राज्यशासन

छत्तीसगढ की सियासत ‘कही-सुनी’

रवि भोई

लोक निर्माण विभाग में प्रमोशन का खेल

वैसे तो लोक निर्माण विभाग सड़कों के निर्माण और उसकी गुणवत्ता को लेकर चर्चा में रहता है, पर अबकी बार विभाग वरिष्ठ अफसरों के प्रमोशन को लेकर सुर्ख़ियों में है,वहीं सीबीआई के राडार वाले राज्य लोक सेवा आयोग पर भी उंगुलियां उठने लगी हैं,क्योंकि पीडब्ल्यूडी के सीनियर अफसरों को पदोन्नति पीएससी मेंबर की अध्यक्षता वाली समिति ने दी है। कहते हैं 16 अगस्त 24 को पीएससी मेंबर संतकुमार नेताम की अध्यक्षता वाली समिति ने लोक निर्माण विभाग के आठ अधीक्षण अभियंताओं (सिविल ) को मुख्य अभियंता के पद पर प्रमोशन को हरी झंडी दी। कायदे से 2020 में अधीक्षण अभियंता बने अफसरों को प्रमोशन 2025 में मिलना था, लेकिन विभाग में मुख्य अभियंताओं की कमी के चलते एक साल पहले ही उन्हें प्रमोशन मिल गया। इन अफसरों के प्रमोशन के लिए विभाग ने कैबिनेट से विशेष अनुमति ली थी। याने एक साल की छूट ली थी। लोक निर्माण विभाग में मुख्य अभियंता के 11 पद हैं, जिनमें से तीन ही भरे हैं। आठ पद रिक्त होने के कारण विभाग को कामकाज प्रभावित होने का आधार मिल गया। प्रमोशन मेरिट कम सीनियरिटी के आधार पर किया जाना था और इसके लिए पदोन्नत होने वाले अफसरों के पांच साल की गोपनीय चरित्रावली और अचल संपत्ति देखी जानी थी। राज्य लोक सेवा आयोग ने विभाग को प्रमोशन के नियम -शर्तों की चिट्ठी भी जारी की। पदोन्नति नियम 2003 में साफ़-साफ़ लिखा गया है कि किसी अफसर के प्रमोशन के लिए उसके पांच साल का सीआर देखा जाना चाहिए। कहते हैं विभाग ने कुछ अफसरों को लाभ देने के लिए पांच साल की जगह चार साल की गोपनीय चरित्रावली देखने का फार्मूला अपना लिया। इस फार्मूले के कारण कुछ अफसर प्रमोशन की सूची में आगे आ गए, तो कुछ प्रमोशन की कतार में रहने के बाद भी झटका खा गए। याने 2019 से 2023 की जगह 2020 से 2023 तक का ही अधीक्षण अभियंता के रूप में उनकी गोपनीय चरित्रावली को देखी गई। इस फार्मूले के कारण जिस अफसर का सीआर 2019 में ‘क प्लस’था, उसे नुकसान हो गया और जिसका सीआर ‘क’ था उसे फायदा हो गया। बताते हैं विभाग में सचिव रहे एक अफसर ने एक ही तारीख में विभाग के अलग-अलग ईएनसी का अफसरों के बारे में मूल्यांकन का आंकलन कर अलग-अलग श्रेणी दिया। विभाग के पुराने सचिव द्वारा सीआर लिखे जाने के आठ दिन के भीतर ही विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक पर भी सवाल उठ रहे हैं। कहते हैं अधीक्षण अभियंता से मुख्य अभियंता के प्रमोशन के मुद्दे पर एक अफसर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट गए हुए हैं। 9 सितंबर को कोर्ट में सुनवाई होनी है,पर उसके पहले विभाग ने डीपीसी करवा दी। कहा जा रहा है कि विभाग ने भले हाईकोर्ट के डायरेक्शन का इंतजार नहीं किया, पर दो वरिष्ठ अधीक्षण अभियंता के रिटायरमेंट का इंतजार किया। एक अफसर 30 जून को रिटायर हो गए तो एक अफसर 31 जुलाई को। खबर है कि एक अफसर अधीक्षण अभियंता बनने के साथ ही मुख्य अभियंता की कुर्सी संभाले हुए हैं। लोक निर्माण विभाग में अफसरों के प्रमोशन के लिए सरकार से छूट का यह पहला मामला नहीं है। विभाग ने पहले भी 2007 में कार्यपालन अभियंता से अधीक्षण अभियंता के प्रमोशन में एक साल की और 2010 में अधीक्षण अभियंता से मुख्य अभियंता के प्रमोशन में दो साल की छूट ली थी। कहते हैं इस छूट का लाभ लेकर ऊँची कुर्सी पाने वालों में वर्तमान प्रमुख अभियंता कमलेश कुमार पीपरी भी शामिल हैं। इस बार छूट के साथ फार्मूला बदलने और कुछ अफसरों के सिर में सेहरा बांधने की कोशिश ने विभाग को कटघरे में खड़ा कर दिया है। कहते हैं वंचित लोग जल्द ही हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले हैं।

भाजपा नेता बनेंगे मुख्यमंत्री के सलाहकार

खबर है कि भाजपा के दो नेता जल्द ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सलाहकार बनाए जाएंगे। बताते हैं ये मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार होंगे। अभी मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार तो हैं, पर कोई राजनीतिक सलाहकार नहीं हैं। चर्चा है कि राजनीतिक सलाहकार की कतार में खड़े एक राजनेता पूर्व विधायक हैं तो एक नेता अभी प्रदेश संगठन में पदाधिकारी हैं। मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार बनने जा रहे पूर्व विधायक विधानसभा चुनाव में रणनीतिकार थे। पार्टी ने उन्हें 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ाया, पर वे हार गए। अब उनके अनुभव का लाभ लेने के लिए राजनीतिक सलाहकार की भूमिका में रखने की बात चल रही है। मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार बनने वाले दूसरे नेता काफी सालों से संगठन से जुड़े हैं। डॉ रमन सिंह के मुख्यमंत्रीत्वकाल में ये नेता एक निगम-मंडल के अध्यक्ष थे। 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने टिकट की मांग की थी, लेकिन मिली नहीं। ख़बरों के मुताबिक़ अब उनके अनुभव का लाभ सरकार में सलाहकार के रूप में लिया जाएगा। दोनों नेताओं को संगठन का करीबी माना जाता है।

भूपेश बघेल के केंद्रीय संगठन में जाने की चर्चा

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में जाने की चर्चा है। कहा जा रहा है कि भूपेश बघेल को केंद्रीय संगठन में महासचिव बनाकर किसी राज्य का प्रभारी बनाया जा सकता है। भूपेश बघेल को सरकार और संगठन दोनों का अनुभव होने के कारण हाईकमान उन्हें दिल्ली की राजनीति में ले जाने के मूड में है। भूपेश बघेल को प्रदेश की राजनीति से दूर करने के साथ कांग्रेस की छत्तीसगढ़ इकाई में बदलाव की खबर है। माना जा रहा है कि प्रदेश संगठन का चेहरा बदलने के साथ कई महासचिव और सचिव भी बदलेंगे। वैसे कांग्रेस संगठन को फिलहाल मोइली कमेटी की रिपोर्ट आने का इंतजार है, पर रिपोर्ट के आधार पर किसी के खिलाफ कार्रवाई की गुंजाइश कम ही आंका जा रहा है, क्योंकि मोइली कमेटी के सामने छोटे नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कुछ बड़े नेताओं की नामजद शिकायत की है।

त्रिमूर्ति के बीच घिरे मंत्री जी

आजकल राज्य के एक मंत्री जी के त्रिमूर्ति के बीच घिरे होने की बड़ी चर्चा है। पहली बार मंत्री की कुर्सी पर विराजे माननीय के पास तीन विभाग हैं तो त्रिमूर्ति का होना लाजिमी है। कहते हैं त्रिमूर्ति लोगों का मंत्री जी से पुराना नाता है, भले ही मंत्री जी के बुरे दिन में वे साथ नजर नहीं आते थे,पर मंत्री बनने के बाद उनके इर्द-गिर्द ही दिखते हैं। कहते हैं एक मूर्ति तो मंत्री जी के साथ पढ़े-लिखे हैं। चर्चा है त्रिमूर्तियों के कारण मंत्री जी के दुःख के साथी दूर भागने लगे हैं, वहीं त्रिमूर्तियों से विभाग के अफसर भी दुखी बताए जाते हैं क्योंकि त्रिमूर्तियों को पहले से सरकारी कामकाज का अनुभव नहीं है। वे अपनी मर्जी से कुछ भी कराना चाहते हैं,वह विभाग के अफसरों को नहीं भा रहा है।

दक्षिण सीट पर चलेगी बृजमोहन की ही

उम्मीद की जा रही थी कि रायपुर दक्षिण सीट में उपचुनाव अक्टूबर में हो जाएगा, लेकिन जम्मू -कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव के साथ यहां भी सितंबर-अक्टूबर में चुनाव की घोषणा नहीं की गई। अब आंकलन है कि महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के साथ इस सीट पर चुनाव हो जाएगा। चुनाव कभी भी हो, एक बात तो साफ़ है कि प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल की पसंद का होगा। सांसद बृजमोहन अग्रवाल यहां से 1990 से लगातार करीब 35 साल तक विधायक रहे हैं और कार्यकर्ताओं के बीच उनकी अपनी अलग पहचान है, ऐसे में उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी की जीत में बड़ा योगदान रहने वाला है। माना जा रहा है कि हाईकमान उनको नजरअंदाज कर यहां का टिकट फ़ाइनल नहीं करेगी। इस कारण दावेदारों में अभी उनके करीबी लोगों का नाम आगे है। दावेदारों में फिलहाल पूर्व सांसद सुनील सोनी का नाम सबसे ऊपर है। इसके अलावा उनके निज सहायक मनोज शुक्ला और पारिवारिक सदस्यों का नाम भी चर्चा में है। भाजपा ने सांसद रहते रेणुका सिंह, गोमती साय और विजय बघेल को 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ाया था। पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में सुनील सोनी का टिकट काटकर बृजमोहन अग्रवाल को उम्मीदवार बनाया। इस कारण सुनील सोनी की दावेदारी को मजबूत माना जा रहा है।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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