
जिस देश में या राज्य में किसी भी पार्टी के सत्ता में न होने पर संगठन प्रमुख हो जाता है। ये बात अलग है कि सत्ता में आने पर गौण भी हो जाता है। छत्तीसगढ़ में देखे तो वर्तमान में कांग्रेस सत्ता में नहीं है, विपक्ष में है। लाजिमी तौर पर संगठन की अभी हैसियत है,इस नाते प्रदेश अध्यक्ष का अपना वजूद है। सामान्यतः प्रदेश अध्यक्ष ही कुछ अपवादों( कर्नाटक के डी.के.शिव कुमारऔर हिमाचल की प्रतिभा सिंह) को छोड़कर सत्ता में पार्टी के आने पर मुख्यमंत्री ही बनते है।भूपेश बघेल उदाहरण है। इस नाते आदिवासी बहुल छत्तीसगढ़ राज्य में वर्तमान अध्यक्ष दीपक बेंज को उम्मीद रखना चाहिए। बात दीपक बेंज की आई तो ये पता लगा कि कांग्रेस भवन(राजीव भवन भी कहा जाता है) से उनका मोबाइल किसी ने सल्टा दिया। आमतौर मोबाइल कही छूट जाता है, मिल जाता है। भगवान करे दीपक बेंज का भी मोबाइल कही छूटा हो। जिस तरह से समाचार मिल रहे है उसके अनुसार न तो छूटा है और न ही गुमा है।सीधा मतलब है किसी अवसर परस्त ने मौके का लाभ उठाते हुए मोबाइल चोरी कर लिया है।
चोर,आमतौर पर किसी राष्ट्रीय पार्टी के सदस्य हो भी सकते है और ये भी हो सकता है उनकी किसी पार्टी के पार्टी निष्ठा शून्य हो।उन्हें किसी भी पार्टी के भवन, पदाधिकारी या सदस्यों में स्वार्थवश भावना जाग सकती है। किसी भी पार्टी कार्यालय में किसी भी व्यक्ति के जांच, पूछताछ की अनिवार्यता नहीं है(जाने कब भगवान किस भेष में आ जाए), ऐसे में चोर भी कांग्रेस भवन में प्रवेश कर गया। दीपक बेंज के विरोधियों का तगड़ा संस्मरण कर के ही चोर गया था। मौका भी पा गया। भले ही चोर का उद्देश्य सबसे बड़े पदाधिकारी के मोबाइल पर हाथ डालना नहीं रहा होगा लेकिन था तो ये जांच का विषय होना चाहिएं और कम से कम चार सदस्यीय जांच समिति गठित होना चाहिए। पुलिस तो जांच करेगी ही लेकिन पुलिस की जांच में केवल मोबाइल फोन चोरी का मामला होगा।जांच समिति के सामने मुद्दे दूसरे होंगे।
कुछ दिन पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आक्रामकता के साथ मुद्दों पर पार्टी के आचरण पर प्रश्न उठाए थे। यद्यपि मोबाइल फोन चोरी का इस घटना से कोई लेना देना नहीं है लेकिन बात निकली है तो दूर तक जा रही है।
हर व्यक्ति का मोबाइल फोन, केवल एक इलेक्ट्रॉनिक यंत्र नहीं होता है। मोबाइल फोन, किसी व्यक्ति के आसपास के लोगों के सुरक्षित मोबाइल नंबर के आधार पर उसके संगी साथी का भी आइना होता है। दीपक बेंज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष है तो प्रदेश भर के जिला अध्यक्ष सहित पार्टी के विधायक, पूर्व विधायक सहित उनके परिवार के सदस्यों का भी संपर्क नंबर होगा। फेसबुक, व्हाट्सएप इंस्टाग्राम के साथी होंगे।गैलरी में फोटो होंगी। ये सभी किसी भी मोबाइल धारक की निजी एवं व्यक्तिगत संपत्ति और हकीकत भी होती है। सार्वजनिक जीवन जीने वालों के मोबाइल का गुमना बड़ी बात होती है।
इस घटना से प्रदेश कांग्रेस पार्टी के कार्यालय में सीसीटीवी की अनिवार्यता बढ़ गई है। इस यंत्र को लगाने के अपने अलग नुकसान है।कौन आ रहा है, किससे मिल रहा है, पता चल जाएगा।गोपनीयता तेल लेने चली जाएगी।
विधानसभा का मानसून सत्र करीब है। सत्ता पक्ष के पास राज्य के कानून व्यवस्था के प्रश्न उठाये जाने पर पूछा जा सकता है कि कांग्रेस भवन के भीतर मोबाइल फोन चोरी को किस नजरिए से देखा जाए? अपराधियों को संरक्षण कहां से मिल रहा है। लगता है कि कांग्रेस को चौकीदार की दरकार है।
स्तंभकार-संजय दुबे