राजनीति

POLITICS;सीएम साय का विश्व आदिवासी महोत्सव में शामिल नहीं होना आदिवासी समाज का अपमान

रायपुर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय इंडोर स्टेडियम में आयोजित विश्व आदिवासी दिवस महोत्सव कार्यक्रम में समय देने के बाद भी शामिल नहीं हुए। ये समस्त आदिवासी समाज का अपमान है, आदिवासी समाज विष्णु देव साय के मुख्यमंत्री बनने पर गर्व महसूस कर रहे थे। लेकिन साय ने समाज की उपेक्षा की है। भाजपा की सरकार बनने 8 महीने में आदिवासी वर्ग के ऊपर अत्याचार, शोषण, उनके जल, जंगल, जमीन पर कब्जा करने का षड्यंत्र और निर्दोष आदिवासियों को नक्सली बताकर मुठभेड़ में मारा गया है। इस पूरे घटनाक्रम के बाद मुख्यमंत्री साय आदिवासी समाज से नजर मिलाने से डर रहे हैं। कांग्रेस ने हमेशा कहा है कि भाजपा सरकार में आदिवासी वर्ग की उपेक्षा होती है और आज वह दिख भी गया है।

आदिवासियों की उपेक्षा पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को पत्र लिखकर कहा है कि जब आप छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने थे पूरे आदिवासी समाज को प्रसन्नता हुई थी कि आदिवासी समाज से प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया है। 8 महीने की आपकी सरकार में आदिवासियों के ऊपर हो रहे अत्याचार, उपेक्षा से आज पूरा समाज आहत है। बस्तर में एक बार फिर से आदिवासी वर्ग नक्सलवादी तथा सुरक्षाबलो के दो पाटों के बीच पीस रहा है। पिछले पांच वर्षों में फर्जी मुठभेड़ में आदिवासियों की हत्यायें रूक गयी थी, आपके सराकर में लगातार फिर से बस्तर के आदिवासियों के ऊपर फर्जी मुठभेड़, फर्जी सरेंडर, फर्जी नक्सलियों के नाम से जेल भेजने का काम और निर्दोष आदिवासियों के ऊपर लगातार अत्याचार कर रही है। पिछले 8 माह में राज्य में डायरिया और मलेरिया से आदिवासियों की मौते हो रही है। संरक्षित जनजाति बैगा और पहाड़ी कोरवा की समुदाय के अनेकों लोगों की मौत मलेरिया, डायरिया से हुई है। मन व्यथित हो जाता है जब आपकी सरकार और पूरा तंत्र इन मौतों को रोकने ठोस उपाय करने के बजाय मौतों को नकारने में लग जाता है तब ऐसा महसूस ही नहीं होता कि हमारे ही समुदाय का व्यक्ति सरकार का मुखिया है।

आदिवासी राजधानी रायपुर में भी सुरक्षित नहीं

उन्होंने अफसोस जाहिर करते हुए कहा है कि आपके राज में बस्तर का आदिवासी राजधानी रायपुर में भी सुरक्षित नहीं है। राजधानी में आदिवासी बच्चे को पीट-पीटकर हत्या कर दी जाती है। बस्तर के लोहंडीगुड़ा में रहने वाला 21 साल का मासूम बच्चा मंगल मुराया का कसूर क्या था? उसने पढ़ाई करने नया रायपुर के एक निजी महाविद्यालय में प्रवेश लिया था। उसका सिर्फ इतना ही कसूर था कि वह मासूम आदिवासी था। उसने मासूमियत से रास्ता पूछा था, लिफ्ट मांगा था, उसको सरेआम गाड़ी में बैठा कर ले जाया गया पीट-पीट कर उसका हत्या कर दी गयी। उसका एटीएम कार्ड छिन भी लिया गया। आदिवासियों को 32 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिलाने छत्तीसगढ़ विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित आरक्षण विधेयक पिछले डेढ़ वर्षों से राजभवन में लंबित है आप उस पर भी मौन है।

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