POLITICS; छत्तीसगाढ की सियासत ‘कही-सुनी’

रवि भोई
क्या राजेश अग्रवाल को बना दिया गया नाम का मंत्री
कहा जा रहा है कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव को मात्र 94 वोटों से हराने वाले अंबिकापुर के विधायक राजेश अग्रवाल मंत्री तो बन गए, पर उन्हें न तो अच्छा विभाग मिला और न ही प्रभार का अच्छा जिला। पर्यटन,संस्कृति और धार्मिक तथा धर्मस्व मंत्री राजेश अग्रवाल गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (जीपीएम) के प्रभारी मंत्री बनाए गए हैं। राजेश अग्रवाल के साथ मंत्री बने गजेंद्र यादव स्कूल शिक्षा के साथ ग्रामोद्योग और कानून मंत्री भी हैं, तो गुरू खुशवंत साहेब के पास अनुसूचित जाति,तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार विभाग है। गजेंद्र यादव राजनांदगांव तो खुशवंत साहेब सक्ती के प्रभारी मंत्री बनाए गए हैं। राजेश अग्रवाल को मिलाकर सरगुजा संभाग से पांच मंत्री हो गए हैं। मुख्यमंत्री भी इसी संभाग से आते हैं। वैसे भूपेश बघेल राज में दुर्ग वजनदार था। तब यहां से मुख्यमंत्री समेत पांच मंत्री थे। छत्तीसगढ़ में कैबिनेट विस्तार में क्षेत्रीय संतुलन पर जातीय संतुलन भारी पड़ा। जातीय संतुलन के आधार पर राजेश अग्रवाल मंत्री बन गए, उनके मंत्री बनने पर लोग कयास लगा रहे हैं कि सरगुजा राजपरिवार को मात देने का पुरस्कार मिला या एक उद्योगपति की उन पर कृपा बरसी।
मुख्य सचिव अमिताभ जैन का पुनर्वास तय
कहते हैं विष्णुदेव साय की सरकार ने मुख्य सचिव अमिताभ जैन को छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग का अध्यक्ष बनाने का मन बना लिया है, हालाँकि भाजपा के कुछ नेता सरकार की मंशा से सहमत नहीं हैं। फैसला मुख्यमंत्री को लेना है। बताते है मुख्यमंत्री चाहते है रिटायर मुख्य सचिव का पुनर्वास हो जाय। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष का पद रिक्त हो गया है। हेमंत वर्मा ने इस्तीफा दे दिया है। हेमंत वर्मा की नियुक्ति भूपेश बघेल के राज में हुई थी। उनका कार्यकाल एक वर्ष बचा था। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग का अध्यक्ष का कार्यकाल पांच वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होती है। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग में पहले भी रिटायर्ड आईएएस अध्यक्ष रहे हैं। अमिताभ जैन अध्यक्ष बनते हैं तो उन्हें करीब पौने पांच साल मिल जाएगा। श्री जैन इस साल जून में रिटायर होने वाले थे, पर सरकार ने उन्हें तीन महीने की सेवावृद्धि दे दी। वैसे कहते हैं अमिताभ जैन मुख्य सचिव के पद से रिटायर होने के बाद मुख्य सूचना आयुक्त बनना चाहते थे। इस पद के लिए उन्होंने इंटरव्यू भी दिया था। इस पर नियुक्ति में हाईकोर्ट का स्टे है और फिर इस पद के लिए रिटायर्ड डीजीपी अशोक जुनेजा का नाम चल रहा है।
विकास शील आएंगे अगले हफ्ते ?
कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के संभावित मुख्य सचिव विकास शील अगले हफ्ते रायपुर आ जाएंगे। खबर है कि वे एशियन डेवलेपमेंट बैंक से रिलीव होकर भारत सरकार में ज्वाइनिंग दे दी है। अब भारत सरकार से रिलीव होकर महानदी भवन में ज्वाइनिंग देंगे। इसके बाद आगे की प्रक्रिया होगी। वर्तमान मुख्य सचिव अमिताभ जैन का कार्यकाल 30 सितंबर को समाप्त हो रहा है। 1994 बैच के आईएएस विकास शील को नए मुख्य सचिव बनाए जाने की संभावनाओं के बीच एसीएस ऋचा शर्मा और मनोज पिंगुआ को लेकर भी चर्चा गर्म है। विकास शील के पदभार ग्रहण करने के बाद ऋचा शर्मा और मनोज पिंगुआ मंत्रालय में रहते हैं या प्रतिनियुक्ति पर जाते हैं, उस पर सबकी निगाह है ? ऋचा शर्मा और मनोज पिंगुआ दोनों ही विकास शील के बैचमेट हैं। माना जा रहा है कि विकास शील के कामकाज सँभालने के बाद मंत्रालय स्तर पर व्यापक फेरबदल हो सकता है।
निजी अस्पताल में भाजपा नेता और आईपीएस का निवेश
कहते हैं कि रायपुर के एक निजी अस्पताल में एक भाजपा नेता और आईपीएस ने निवेश किया है। भाजपा नेता अस्पताल के प्रमोशन में भी लगे हैं। भाजपा नेता और आईपीएस दोनों ही किसी समय बड़े पावर में थे, पर आजकल उनका कोई नामलेवा नहीं है। अब अस्पताल में पैसा लगाकर धन दोगुना की चाहत रखते हैं या सेवाकार्य, ये तो वही जानते हैं। चर्चा है कि अस्पताल में आईपीएस के इन्वेस्टमेंट को लेकर भाजपा के एक नेता ने खुदाई शुरू कर दी है। ये भाजपा नेता खुदाई में बड़े उस्ताद हैं। इनको छत्तीसगढ़ का “व्हिसलब्लोअर” कहा जाता है। इन महाशय ने भूपेश सरकार के कोल घोटाले, शराब कांड से लेकर महादेव सट्टा एप की पोल खोलने का काम किया है। अब देखते हैं आईपीएस और अस्पताल के लिंक की तह में जाकर क्या निकालते हैं ?
पुलिस अफसर को फटकार
चर्चा है कि प्रदेश भाजपा के एक ताकतवर पदाधिकारी ने दोहरे प्रभार वाले एक आला पुलिस अफसर को तलब कर राजधानी में कानून-व्यवस्था को लेकर खरी-खरी सुनाई और हिदायत भी दी। कहते हैं कि पदाधिकारी ने पिछले दिनों राजधानी के व्यस्तम इलाके में भाजपा के संगठन महामंत्री की गाड़ी पर किसी सिरफिरे द्वारा गमला पटके जाने की घटना को लेकर नाराजगी व्यक्त की। गाड़ी के भीतर न तो संगठन महामंत्री थे और न ही ड्राइवर था, इस कारण कोई अनहोनी तो नहीं हुई, पर साख पर आंच जरूर आई । इस घटना को लेकर कांग्रेस ने जबरदस्त चुटकी भी ली और भाजपा के भीतर भी हलचल मच गया। खबर है कि राजनीतिक बवंडर के बाद पदाधिकारी ने आला पुलिस अफसर को बुलाकर चाशनी लपेटकर नीम की गोली खिलाई। भाजपा में संगठन महामंत्री को काफी पावरफुल माना जाता है। अब देखते हैं पदाधिकारी की दवाई का क्या प्रभाव पड़ता है और राजधानी की कानून-व्यवस्था की कितनी दुरुस्त होती है।
ठेकेदार के भरोसे एचओडी
कहते हैं एक निर्माण विभाग का मुखिया एक ठेकेदार के भरोसे चल रहे हैं, वही उनके आँख-कान और कुबेर बने हुए हैं। खबर है कि मुखिया पहले अपने एक मातहत पर निर्भर रहा करते थे, अब ठेकेदार उनका मार्गदर्शक बन गया है। चर्चा है कि साहब की पारी ज्यादा बची नहीं है। इसलिए भी वे अपना आगे का भविष्य सुरक्षित कर लेना चाहते हैं। विभाग का बजट बहुत ज्यादा तो नहीं है, पर आने वाले समय में कई बड़े प्रोजेक्ट आने वाले हैं, इसलिए यह विभाग सुर्ख़ियों में भी है। पर मुखिया के कामकाज को लेकर विभाग में कई तरह की चर्चा चल रही है। अब देखते हैं विभागाध्यक्ष क्या नींव रख जाते हैं।
एक्शन में स्कूल शिक्षा मंत्री
लगता है मंत्री गजेंद्र यादव स्कूल शिक्षा विभाग को सुधारने में लग गए हैं। एक महीने में ही कई एक्शन ले लिए हैं और कुछ जिला शिक्षा अधिकारी को नोटिस थमा दिया, तो एकाध को बाहर का रास्ता दिखा दिया। करीब डेढ़ साल बाद शिक्षा विभाग को स्वतंत्र मंत्री मिला है। मंत्री गजेंद्र यादव के एक्शन को देखकर लोग अनिल कपूर की फिल्म ‘नायक’ की याद करने लगे हैं। फिल्म में हीरो अनिल कपूर एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनकर जनहित में फटाफट कई निर्णय ले लेता है। मंत्री गजेंद्र यादव ने निचले स्तर पर कई ट्रेनिंग प्रोग्राम को बंद करने का निर्देश दे दिया है। मंत्री के निर्देश पर आदेश भी जारी हो गया। अब शिक्षक नई चीजों से अपडेट कैसे होंगे, यह बड़ा सवाल है। शिक्षा विभाग की जड़ गांव-गांव और कोने-कोने तक है, कर्मचारी भी काफी हैं। गजेंद्र ने सुधार का बीड़ा उठाया है, यह तो अच्छी बात है, पर आसान भी नहीं है। मंत्री के एक्शन से विभाग में खलबली भी है और कुलबुलाहट भी। अब देखते हैं आगे क्या होता है।
सुर्ख़ियों में ओपी चौधरी
पिछले दिनों भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रतिनिधि मंडल से न मिलकर वित्त और पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी सुर्ख़ियों में आ गए। मंत्री को लेकर भाजपा से जुड़े डाक्टरों के गुस्से की बड़ी चर्चा रही। बताते हैं अब गिला-शिकवा दूर हो गया है। मंत्री जी 20 सितंबर को भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ के लोगों से मिल लिए और उन्होंने मंत्री जी से अपनी बात कह दी। चर्चा है कि मंत्री जी अपने विभागीय सचिव से बैठक कर रहे थे। बंगले में मंत्री के मौजूद रहते मुलाक़ात न होना भाजपा से जुड़े डाक्टरों को नागवार गुजरा। कुछ दिनों पहले ओपी चौधरी के खिलाफ भाजयुमो नेता रवि भगत ने भी मोर्चा खोल लिया था। लगता है नेता से अफसर बने ओपी चौधरी की भाजपा से जुड़े लोगों से पटरी मेल नहीं खा पा रही है।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)