छत्तीसगढ़ के 48000 व्यापारियों को राहत; 4000 करोड़ के टैक्स प्रकरणों को कोर्ट से मिलेगी मुक्ति
रायपुर, जीएसटी लागू होने के पहले वैट अधिनियम के अंतर्गत टैक्स के 10 साल से भी पुराने प्रकरणों का निपटारा करने का निर्णय छत्तीसगढ़ सरकार ने ले लिया है। लगभग 48000 प्रकरणों में सरकार को व्यापारियों से 4008 करोड़ रुपये की वसूली करनी हैं, लेकिन अभी मामला अलग-अलग न्यायालय में फंसे होने की वजह से ना तो राज्य सरकार को टैक्स मिल रहा है और ना ही व्यापारियों को राहत। नए नियम में बकाया टैक्स, ब्याज और पेनाल्टी में व्यापारियों को छूट दी जाएगी।
वाणिज्यिक कर विभाग ने इसे छत्तीसगढ़ बकाया कर, ब्याज एवं शास्ति का निपटान विधेयक-2023 का नाम दिया है। इस विधेयक को राज्य सरकार से मंजूरी मिल चुकी है। अधिनियम के बाद अब इसके लिए नियम बनाए जा रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि जीएसटी लागू होने के पहले वैट टैक्स के मामलों में अभी भी अरबों रुपये वसूलना है। आयकर की तर्ज पर राज्य सरकार ने लंबित मामलों के निपटारे के लिए सरल समाधान योजना के अंतर्गत यह विशेष अधिनियम लागू किया है।
जानकारी के मुताबिक वैट अधिनियम के अंतर्गत 2013 से 2017 के पहले कई मामले न्यायालय में लंबित हैं। इसमें हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के साथ नेशनल ला ट्रिब्यूनल में भी मामला चल रहा है। राज्य सरकार ने व्यापारियों को सहूलियत और राजस्व की प्राप्ति को लेकर योजना के माध्यम से बीच का रास्ता निकाला है।
बीते दिनों उप मुख्यमंत्री व वाणिज्यिक कर मंत्री टीएस सिंहदेव ने विभागीय समीक्षा बैठक में अधिकारियों से इस विशेष योजना के संबंध में जानकारी मांगी थी, जिसमें अधिकारियों ने बताया था कि नियम बनाए जा रहे हैं। कुछ और कंडिकाओं को शामिल करने के बाद राज्यपाल को अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। छत्तीसगढ़ बकाया कर, ब्याज एवं शास्ति का निपटान विधेयक-2023 के अंतर्गत 50 लाख रुपये तक के टैक्स पर 60 प्रतिशत की छूट, ब्याज में 90 प्रतिशत तक की छूट और पेनाल्टी में पूरी छूट दी जाएगी। 50 लाख रुपये से अधिक के बकाये पर टैक्स में 40 प्रतिशत तक की छूट, पेनाल्टी में 100 प्रतिशत की छूट और ब्याज में 90 प्रतिशत की छूट मिलेगी। इस छूट का लाभ लेने के लिए व्यापारियों को न्यायालय में चल रहे प्रकरणों को वापस लेकर विभाग की योजना में शामिल होना होगा।