PADDY; पश्चिम उडीसा में धान खरीदी में देरी से किसान भड़के, दी आंदोलन की चेतावनी,सत्ताधारी दल के नेता भी पशोपेश में

संबलपुर, पश्चिम उडीसा में खरीफ धान खरीद प्रक्रिया 28 नवंबर को शुरू होने के कुछ ही दिनों बाद ठप पड़ गई है, जिससे किसानों में गुस्सा है क्योंकि मंडियों में बिना बिका अनाज पड़ा हुआ है। इस देरी के कारण हजारों किसान खरीद टोकन का इंतजार कर रहे हैं, जबकि मिलर्स कथित तौर पर अनाज उठाने के काम से दूर रह रहे हैं। किसानों के विरोध के चलते भाजपा नेत भी असमंजस में है। वे किसानों का सामना नहीं कर पा रहे है।
धान खरीद के लिए टोकन जारी करने में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए किसानों ने शुक्रवार को संबलपुर के सिंदूरपंक चौक के पास राष्ट्रीय राजमार्ग पर धरना दिया. प्रदर्शनकारियों के मुताबिक, संबलपुर जिले के कई किसानों ने अपना धान बेचने के लिए पंजीकरण कराया है, लेकिन उनमें से कई को कथित तौर पर उनके टोकन नहीं मिले हैं. सैकड़ों किसानों ने इस स्थिति से नाखुश होकर इस मुद्दे के समाधान की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया.
पूर्व मंत्री और बीजेडी के जिला अध्यक्ष रोहित पुजारी भी रेमेड चौक पर प्रदर्शन में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि टोकन व्यवस्था को ठीक से लागू न करने के कारण किसान सड़क पर उतरने को मजबूर हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और मिलरों की मिलीभगत से कटौती को बढ़ावा दिया जा रहा है.

रविवार को समता भवन बारगढ में हुई बैठक में पश्चिमी ओडिशा किसान संगठन समन्वय समिति ने चेतावनी दी कि अगर तुरंत सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो यह गतिरोध बड़े पैमाने पर अशांति में बदल सकता है। यह चेतावनी तब आई जब किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि मंडियां देर से खुलने के बावजूद, सरकार खरीद प्रक्रिया को चालू करने में विफल रही है।
किसानों ने शिकायत की कि कुछ ही केंद्रों पर धान की सिर्फ ‘नाममात्र’ मात्रा खरीदी गई है, जिससे हजारों बोरियां पड़ी हुई हैं और यह साफ नहीं है कि उन्हें कब उठाया जाएगा। किसान नेताओं ने विधानसभा सत्र चलने के बावजूद कोई ठोस योजना पेश करने में विफल रहने के लिए सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि किसानों की चिंताओं पर ध्यान देने के बजाय, सत्ताधारी और विपक्षी दोनों पार्टियों के नेता राजनीतिक बयानबाजी कर रहे हैं, जिसे उन्होंने कृषि समुदाय का अपमान बताया।
यूनियनों ने पिछली सरकारों पर भी मिलर्स को खरीद की शर्तें तय करने की अनुमति देने का आरोप लगाया, जिससे किसानों का और शोषण हुआ। उन्होंने मांग की कि राज्य छत्तीसगढ़ की तर्ज पर सीधी खरीद प्रणाली अपनाए, जहां सरकार सीधे किसानों से धान खरीदती है और उसे मंडियों तक पहुंचाती है। किसान नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर सरकार इस संकट को नजरअंदाज करती रही, तो संगठन के पास किसी भी समय अपना आंदोलन तेज करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। बैठक में वरिष्ठ किसान नेता सिबा प्रसाद प्रधान, महासचिव हरा बानिया, अरुण कुमार साहू, भंजन बारिक, अरुण प्रधान, सुरेंद्र मेहर, मंत्री बारिक, विजय प्रधान, कुना बेहरा, प्रबीन साहू और सीताराम मेहर शामिल हुए।
किसानों की समस्याओं का शीघ्र हो समाधान – धर्मेंद्र प्रधान
राज्य में खरीफ सीजन में धान बेचने में आ रही किसानों की समस्याओं को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के साथ बातचीत कर शीघ्र समस्या सुलझाने का सुझाव दिया. समस्या को लेकर किसान सड़क पर कुछ दिनों से आंदोलन कर रहे है. प्रशासन, किसान और मिलर्स के बीच चर्चा के बाद धान की बिक्री शुरू तो हुई, लेकिन फिर किसानों को टोकन मिलने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इसे लेकर किसान सड़क पर उतरे हैं. आंदोलन की सूचना मिलने पर संबलपुर सांसद तथा केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के साथ फोन पर लंबी बात कर किसानों के समस्या पर चर्चा की और इसे शीघ्र सुलझाने का सुझाव मुख्यमंत्री को दिया. क्षेत्रीय मीडिया प्रभारी मानस रंजन बक्सी ने प्रेस बयान जारी कर इसकी सूचना दी.




