कहीं पर शिक्षकों को बैठने जगह नहीं तो कहीं पर बच्चों को पढाने टीचर नहीं, एक शिक्षक के हवाले पूरा मीडिल स्कूल

महासमुंद, संलगनी कारण समाप्त होने के बावजूद स्कूलों में अतिशेष शिक्षक कई सालों से पदस्थ हैं। इसकी शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी से होने के बावजूद कोई करवाई नहीं हो रही है। जबकि कई स्कूलों में अभी भी शिक्षकों की कमी है। फिर भी अफसरों द्वारा अतिशेष शिक्षकों को नहीं हटाया जा रहा है। कहीं-कहीं पर शिक्षकों को बैठने जगह नहीं है। जिला शिक्षा अधिकारी एवं बीईओ मिलकर अंचल की शिक्षा व्यवस्था का बंटाधार करने में तुले हुए है।
जिले के पिथौरा तहसील इलाके के ग्राम गिरना प्रायमरी एवं मीडिल स्कूल इसकी मिसाल है। मीडिल स्कूल में में पदस्थ एक शिक्षिका पिथौरा के आत्मानद स्कूल में प्रतिनियुक्ति में चली गई। एक शिक्षक समंवयक बनकर चले गए। अब एक ही शिक्षक तीन क्लास पढाते है। प्रायमरी स्कूल मे दो ही शिक्षिकाएं है। इसमें भी एक शिक्षिका तबादले के लिए जुट गई है। इससे यहां अध्ययन-अध्यापन का अंदाजा लगाया जा सकता है। ग्राम गिरना ओडीसा सीमा से लगा गांव है जो पिथोरा मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर है।
इस तरह की समस्याओं से ग्रसित कई स्कूल है। मगर शिक्षा अधिकारी समझने को तैयार नहीं है और ग्रामीण इसे अपनी नियति मान बैठे है। सरकार बच्चों को अंग्रेजी पढाना चाहती है ,मगर यहां बच्चों को क ख ग … पढाने शिक्षक नहीं है। पिछले साल से इसकी बार-बार शिकायत के बाद भी शिक्षा अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे है। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी चेहतों को ब्लाक अथवा तहसील मुख्यालय के आसपास के स्कूल में लाकर अटैच कर देते है। इसलिए गांव में शिक्षक कम हो जा रहे है। साथ ही गांव के स्कूल एकल शिक्षकीय हो जाते है।
स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव ने एक आदेश जारी कर शिक्षकों के सभी प्रकार के अटैचमेंट को तत्काल समाप्त करने का आदेश दिया था। इसका पालन होने की बात कहकर शिक्षा अधिकारियों ने हलफनामा भी दे दिया। लेकिन उसका फील्ड में पालन नहीं हुआ है। पिथोरा ब्लाक के कई शासकीय प्राथमिक शालाएं एकशिक्षकीय हो गए है। अटैचमेंट समाप्त होने के बाद भी उसको मूल शाला के लिए कार्यमुक्त नहीं किया गया। संलनीकरण एक शिक्षा सत्र के लिए होता है। इसके बाद भी उसको कार्यमुक्त नहीं किया गया।