें 153 नाबालिग समेत 175 महिलाओं और 41 पुरुषों को मुक्त कराया गया है। ऑर्केस्ट्रा के बहाने मानव तस्करी से जुड़े 47 आरोपितों को भी गिरफ्तार किया गया है। बरामद नाबालिग लड़कियां नेपाल के अलावा छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश, असम, ओडिसा, दिल्ली, पंजाब और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों से बिहार में तस्करी कर लाई गई थी। इसके अलावा मानव तस्करी के मामले में भी जून तक 231 प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिसमें 118 नाबालिग समेत 169 महिलाएं और 506 नाबालिग लड़कों को मुक्त कराया गया है। वहीं 17 महिलाओं समेत 144 मानव तस्करों को गिरफ्तार किया गया है।
लिखकर देंगे संचालक, नाबालिग से नहीं करा रहे काम
एडीजी जैन ने बताया कि सभी जिला एसपी को ऐसे ऑर्केस्ट्रा-थियेटर ग्रुप संचालकों को चिह्नित करने को कहा गया है। इन सभी संचालकों को पुलिस को लिखकर देना होगा कि इनके यहां कोई भी नाबालिग लड़की काम नहीं करती है। इसके बाद ही उन्हें पुलिस की ओर से अनुमति दी जाएगी। एक बार जो ऑर्केस्ट्रा संचालक इसमें दोषी पाए जाएंगे, उनका लाइसेंस या सर्टिफिकेट हमेशा के लिए रद कर दिया जाएगा। सभी रेंज के आइजी-डीआइजी को इसकी हर तीन माह पर समीक्षा करने का निर्देश दिया गया है।
दोषियों को स्पीडी ट्रायल से सजा, पीड़ितों को मुआवजा
ऐसे ऑर्केस्ट्रा व थियेटर संचालकों की पहचान के लिए ग्राम स्तर पर मानव व्यापार निरोध इकाई का गठन करने का निर्देश दिया गया है। इसमें पंचायत प्रतिनिधियों, स्कूल शिक्षकों, आंगनबाड़ी सेविकाओं, स्थानीय स्वंयसेवी संस्था को शामिल किया जाएगा इस तरह के कांडों के जांच निर्धारित समय-सीमा के अंदर पूरी कर त्वरित विचारण कराने का टास्क भी पुलिस पदाधिकारियों को दिया गया है। ऐसे पीडि़तों को मुआवजा देने का प्रस्ताव भी मुख्यालय ने पुलिस पदाधिकारियों से मांगा है।