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GAME; वंडर गर्ल दिव्या देशमुख, सिर्फ 7 साल की उम्र से सफलता के शिखर चूमे, उनके नाम कई करिश्माई उपलब्धियां

नईदिल्ली, आठ साल पहले एक टूर्नामेंट जीतने के बाद दिव्या देशमुख से एक टीवी इंटरव्यू में पूछा गया कि ऐसा लगता है कि वह किसी प्लेयर से डरती नहीं। दिव्या ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया कि शायद यह सच है। दिव्या तब 11 साल की थी। सात साल की उम्र से शतरंज की दुनिया में एक के बाद एक कई सोपान चढ़ चुकी वंडर गर्ल दिव्या ने सोमवार को अपने से दोगुनी उम्र की और वर्ल्ड रैपिड चैंपियन कोनेरू हंपी के सामने ज़रा भी नहीं घबराई। उन्होंने अपने अंदाज़ में मुस्कुराते हुए हंपी के हर चाल को नाकाम किया और केवल 19 साल की उम्र फिडे विमेंस वर्ल्ड कप विजेता बन गईं। इस जीत से दिव्या ने ना सिर्फ यह प्रतिष्ठित टूर्नामेंट जीता बल्कि साथ ही ग्रैंडमास्टर भी बन गईं जो टूर्नामेंट की शुरुआत में असंभव लग रहा था। वह ग्रैंडमास्टर बनने वाली सिर्फ चौथी भारतीय महिला और कुल 88वीं खिलाड़ी हैं।

नागपुर की इस खिलाड़ी ने शनिवार और रविवार को खेले गए दो क्लासिक मैच के ड्रॉ होने के बाद टाईब्रेकर में जीत दर्ज की।अंतरराष्ट्रीय मास्टर दिव्या देशमुख ने शानदार प्रदर्शन करते हुए चीन की तीसरी वरीयता प्राप्त तान झोंगयी को 101 चाल में शिकस्त देकर फिडे महिला शतरंज विश्वकप के फाइनल मुकाबले में जगह बना ली और इसी के साथ उन्होंने अगले साल कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई भी कर लिया है। 19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने बुधवार को खेले गये फिडे महिला विश्वशतरंज कप के सेमीफाइनल के दूसरे गेम में पूर्व विश्व चैंपियन चीन की झोंगयी टैन को 1.5-0.5 से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। 

कोनेरू हंपी एक बार फिर चुकीं
दो क्लासिकल बाजी ड्रॉ होने के बाद टाईब्रेकर का पहला समूह निर्णायक साबित हुआ जिसमें हंपी ने अपना संयम खो दिया। वर्ल्ड कप और विमेंस वर्ल्ड चैंपियनशिप को छोड़कर हंपी ने अंतरराष्ट्रीय शतरंज में सब कुछ जीता है, लेकिन किस्मत या फिर अपने धैर्य के कारण वर्ल्ड कप खिताब जीतने में नाकाम रही हैं। दिव्या ने दृढ़ निश्चय दिखाया और इस जज्बे का बोनस ग्रैंडमास्टर खिताब था जो इस प्रतियोगिता के चैंपियन के लिए आरक्षित था। टाइम कंट्रोल्ड टाईब्रेकर की पहली बाजी में सफेद मोहरों से खेलते हुए दिव्या ने हंपी को फिर से ड्रॉ पर रोका, लेकिन दूसरी बाजी में काले मोहरों से खेलते हुए उन्होंने दो बार की वर्ल्ड रैपिड चैंपियन को हराकर जीत दर्ज की।

दिव्या देशमुख वर्ल्ड चैंपियन बनने की तरफ
चेस में वर्ल्ड चैंपियन बनने की राह अन्य खेलों से थोड़ा अलग है। दिव्या वर्ल्ड कप विनर ज़रूर बनी है, लेकिन अभी उन्हें वर्ल्ड चैंपियन नहीं कहा जा सकता। उन्होंने वर्ल्ड कप खिताब के साथ कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालिफाई कर लिया। दूसरे स्थान पर रहने वाली कोनेरू हंपी और तीसरे पर रहीं चीन की तान झोंगयी ने भी इसके लिए क्वालिफाई कर लिया है। अन्य पांच खिलाड़ी अलग-अलग क्वालिफिकेशन मेथड से कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जगह बनाएंगी। इस टूर्नामेंट की विजेता, मौजूदा विमेंस वर्ल्ड चैंपियन चीन की जू वेंजुन को अगले साल चुनौती देगी। उस मुकाबले को जीतने वाले प्लेयर को नया विमेंस चेस वर्ल्ड चैंपियन कहा जाएगा।

यह भारतीय शतरंज का स्वर्णिम दौर
चेस में वर्ल्ड नंबर-2 हिकारू नाकामुरा ने दिव्या देशमुख को बधाई देते हुए लिखा, ‘भारतीय चेस तो इन दिनों कमाल कर रहा है’। यह सच है कि पिछले दो वर्षों के दौरान भारतीय खिलाड़ियों ने जो उपलब्धियां हासिल की हैं उसको देखते हुए कहा जा सकता है कि यह भारतीय शतरंज का स्वर्णिम दौर है। इस दौरान डी गुकेश सबसे कम उम्र के वर्ल्ड चेस चैंपियन बने, चेस ओलंपियाड में भारत ने ओपन और विमेंस कैटेगरी दोनों में गोल्ड मेडल जीता, कोनेरु हंपी वर्ल्ड विमेंस रैपिड चेस चैंपियन बनीं, प्रणव वेंकटेश वर्ल्ड जूनियर चैंपियन बने और दिव्या देशमुख ने वर्ल्ड कप जीता। दिव्या इस खिताब को जीतने वाली सबसे युवा खिलाड़ी भी बनीं। खास बात है कि वर्ल्ड कप फाइनल में दो भारतीयों की ही टक्कर हुई।

दिव्या हैं धोनी जैसी शांत: पूर्व कोच
दिव्या देशमुख को उनके प्रारंभिक कोच श्रीनाथ नारायणन ने बेहद प्रतिभाशाली करार देते हुए कहा, ‘दिव्या काफी आक्रामक खिलाड़ी है। बीतते समय के साथ वह अधिक हरफनमौला और बहुमुखी बन गई है। वह सभी फॉरमेट्स (क्लासिकल, रैपिड और और ब्लिट्ज़) में समान रूप से अच्छी है। मुश्किल परिस्थितियों में उनके खेल में और परिपक्वता आ जाती है। वह महेंद्र सिंह धोनी की तरह है जो आखिरी ओवरों में मैच का पासा पलट देते हैं।’

दिव्या देशमुख का करियर ग्राफ

  • 2012: अंडर-7 नेशनल चैंपियनशिप जीती
  • 2013: अंडर-8 एशियन चैंपियनशिप बनीं
  • 2014: अजय रहते हुए अंडर-10 वर्ल्ड चैंपियन बनीं
  • 2020: फिडे ऑनलाइन ओलंपियाड में गोल्ड मेडल
  • 2022: चेस ओलंपियाड में व्यक्तिगत वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया
  • 2023: इंटरनेशनल मास्टर (IM) बनीं
  • 2023: एशियन चेस चैंपियनशिप जीती
  • 2023: टाटा स्टील चेस के रैपिड सेक्शन में पहले स्थान पर रहीं दिव्या
  • 2024: शारजाह चेस चैलेंजर्स टूर्नामेंट जीता
  • 2024: वर्ल्ड अंडर-20 चेस चैंपियन बनीं
  • 2024: 45वें चेस ओलंपियाड में भारतीय टीम को गोल्ड मेडल दिलाने में मदद
  • 2024: चेस ओलंपियाड में बोर्ड-3 पर अपने प्रदर्शन के लिए व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता
  • 2025: वर्ल्ड रैपिड एंड ब्लिट्ज टीम चैंपियनशिप में रैपिड में सिल्वर और ब्लिट्ज में ब्रॉन्ज
  • 2025: फिडे विमेंस वर्ल्ड कप विजेता और ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल किया

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