POLITICS; विरासत कौन संभालेगा? नवीन पटनायक के करीबी वीके पांडियन का राजनीति से संन्यास का ऐलान, बोले- आई एम सॉरी अगर मैंने…
भुवनेश्वर. ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के करीबी और BJD नेता वीके पांडियन ने एक्टिव पॉलिटिक्स से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है। बीजद की हार के बाद मीडिया से दूर रहे वी के पांडियन बुधवार रात दिल्ली चले गए और अब अरुण पटनायक के साथ भुवनेश्वर लौट आए हैं।
ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के करीबी और BJD नेता वीके पांडियन ने एक्टिव पॉलिटिक्स से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है। लोकसभा में BJD की करारी हार के बाद पार्टी सुप्रीमो नवीन पटनायक के सबसे ज्यादा करीबी वीके पांडियन ने सक्रिय राजनीति छोड़ने का ऐलान किया है। उन्होंने बड़े ही भावुक अंदाज में इसका ऐलान किया है. बता दें कि लोकसभा चुनाव में बीजू जनता दल को करारी हार का सामना करना पड़ा है। ओडिशा विधानसभा चुनाव में भी नवीन पटनायक को तगड़ा झटका लगा है। तकरीबन ढाई दशक में पटनायक को राजनीति में इस तरह की हार का सामना करना पड़ा है।
इधर बीजू जनता दल की हार के बाद बीजू पटनायक के पोते अरुण पटनायक ओडिशा पहुंचे। जहां बीजद की हार के लिए वीके पांडियन और उनकी टीम को दोषी ठहराया जा रहा है, वहीं अरुण के अचानक भुवनेश्वर पहुंचने से बीजद की राजनीति गर्म हो गई है। इस बात को लेकर अटकलें हैं कि नवीन पटनायक के उत्तराधिकारी के तौर पर अरुण बीजद का नेतृत्व करेंगे या फिर नवीन को सांत्वना देकर दिल्ली लौट आएंगे।
पार्टी के इस खराब प्रदर्शन के बाद अब बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक सामने आए हैं और पार्टी विधायकों, हारे हुए उम्मीदवारों और अन्य लोगों से सीधे मुलाकात कर रहे हैं। लेकिन बैठक के दौरान पांडियन को दरकिनार कर दिया गया है। वहीं अरुण के अचानक भुवनेश्वर पहुंचने से बीजद की राजनीति गर्म हो गई है।
नवीन पटनायक के भतीजे संभाल सकते हैं विरासत
जानकारी के मुताबिक, नवीन पटनायक के बड़े भाई प्रेम पटनायक के बेटे अरुण भुवनेश्वर पहुंचे। बीजेडी नेता वीके पांडियन के साथ वह दिल्ली से आए और सीधे नवीन निवास गए। बीजद के संगठन सचिव प्रणब प्रकाश दास (बॉबी) ने हवाई अड्डे पर अरुण और पांडियन की अगवानी की। पांडियन और बॉबी नवीन निवास में कुछ समय बिताने के बाद अपने घर लौट गए हैं। पता चला है कि अरुण नवीन निवास में पूर्व सीएम नवीन बाबू के साथ है।
पटनायक ने पांडियन को उत्तराधिकारी बनाने से किया था इंकार
हालांकि, पिछले हफ्ते नवीन पटनायक ने कहा था कि पांडियन उनके उत्तराधिकारी नहीं हैं, इसलिए अब बीजद अरुण को लाकर पार्टी को बचाने की कोशिश कर रही है। बीजद के एक वर्ग ने कहा है कि नवीन के सक्रिय होने पर पार्टी का नेतृत्व अरुण को देने की योजना हो सकती है क्योंकि बीजद की स्थिरता को लेकर आशंकाएं हैं। हालांकि एक अन्य गुट का कहना है कि नवीन के परिवार के सदस्य (अरुण) उन्हें सांत्वना देने भुवनेश्वर आए हैं कि केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री रहने के 27 साल बाद वह मानसिक रूप से टूट जाएंगे। अरुण 2-3 दिन रुककर दिल्ली लौट जाएंगे। पहले ही अरुण को राजनीति में लाने की कोशिश हुई थी मगर उन्होंने मना कर दिया था। ऐसे में सभी की निगाहें अब बदली परिस्थितियों में अरुण की भूमिका पर होंगी।