STRIKE; ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल से हाईवे बंद, लोग परेशान, पेट्रोल पंप पर लंबी कतारें
रायपुर, हिट एंड रन मामले में नए कानून के विरोध में प्रदेश भर में ट्रक, डंपर, बस सहित अन्य वाहनों के ड्राइवरों ने प्रमुख मार्गों पर भारी वाहन खड़े कर दिए, जिससे आवागमन बुरी तरह प्रभावित हुआ और लोगों का आना-जाना मुश्किल हो गया है। राजधानी रायपुर के आसपास स्थित मार्गों पर लोग सोमवार सुबह से आवागमन के लिए परेशान होते दिखाई दिए। पुलिस-प्रशासन की तैयारियां ड्राइवरों की हड़ताल के सामने पूरी तरह ध्वस्त हो गई है। उधर, पेट्रोल पंपों पर वाहनों की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं। कुछ पंपों पर पेट्रोल-डीजल की समस्या भी खड़ी होने लगी हैं। राजधानी के शास्त्री चौक के पास पेट्रोल पम्प में मारामारी रही।
ड्राइवर एसोसिएशन ने बताया कि नया प्रविधान ड्राइवरों के साथ अन्याय है। हम पुराना प्रविधान मानने को तैयार हैं। जब तक नया प्रविधान वापस नहीं लिया जाता, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।
ड्राइवरों की हड़ताल की वजह से राजधानी में थोक बाजार में भी चिंता पसर गई है। सुबह से ही प्रमुख बाजारों से लेकर मंडियों तक में हड़ताल का असर नजर आने लगा। रविवार-सोमवार की दरमियानी रात से ही मंडी में माल लेकर आने वाले ट्रकों की संख्या में कमी आ गई। सुबह से ही बसों का संचालन नहीं होने की वजह से राजधानी से अन्य राज्यों और प्रदेश के शहरों के लिए जाने वाले यात्री परेशान होते रहे। लोक परिवहन के अन्य वाहनों का संचालन नहीं होने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। पेट्रोल-डीजल टैंकरों के वाहन चालकों द्वारा भी वाहन नहीं चलाने की वजह से सुबह के कुछ घंटो बाद ही पेट्रोल पंपो पर पेट्रोल-डीजल की किल्लत शुरू हो गई।
राजधानी समेत बस्तर-सरगुजा क्षेत्र के कई शहरों में सुबह से पेट्रोल पंपों पर वाहन चालकों की लंबी कतार लगने लगी थी। पेट्रोल पंप एसोसिएशन का कहना है कि टैंकरों की हड़ताल के कारण कई पंपों पर ईंधन खत्म हो गया है। हालांकि, प्रशासन की पहल पर कुछ पंपों पर टैंकर पहुंचाए गए है। इसके बाद भी शाम तक शहर और आसपास के कई पंपों पर स्टाक खत्म होने लगा था।
कांग्रेस ने कहा-ड्राइवरों की मांग जायज़
मोदी सरकार के अधिनायकवादी फैसलों के विरोध में ड्राइवरों के हड़ताल पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि मन की बात करना और मनमानी थोपना केंद्र की मोदी सरकार का राजनीतिक चरित्र बन चुका है। निजी बीमा कंपनियों को मुनाफा पहुंचने के लिए जन विरोधी नीति थोपी गई है। वाहन चालक आर्थिक रूप से इतना सक्षम नहीं होते हैं, कि वे 10 लाख रुपए का जुर्माना पटा सके। गरीब ड्राइवर पर दोहरी मार केंद्र की मोदी सरकार के फैसले से पड़ने वाली है। एक तरफ भारी भरकम जुर्माना, दूसरी तरफ 7 साल जेल की सजा ऐसे में जब परिवार का कमाने वाला मुखिया एक ड्राइवर 7 साल के लिए जेल चला जाएगा तो उसके परिजनों का क्या होगा? उनका भरण पोषण कैसे होगा? केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा थोपे गए इस काले कानून से देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वाहन चालक वर्ग बुरी तरह से भयभीत है। दुर्घटना जानबूझकर नहीं होते, ऐसे में भारी भरकम जुर्माना और लंबी सजा का प्रावधान आम वाहल चालकों के सामर्थ्य से बाहर हैं, अमानवीय है, अव्यावहारिक है।