शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी सोनाक्षी का विवाह/निकाह
राजनैतिक दलों की अपनी अपनी प्रतिबद्धता है। अनेक दल उग्र विचारधारा के पंक्ति में चल कर” एक बनो नेक रहो” के सिद्धांत पर अड़े रहते है । कुछ दल “अनेकता में एकता” की धारा में तैरते है। अपना अपना दृष्टिकोण है। हर दल में रहने वाले सदस्य का अपना परिवार, समाज रहता है, जिसके अपने संस्कार तो होते ही है साथ ही साथ कुछ नैतिक और राजनैतिक प्रतिबद्धताएं भी रहती है।
अब जैसे भाजपा को ही ले ले। अटल बिहारी वाजपेई से लेकर नरेंद्र मोदी के विचारधारा में हुआ परिवर्तन खुले रूप से दिखाई देता है। हम पड़ोसी नही बदल सकते हैं-ये अटल बिहारी वाजपेई की विचारधारा थी। हम पड़ोसी को बदल कर रख देंगे -ये नरेंद्र मोदी की विचारधारा है। भाजपा का हिंदुत्व अवधारणा की सार्वजनिक स्वीकारोक्ति दीगर पार्टियों के लिए मुसीबत बनी।इसका असर 2024 लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों के चयन संख्या को देखने पर पता भी चला। इससे परे देश के कुछ राजनैतिक दलों की विवशता भी है कि उन्हें अपना वोट बैंक बनाए रखने के लिए खुला समर्थन देना पड़ता है। ये राजनैतिक लाभ की मजबूरी है जिसे शिरोधार्य करना चाहिए। क्योंकि राजनीति में केवल दो और चार नहीं तीन और पांच भी होते है।
दल से निकल कर दल के परिवार में आते है जिनमे सामाजिक ताने बाने के ढांचे को देखा जाता है। भाजपा के पिछले कार्यकाल में एक शब्द प्रचलन में आया -लव जिहाद। इस शब्द में हिंदू और उसके सामाजिक और धार्मिक आस्था के विरुद्ध हुए कार्य और इनको रोकने के उग्र प्रयास भी थे। भाजपा ने अपने सदस्यों से ये भी उम्मीद की थी/है कि एक संप्रदाय के सदस्यों के विवाह या निकाह न हो। यद्यपि ये बात अनेक भाजपा के बड़े सदस्यों पर आज के परिप्रेक्ष्य में लागू नहीं हो सकती है क्योंकि बहुत पहले ऐसा हो चुके है और आज भी ऐसा हो रहा है। इसके बावजूद वर्तमान में परहेज किए जाने की कोशिश हो तो रही है। इसके बावजूद जिनका दिल लगता है वे परिवार जाति, समाज, संप्रदाय के बंधनों को तोड़ने का निर्णय लेते है और लेंगे।
अब आते है दल से निकल कर परिवार में
भाजपा के पूर्व और तृण मूल कांग्रेस के वर्तमान सांसद और फिल्म कलाकार शत्रुघ्न सिन्हा की कलाकार बेटी सोनाक्षी सिन्हा 23 जून को जहीर इकबाल से साथ विवाह/निकाह करने जा रही है। फिल्म से जुड़े लोगो को बहुत सारे बंधनों से परे होते है क्योंकि उन्हें अनेक भूमिकाओं में जीने का अभिनय करना पड़ता है। भारतीय कानून के अनुसार 21वर्ष से अधिक उम्र का लड़का और 18 वर्ष से अधिक उम्र की लड़की अपने जीवन के प्रति निर्णय लेने में स्वतंत्र है। उन पर उनके अभिभावक अपना निर्णय नहीं थोप सकते है। सोनाक्षी सिन्हा 37 साल और जहीर इकबाल 35 साल के है। दोनो न केवल वयस्क है बल्कि इस उम्र के पड़ाव में समझदारी की भी आशा की जा सकती है।
शत्रुघ्न सिन्हा वर्तमान में तृण मूल कांग्रेस में है। पहले वे भारतीय जनता पार्टी में थे। सोनाक्षी सिन्हा जो निर्णय आज ले रही है क्या यही निर्णय अगर शत्रुघ्न सिन्हा के भाजपा में रहते तो सोनाक्षी सिन्हा सहजता और सरलता से ले लेती ? भाजपा के पूर्व सांसद और तृण मूल कांग्रेस के वर्तमान सांसद शत्रुघ्न सिन्हा जो रामायण नाम के घर में रहते है, जिनके बड़े भाई राम लक्ष्मण है, जिनके बेटे लव कुश है ,उनकी बेटी सोनाक्षी सिन्हा का विवाह/ निकाह के जहीर इकबाल साथ होने जा रहा है। शत्रुघ्न सिन्हा ये भी विवशता जाहिर कर चुके है कि आजकल बच्चों की शादी अभिभावक नहीं लगाते है बल्कि बच्चे ही सूचना देते है। ऐसे में आशीर्वाद देने का ही विकल्प शेष बचता है।
स्तंभकार-संजय दुबे