इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक घोटाला; सात अक्टूबर को कोर्ट में जानकारी पेश करने का आदेश
रायपुर , इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक घोटाले के मामले की शनिवार को जिला न्यायालय में मजिस्ट्रेट भूपेश कुमार बसंत की कोर्ट में सुनवाई हुई। न्यायाधीश ने अभियोजन को शीघ्र रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया, जिस पर महाअधिवक्ता संदीप दुबे ने अगली पेशी सात अक्टूबर को पूरी जानकारी देने को कहा। पिछली पेशी में अभियोजन की तरफ से विशेष लोक अभियोजक एवं उप महाधिवक्ता संदीप दुबे ने एक आवेदन लगाकर प्रकरण के आरोपियों के किसी ना किसी बहाने से पेशी में नहीं आने को लेकर सवाल उठाते हुए उनकी जमानत निरस्त करने की मांग की थी।
इस बीच एक आरोपी ने प्रकरण में हो रही देर के कारण अभियोजन का गवाह प्रस्तुत करने का अवसर समाप्त करने की मांग की थी, जबकि एक अभियुक्त रीता तिवारी के द्वारा एक आवेदन पेशकर आगामी जांच होते तक प्रकरण को रोकने की मांग की थी।
शनिवार को अभियोजन ने दोनों आवेदन पर जवाब देते हुए बताया कि आगे की जांच न्यायालय के आदेश पर चल रही है और अभी तक करीब 40 करोड़ की राशि आरोपी नीरज जैन द्वारा शेयर में निवेश के नाम पर छत्तीसगढ़ के बड़े उद्योगपति को दिया गया है, जिसमें से करीब 2.5 करोड़ वापस प्राप्त हुआ है। न्यायलय ने आगे पूछा की नार्को टेस्ट और ब्रेन मैपिंग टेस्ट के आधार पर आगे की जांच के आदेश दिया गया था। उस पर क्या कार्रवाही हो रही है? अभियोजन को शीघ्र रिपोर्ट प्रस्तुत करना चाहिए, या फिर बता दे कोई अपराधी आगे बनेगा की नहीं या जो अभियुक्त अभी है उन्हीं से प्रकरण आगे चलाए। न्यायाधीश ने अगली पेशी में पूरी जानकारी देने को कहा। अभियोजन की तरफ से संदीप दुबे ने अगली पेशी में सारी जानकारी बताने की बात कही है। प्रकरण की सुनवाई अब सात अक्टूबर को होगी।
जमानत की शर्त का उलंघन
बहुचर्चित इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक घोटाले में शामिल और जमानत पर रिहा आरोपियों को सीजेएम भूपेश कुमार बसंत ने कोर्ट पेशी में नहीं आने वालों की जमानत खारिज करने के संकेत दिए हैं। बैंक घोटाले में 15 से ज्यादा आरोपी बनाए गए है, इसमें से तीन आरोपी फरार और 12 आरोपी जमानत पर है। प्रकरण की सुनवाई में कुछ आरोपी ही कोर्ट में उपस्थित होते हैं। जबकि अधिकांश बीमारी का बहाना बनाकर सुनवाई में नहीं आते है। यह सिलसिला पिछले 12 साल से चल रहा है। आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट द्वारा इस शर्त पर जमानत दी गई है कि वह अगली बार कोर्ट में सुनवाई के दौरान जरूर उपस्थित रहे, लेकिन आरोपी इसे मान नहीं रहे है।