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CRICKET;भारतीय टीम की कप्तानी की माथापच्ची…

भारतीय टीम

अगले जून 2025 में भारतीय क्रिकेट टीम को इंग्लैंड दौरे पर जाना है। स्वाभाविक है कि रोहित शर्मा के द्वारा टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद चयन समिति के सामने टीम चुनने के साथ साथ कप्तान चुनने का भी सिरदर्द खड़ा हो गया है।  वैसे भी  इंग्लैंड का ये दौरा कठिन साबित होने वाला है क्योंकि टीम में केवल तीन सीनियर खिलाड़ी बच रहे है। पहले है रविंदर जडेजा और दूसरे है के एल राहुल और तीसरे है जसप्रीत बुमराह। इन तीनों को छोड़कर जाने वाली टीम के पास  जाने वाली सोलह सदस्यीय टीम में तेरह खिलाड़ी कम अनुभव के साथ जायेंगे।

टीम का जो भी होना हो लेकिन कप्तानी बड़ी चुनौती बन गई है। टीम में जिन खिलाड़ियों को चुना जाना तय है उनमें  के एल राहुल और जसप्रीत बुमराह के पास पूर्व  के तीन तीन टेस्ट की कप्तानी का अनुभव है। ये कप्तानी नियमित कप्तानी के रूप में नहीं है बल्कि कामचलाऊ कप्तानी के रूप में है। चयनसमिति के सामने ये दोनों नाम है लेकिन दोनों खिलाड़ियों के साथ साथ इफ बट लगा हुआ है। बुमराह स्थाई रूप  से पांच टेस्ट नहीं खेल सकते है। उनकी।फिटनेस गच्चा दे रही है। ऐसी स्थिति में  दो खिलाड़ियों के नाम है जिनमें से एक को कप्तानी मिलना तय है पहला नाम है शुभमन गिल का और दूसरा नाम विकेटकीपर ऋषभ पंत का है।

भारत में ओपनर या पहले तीन नंबर के बैट्समैन को कप्तान बनाने  की परंपरा रही है। मिडिल ऑर्डर के  बैट्समैन  या लोवर ऑर्डर के बॉलर्स  को  यदा कदा कप्तानी दी गई है। विकेटकीपर को कप्तान बनाने की परंपरा नहीं रही थी। केवल  महेंद्र सिंह धोनी ही इकलौते ऐसे खिलाड़ी रहे है जो विकेटकीपर होकर कप्तान बने है अन्यथा 1932 से लेकर 2025 तक विकेटकीपर के नाम पर कप्तानी देने की चर्चा नहीं होती थी।
भारत  के 36 कप्तानों मे केवल 9 कप्तान ही ऐसे रहे है जिनके पास 25 या इससे अधिक टेस्ट की कप्तानी का अनुभव रहा है। विराट कोहली (68) महेंद्र सिंह धोनी (60) सौरव गांगुली (49), सुनील गावस्कर(47), अजहरुद्दीन (47), मंसूर अली खान पटौदी (40), कपिल देव (37), सचिन तेंडुलकर (25) और राहुल द्रविड़ (25) इस लिस्ट में आते है। 15 से अधिक लेकिन 25 से कम टेस्ट में कप्तानी करने वालो में रोहित शर्मा (24),बिशन बेदी(22),अजीत वाडेकर(16) और लाला अमरनाथ (15) रहे है। दस से अधिक लेकिन 15 से कम टेस्ट की कप्तानी करने वाले विजय हजारे(14), अनिल कुंबले(14), नरी कांट्रेक्टर (12),और दिलीप वेंसरकर (10) ने कप्तानी की है।
5 से अधिक लेकिन 10 टेस्ट से कम कप्तानी करने वाले कप्तान में पॉली उमरीगर (8), अंजिक्या रहाणे (6), वीनू मांकड़ (6), गुलाब राय चंद(5)वेंकट राघवन(5) का नाम है। 5 से कम टेस्ट की कप्तानी करने वालो में सी के नायडू ,श्रीकांत और वीरेंद्र सहवाग और दत्ता गायकवाड़ ने 4- 4 टेस्ट में कप्तानी की। महाराजा ऑफ विजयनगरम ,इफ्तेखार अली पटौदी, गुलाम अहमद और के एल राहुल और जसप्रीत बुमराह ने तीन तीन टेस्ट में कप्तानी की है। गुंडप्पा विश्वनाथ और रवि शास्त्री ने दो और पंकज राय, और दत्तू फड़कर ने एक एक टेस्ट की कप्तानी की है।
*विदेश में जीतने वाले कप्तान
भारतीय क्रिकेट टीम ने 1932 से खेलना शुरू किया तो शुरुआती दो दशक तो जीत क्या होती है ये पता ही नहीं चलता था। भारत के पहले तीन कप्तान सी के नायडू, महाराजा ऑफ विजयनगरम और इफ्तखार खान पटौदी तो टेस्ट जीत नहीं पाए। भारत पाक विभाजन के बाद लालाअमरनाथ ने 1952 में भारत की भूमि पर टेस्ट और सीरीज जीतने की शुरुआत की। भारत में स्पिन युग के दौर में कपिल देव के आने से पहले घरेलू जीत में स्पिनर्स का ही योगदान रहता था। विदेशी पिच पर स्पिनर्स जीत नहीं दिला पाते थे। भारत की भूमि पर बहुत कम बार ऐसा हुआ है जब जीत के हकदार फास्ट बॉलर्स हुए। भारत में सर्वाधिक विकेट लेने का रिकॉर्ड स्पिन बॉलर्स अनिल कुंबले के पास है।
विदेश में टेस्ट और सीरीज जीतने का काम मंसूर अली खान पटौदी ने 1964-65 में  किया। न्यूजीलैंड को उनकी ही धरती में एक टेस्ट जीत और चार टेस्ट ड्रा कर सीरीज जीते थे। पटौदी के बाद अजीत वाडेकर ने 1971 में वेस्ट इंडीज और इंग्लैंड को उनकी जमी पर हरा कर दुनियां भर में तहलका मचा दिया। इस जीत के बाद विदेश में टेस्ट और सीरीज जीतना मृग मरीचिका साबित होते रही।

1986 में कपिल देव ने इंग्लैंड को इंग्लैंड में हरा कर विदेश में सीरीज जीतने वाले तीसरे कप्तान बने। अजहरुद्दीन ने इंग्लैंड,  न्यूजीलैंड और श्रीलंका को उनके ही जमी पर हराया। सौरव गांगुली ने बांग्ला देश को दो बार और जिम्बाब्वे को उनकी ही जमी पर हराया। राहुल द्रविड़ की कप्तानी में भारत ने विदेश मे, वेस्ट इंडीज, बांग्ला देश को हराया। एम एस धोनी ने विदेश के नाम पर बांग्ला देश और वेस्ट इंडीज को उनकी ही जमी पर हराया। विराट कोहली सफल कप्तानों के मामले पर एक नंबर पर है। अपराजित ऑस्ट्रेलिया सहित इंग्लैंड, वेस्ट इंडीज और श्रीलंका को उन्हीं के भूमि में हराने का विराट सौभाग्य उन्हें मिला है। अंजिक्या रहाणे  के पास भी ऑस्ट्रेलिया को हराने का अद्भुद गौरव है। अंतिम कप्तान रोहित शर्मा के हिस्से में विदेश में जीत का स्वाद नहीं रहा। शायद यही वजह रही कि वे इंग्लैंड दौरे में अपने हिस्से में जाते जाते दुखद यादें नहीं संजोना चाहते थे।

स्तंभकार- संजयदुबे

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