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VOILENCE;बांग्लादेश में क्यों भड़की हिंसा? एक दिन में 100 लोगों की मौत, आर्मी में भी दो फाड़

ढाका, एजेंसी, बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन की आग फैलती जा रही है. 4 अगस्त (रविवार) को हुई हिंसा में करीबन 100 लोगों की मौत हो गई है. जिसमें कम से कम एक दर्जन से ज्यादा पुलिसकर्मी और कई पत्रकार शामिल हैं. राजधानी ढाका समेत देश के ज्यादातर हिस्सों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं और अनिश्चितकाल के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है. बांग्लादेश में जारी हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी चिंता जाहिर की है.

बांग्लादेश में क्यों भड़की हिंसा?
बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन (Bangladesh Violence) की जड़ आरक्षण है. दरअसल, यहां सरकारी नौकरियों मे 56 फीसदी आरक्षण लागू है. इसमें से 30 फ़ीसदी आरक्षण अकेले 1971 के मुक्ति संग्राम में भाग लेने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को मिलता है. इसके अलावा 10% आरक्षण सामाजिक-आर्थिक तौर पर पिछड़े जिलों के लिए है और 10 फ़ीसदी महिलाओं के लिए. जबकि 5 फ़ीसदी आरक्षण जातिगत अल्पसंख्यक समूहों के लिए और एक फीसदी दिव्यांगों के लिए है.

प्रदर्शनकारी छात्रों का सबसे बड़ा विरोध मुक्ति संग्राम के परिवार वालों को मिलने वाला 30 फ़ीसदी आरक्षण है. उनका तर्क है कि इससे मेरिट वाले नौजवानों को नौकरी नहीं मिल रही है, बल्कि अयोग्य लोगों को सरकारी नौकरी में भरा जा रहा है. छात्रों के उग्र प्रदर्शन के बाद सरकार ने अधिकांश कोटा वापस ले लिया है, लेकिन अब लड़ाई आरक्षण से हटकर प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग पर आ गई है.

सविनय अवज्ञा आंदोलन का आह्वान
छात्र नेताओं ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर सविनय अवज्ञा आंदोलन की घोषणा की है. नागरिकों से अपील की है कि वे टैक्स और दूसरे सरकारी बिल जमा न करें. इसके अलावा फैक्ट्री, सरकारी दफ्तरों को बंद करने की भी अपील की है. छात्रों ने 5 अगस्त को राजधानी ढाका में लॉन्ग मार्च की घोषणा भी की है. हालांकि सरकार ने ढाका में कर्फ्यू लगा दिया है और 6 अगस्त तक छुट्टियां घोषित कर दी हैं. इसके बावजूद हालात और बिगड़ने की आशंका है.

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