PROTEST;उप पंजीयकों को जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों के सीईओ पद पर बैठाने की तैयारी का विरोध,सौंपा ज्ञापन
रायपुर, सहकारिता विभाग द्वारा अपने उप पंजीयकों को जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी पद पर बैठाने की तैयारी की जा रही है। छत्तीसगढ़ को- आपरेटिव्ह बैंक एम्प्लाईज फेडरेशन द्वारा इसका पुरजोर विरोध किया जा रहा है। प्रदेश में मार्केटिंग सोसायटी, बुनकर समिति, मतस्य समितियां, उपभोक्ता भंडार सहकारी गृह निर्माण समिति व किसान राईस मिलें कार्यरत थीं। वहां उप पंजीयकों एवं सहायक पंजीयकों के गलत कार्य प्रणाली के कारण घाटे में आकर बंद हो चुके हैं। इस संबंध में को-आपरेटिव्ह बैंकों के यूनियन ने कल विधान सभा अध्यक्ष डा0रमन सिंह एवं उप मुख्यमंत्री व गृह मंत्री विजय शर्मा को ज्ञापन सौंपा है।
ज्ञापन में बताया गया है कि प्रदेश में एक अपेक्स बैंक एवं 6 जिला सहकारी बैंक कार्यरत हैं। वर्तमान में प्रदेश में त्रिस्तरीय व्यवस्था लागू है जिसे रमन सिन्ह के मुख्यमंत्रित्व काल में द्विस्तरीय अल्पकालीन व्यवस्था का निर्णय सहकारिता के हित में लिया
गया था किंतु सत्ता परिर्वतन के पश्चात् विगत कांग्रेस सरकार द्वारा इस प्रस्ताव को निरस्त कर दिया गया था। लेख है कि पुनः आपकी पार्टी की सरकार प्रदेष में कार्य कर रही है, अतः सहकारी बैंकों में द्विस्तरीय व्यवस्था लागू किया जाना आवश्यक है।
सहकारिता क्षेत्र के जिला सहकारी बैंक, जो प्रदेश की कृषि व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है, को सहकारिता विभाग
द्वारा घुन की तरह खोखला करने के लिए लगातार षड़यंत्र किया जा रहा है जिसके तहत जिला सहकारी केन्द्रीय
बैंकों में पंजीयक सहकारी संस्थाएं के अधिकारी को प्रतिनियुक्ति में भेजने हेतु लगातार प्रयास किये जा रहे हैं
जिसे हमारे द्वारा पूर्व में विरोध कर सहकारी बैंक कर्मचारी सेवा नियम में सहकारिता विभाग के अधिकारियों की
प्रतिनियुक्ति हेतु किये जा रहे प्रावधान को रोका गया था, लेकिन हमारी जानकारी के अनुसार सहकारिता विभाग
के कुछ अधिकारियों द्वारा विभागीय मंत्री को भ्रामक जानकारी देते हुए अंधेरे में रखकर सभी जिला सहकारी
बैंकों में मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद पर सहकारिता विभाग के अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर भेजने की
नियम एवं विधि-विरूद्ध कार्यवाही की जा रही है।
सहकारिता विभाग द्वारा विभागीय अधिकारियों को सहकारी बैंक के सीईओ पर प्रतिनियुक्ति का प्रयास किया
जा रहा है, वह पूर्णतः अवैधानिक एवं विधि-विरूद्ध है क्योंकि सहकारी बैंक कर्मचारी सेवा नियम में ऐसा कोई
प्रावधान नहीं है। साथ ही सहकारी अधिनियम में भी इसका स्पष्ट उल्लेख है कि जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक में
अपेक्स बैंक के कैडर अधिकारी की ही प्रतिनियुक्ति होगी। इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के प्रकरण
सिविल अपील नं0 1961 – 2020 में पारित आदेश दिनांक 4 मार्च 2020 में भी सहकारी बैंकों में कैडर अधिकारी
को ही प्रतिनियुक्ति पर रखने का स्पष्ट उल्लेख है। प्रदेश में सहकारिता के तहत मार्केटिंग सोसायटी, बुनकर समिति,
उपभोक्ता भंडार, सहकारी गृह निर्माण समिति कार्यरत थीं, जो सहकारिता विभाग की गलत कार्य प्रणाली के कारण
घाटे में आकर बंद हो चुके हैं।
वर्तमान का ज्वलंत उदाहरण प्रदेशकी सहकारी शक्कर कारखाना कवर्धा, पंडरिया, अंबिकापुर एवं बालोद हैं,
जिनमें मुख्य कर्ताधर्ता सहकारिता विभाग के अधिकारी हैं, जो आज राज्य सरकार के सफेद हाथी हो गये हैं। सभी
कारखानों की औसत हानि 50 से 80 करोड़ रूपये सालाना है और सबको मिलाकर आज दिनांक तक लगभग 800
से 1000 करोड़ की हानि इन सहकारी शक्कर कारखानों के माध्यम से राज्य सरकार को उठानी पड़ चुकी
है। इसका मुख्य कारण है सहकारिता विभाग के कर्ताधर्ता अधिकारियों का भ्रष्टाचार और कारखाना चलाने संबंधी
तकनीकी ज्ञान का अभाव। सहकारिता अधिकारियों की अक्षमता एवं अनुभवहीनता के परिणामस्वरूप उक्त सभी
संस्थान बंद हो चुके हैं, जिससे शासन को आर्थिक हानि हुई है।
सहकारी बैंक कोआपरेटिव्ह एक्ट के नियमों के तहत संचालित होता है। उक्त एक्ट में भी स्पष्ट उल्लेख है कि जिला सहकारी बैंकों में मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद पर अपेक्स बैंक के कैडर अधिकारी ही प्रतिनियुक्ति पर भेजे जायेंगे। हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सहकारी बैंकों के सीईओ की नियुक्ति व हटाने के पूर्व आरबीआई की पूर्वानुमति का प्रावधान हेतु निर्देश भी जारी किया गया है। उक्त निर्देश में बैंकिंग क्षेत्र में 10 वर्ष के कार्य अनुभव सहित निर्धारित योग्यता होने पर ही सहकारी बैंकों के सीईओ के पद पर नियुक्त करने का उल्लेख है। भारतीय रिजर्व बैंक के उक्त निर्देष के तहत सहकारिता विभाग के किसी अधिकारी को बैंकिंग क्षेत्र में कार्य का कोई अनुभव नहीं है। ऐसी दशा में ऐसे अनुभवहीन अधिकारी को सहकारी बैंकों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जैसे महत्वपूर्ण पद पर प्रतिनियुक्त किया जाना उचित नहीं होगा।
ऐसी स्थिति में सहकारिता विभाग के अधिकारियों को सहकारी बैंकों में प्रतिनियुक्ति पर भेजा जाना आत्मघाती कदम होगा एवं सहकारी बैंकों के अस्तित्व के लिए समयोचित नहीं होगा। सहकारिता विभाग के अधिकारियों को सहकारी बैंकों में प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाने की कार्यवाही पर तत्काल रोक लगावें एवं भविष्य में इस तरह के षड़यंत्रपूर्वक किसी भी कृत्य को रोकने हेतु कठोर निर्देश जारी कर प्रदेश के सहकारी आन्दोलन को मजबूत दिशा प्रदान करें ।
यूनियन के प्रतिनिधि मंडल में छत्तीसगढ़ कोआपरेटिव बैंक एमप्लाईज फेडरेशन के प्रादेश अध्यक्ष चन्द्र प्रकाश
व्यास, महासचिव राजेन्द्र शर्मा रायपुर से देवेंद्र पाण्डे, युवराज दुबे, विधान तिवारी, दुर्ग से लक्ष्मीनारायण
चंद्राकर, अजय राजपूत, राजनांदगाँव से प्रकाश अखिलेश, मनीष श्रीवास्तव, प्रकाश शुक्ला, बिलासपुर से
भागवत यादव, शशांक दुबे, सूर्यकांत जायसवाल, जगदलपुर से सुमित सागर गुप्ता, मोरध्वज तिवारी मौजूद थे।