ओडिशा HC बड़ा फैसला; दोस्ती में बने शारीरिक संबंध को नहीं माना जाएगा दुष्कर्म, शादी के वादे से मुकरना ‘अपराध’
कटक: ओडिशा हाई कोर्ट ने शारीरिक संबंधों के मुद्दे पर एक बेहद अहम फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने कहा कि दोस्ती से शुरू होने वाले शारीरिक संबंध को दुष्कर्म नहीं माना जाएगा। अगर इस संबंध में दुष्कर्म का कोई आरोप लगता है तो यह स्वीकार नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि अगर आपसी विवाद या किसी झगड़े की वजह से शादी के लिए दिए गए आश्वासन को पूरा नहीं किया जाता है तो उसे दुष्कर्म माना जाएगा। इसी के साथ, न्यायमूर्ति आर.के. पटनायक ने मनोरंजन दास नामक शख्स की ओर से दायर एक याचिका को खारिज कर दिया।
शादीशुदा महिला से दोस्ती और शारीरिक संबंध
मनोरंजन दास नामक शख्स ने ओडिशा हाई कोर्ट में याचिका दायर कर के भुवनेश्वर के लक्ष्मी सागर पुलिस स्टेशन में दर्ज उसके खिलाफ दुष्कर्म के मामले को खारिज करने की मांग की थी। जानकारी के मुताबिक, याचिकाकर्ता मनोरंजन दास की एक शादीशुदा महिला से दोस्ती हुई, जो शादी के वादे तक पहुंच गई। दोनों कई सालों से दोस्त थे और उनके बीच शारीरिक संबंध भी थे।
महिला ने इंतजार करने को कहा तो बना ली दूरी
मनोरंजन ने महिला दोस्त से शादी करने का भी अनुरोध किया, लेकिन महिला का तलाक नहीं हुआ था। ऐसे में महिला ने कहा कि पति से तलाक होने के बाद ही शादी करना संभव है।इसी के साथ तलाक होने तक इंतजार करने के लिए कहा। इसके बाद मनोरंजन ने महिला से दूरी बनानी शुरू कर दी। ऐसी स्थिति में महिला ने मनोरंजन से शादी करने के लिए कहा तो उसने इनकार कर दिया।इसके बाद महिला ने मनोरंजन के खिलाफ भुवनेश्वर की एसडीजेएम अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी। भुवनेश्वर में एसडीजेएम अदालत ने लक्ष्मी सागर पुलिस स्टेशन को मामले की जांच करने और महिला की शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था।
शादी से इनकार, करने लगा प्रताड़ित
महिला की शिकायत के मुताबिक, मनोरंजन और महिला दोनों के बीच शारीरिक संबंध थे। इस दौरान, मनोरंजन ने चरणबद्ध तरीके से उससे सात लाख रुपये भी लिए थे। बाद में उसने दूरी बना ली और शादी से भी इनकार कर दिया। इतना ही नहीं, मनोरंजन उसे मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना भी देने लगा। उसे धमकाने लगा। इससे तंग आकर महिला को एसडीजेएम अदालत का रुख करना पड़ा। बता दें कि मनोरंजन ने इस मामले को रद्द करने के लिए ओडिशा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस आर.के पटनायक ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।