EDUCATION; प्रधान पाठक पद पर वरिष्ठता प्रदान कर प्राचार्य पद की संशोधित पदोन्नति सूची जारी करने की मांग,प्रतिनिधि मंडल शिक्षा सचिव से मिला
पदोन्नति की मांग

रायपुर, आज प्रदेश के सैकड़ों ब्याख्याताओं ने शिक्षा सचिव और संचालक को आवेदन देकर न्यायालय के पारित आदेश के पालन में एच एम पद से वरिष्ठता देकर विगत 30 अप्रेल को जारी प्राचार्य पदोन्नति आदेश में शामिल कर संशोधित पदोन्नति आदेश जारी करने की मांग की है। ये ब्याख्याता शिक्षक जो प्रधान पाठक पूर्व माध्यमिक शाला से पदोन्नत होकर ब्याख्याता बने हैं और जो स्नातकोत्तर एवं प्रशिक्षित हैं।
आवेदन में वस्तु स्थिति से अवगत कराते हुए बाताया गया है कि छ ग उच्च न्यायालय ने अपने पारित आदेश दिनांक 09.03.2023 को यह स्पष्ट निर्देश दिया है कि छ ग स्कूली शिक्षा शैक्षिक एवं प्रशासनिक संवर्ग नियम 2019 के नियम 15 (1) अल्ट्रावायरस है और उन्होंने इसे संशोधन करने का निर्देश दिया था। परन्तु इसे बिना संशोधित किए पदोन्नति आदेश जारी कर दिया गया है। इससे प्रदेश के सैकड़ों वरिष्ठ पात्र व्याख्याता पदोन्नति से वंचित हो रहे हैं।
कर्मचारी नेता विजय कुमार झा ने बताया है कि न्यायालय के वर्तमान पारित आदेश दिनांक 01.07.2025 में भी माननीय न्यायालय ने इस नियम को संशोधन करने के अपने पूर्व आदेश पर सहमति व्यक्त है। इस संबंध में दुर्ग सांसद श्री विजय बघेल ने भी शिक्षा सचिव को पत्र लिखकर माननीय न्यायालय के पारित आदेश का पालन करने की मांग करते हुए संशोधित पदस्थापना आदेश जारी करने की मांग किया है।
प्रभावित व्याख्याताओं ने यह भी जानकारी दी है कि पदोन्नति आदेश जारी करने के पहले ब्याख्याता की स्नातकोत्तर एवं प्रशिक्षित प्रधान पाठक पद पर वरिष्ठता प्रदान कर वरिष्ठता सूची जारी नहीं किया गया है। न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किए जाने के कारण विगत एक वर्ष से अनेकों याचिकाएं न्यायालय में लंबित हैं और इनका जबाब शासन को दिया जाना है जारी आदेश में सैकड़ों सेवा निवृत्त, दिवंगत और पांच वर्ष से कम सेवा अवधि वालों का नाम है। शिक्षा सचिव ने इस पर विचार करने का आश्वासन दिया है। अब देखना यह है कि सचिव इस पर क्या निर्णय लेते हैं।
प्रभावित व्याख्याताओं ने आवश्यकता अनुसार माननीय न्यायालय में अवमानना याचिका दायर करने से भी अवगत कराया है। ज्ञात हो कि माननीय न्यायालय में स्टे होने के बावजूद भी पदोन्नति आदेश जारी कर दिया गया था। जिसके कारण सचिव और संचालक को अवमानना नोटिस जारी किया गया था। इस प्रकरण में भी अवमानना स्थिति निर्मित हो इस पर विचार करते हुए मांग की गई है कि माननीय न्यायालय के पूर्व आदेश का पालन किया जाए और संशोधित पदोन्नति आदेश जारी करने के बाद ही पदस्थापना की कार्यवाही किया जाए।