WILD LIFE;घर में मिली दुर्लभ प्रजाति की एशियन पाम सिवेट मां और बच्चे, वन विभाग ने किया सुरक्षित रेस्क्यू
पाम सिवेट

बिलासपुर, कोरबा जिले के कटघोरा वनमंडल के मुंडाली गांव में एक दुर्लभ एशियन पाम सिवेट और उसके पांच बच्चों को वन विभाग और नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी की संयुक्त टीम ने सुरक्षित रेस्क्यू किया। सिवेट मां अपने बच्चों के साथ गांव के एक घर की धान की कोठी में रह रही थी।

घर के मालिक केशव जायसवाल ने वन विभाग को सूचना दी कि सिवेट मां बच्चों को छोड़कर जाने को तैयार नहीं थी। कटघोरा वनमंडलाधिकारी कुमार निशांत के निर्देश में रेंजर अशोक मान्यवर, डिप्टी सुखदेव सिंह मरकाम, महेंद्र देवेंगन, और नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष एम. सूरज, जितेंद्र सारथी, मयंक बागची व बबलू मारुवा की टीम ने संवेदनशीलता के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा किया।
टीम ने सावधानीपूर्वक सिवेट मां और बच्चों को बिना किसी तनाव या हानि के पकड़ा और उन्हें निकटवर्ती सुरक्षित वन क्षेत्र में उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया। यह रेस्क्यू ऑपरेशन वन्यजीव संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने में एक उल्लेखनीय उदाहरण है।
एशियाई पाम सिवेट को रात्रिचर, वृक्षीय और अधिकतर एकान्तवासी होने के लिए जाना जाता है। शिकार और भोजन की उपलब्धता एशियाई पाम सिवेट के सामाजिक संगठन और गतिविधि को निर्धारित करने वाले मुख्य कारक हैं। वे केवल रात के समय सक्रिय होते हैं, दिन के दौरान पेड़ों पर आराम करते हैं। यह देखा गया है कि सिवेट शाम से सुबह तक सक्रिय रहते हैं, और चमकीले चाँद से प्रकाशित रातों की तुलना में अंधेरी रातों में अधिक सक्रिय होते हैं। वे शाम की शुरुआत में अधिक सक्रिय होते हैं, ज़्यादातर भोजन की तलाश में, फिर भोर होने पर आराम करने के लिए जगह ढूँढ़ते हैं। दिन के दौरान, जब पाम सिवेट आराम करते हैं, तो वे पेड़ों के छेदों में, चट्टानों की दरारों के अंदर या लताओं के बीच में दुबक जाते हैं।