कला -सहित्य

LOHRI;अरदास के बाद टप्पे-बोलियां के साथ मनाई लोहड़ी, विदेशी महिला सुजान ने देखी लोहड़ी की परंपरा

0 छत्तीसगढ़ सिक्ख ऑफिसर्स वेलफेयर एसोसियेशन का आयोजन

रायपुर, छत्तीसगढ़ सिक्ख ऑफिसर्स वेलफेयर एसोसियेशन ने कल आहूजा फार्म हाऊस, मुजगहन में परिवारजनों के साथ लोहड़ी का त्योहार मनाया। इस अवसर पर बी.एस. सलूजा ने सभी के सुख और खुशहाली के लिए वाहेगुरु जी की अरदास की। एसोसियेशन के संयोजक जी.एस. बॉम्बरा व अन्य सभी सदस्यों ने लोहड़ी की अग्नि प्रज्वलित कर तिल की लडढू, रेवड़ियां, गुड़, चिवड़ा और पॉपर्कान अग्नि को अर्पित कर परिवार और परिजनों के सुखों की कामना की। इस अवसर पर ओरेगान,अमरीका से रोटरी इंटरनेशनल के एक्सचेंज कार्यक्रम में हरजीत सिंह हूरा के घर आई महिला सुजॉन ने लोहड़ी मनाने की परंपरा देख कर काफी प्रसन्नता व्यक्त की।      

कार्यक्रम में पंजाबी के लोकगीतों की बोलियां,टप्पे, गिद्दा और भांगड़ा नृत्य भी किया गया। सरदार जगपाल सिंह, जी.एस. बॉम्बरा, दीप सिंह जब्बल, दलजीत सिंह डडियाला, हरजीत सिंह हूरा,अमृता कौर ने एक ओर जहां पंजाबी गीतों की महफिल सजाई । वहीं पिंकी जब्बल,नीलजोत कौर डडियाला,हरमिन्दर कौर सलूजा,रछपाल कौर सलूजा ने पंजाबी बोलियां और ट्प्पों से समां बांध दिया। 

पंजाबियों के लिए लोहड़ी उत्सव एक खास महत्व रखता है। जिस घर में नई शादी हुई हो वहां की नई बहू और परिवार में नए जन्में बच्चों के सुख की कामना के साथ ही परिवारजनों और पड़ोसियों को विशेष तौर पर लोहड़ी की बधाई दी जाती है, जिसमें तिल के लड्ढू, रेवड़ियां,गुड़,चिवड़ा और पॉपर्कान बांटे जाते हैं।

ये त्योहार बहन और बेटियों की रक्षा और सम्मान के लिए भी मनाया जाता है। लोहड़ी के पीछे एक ऐतिहासिक कथा हैं जिसे दुल्ला भट्टी के नाम से जाना जाता हैं। अकबर के शासनकाल में दुल्ला भट्टी पंजाब प्रान्त का सरदार जो पंजाब का नायक भी  कहा जाता था। उन दिनों संदलबार,पाकिस्तान में लड़कियों की खरीदफरोख्त की जाती थी। जिसका दुल्ला भट्टी ने जम कर विरोध किया और लड़कियों को बचाया और उनका सम्मानपूर्वक विवाह कर उन्हें नया जीवन दिया। दुल्ला भट्टी की इस विजय को लोहड़ी के गीतों में भी गया जाता हैं और दुल्ला भट्टी को याद किया जाता हैं।

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