29 आरक्षित सीटों पर सर्व आदिवासी समाज की नजर; अरविंद नेताम ने कहा- गठजोड़ के लिए चल रही है चर्चा
रायपुर, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने छत्तीसगढ़ में सर्वआदिवासी समाज का एक मजबूत संगठन खड़ी कर आदिवासियों को उनका समग्र अधिकार दिलाने की मुहिम छेड़ दी है। रविवार को दुर्ग प्रवास पर जा रहे नेताम ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य की 90 में से 29 आदिवासी आरक्षित सीटों पर सर्व आदिवासी समाज से प्रत्याशी मैदान में उतारने की तैयारी चल रही है। वहीं 15 से 20 सीटें ऐसी हैं जहां 20 से 40 प्रतिशत मतदाता आदिवासी है। इन सीटों पर सामान्य वर्ग से प्रत्याशी मैदान में उतारने पर विचार किया जा रहा है। इस संबंध में रणनीति भी बनाई जा रही है।
पत्रकारों से चर्चा के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने कहा कि जल,जंगल,जमीन के मसले पर विभिन्न आदिवासी समाज के दो दर्जन आंदोलन बस्तर में चल रहे हैं लेकिन शासन प्रशासन का कोई भी अधिकारी यह पूछने नहीं आता कि उनकी मांगें क्या है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राज्य निर्माण के समय से बाबा साहब के बनाये कानून का ईमानदारी से पालन हो इस मकसद से सर्व आदिवासी समाज ने अपना काम शुरू किया था। आदिवासी समाज ने महसूस किया कि जिन सरकारों पर कानून के परिपालन की जिम्मेदारी है, वही सरकारें कानून तोड़ रही है। उन्होंने कहा कि हमारे समाज की कहीं सुनवाई नहीं होती। यह समाज के लिए चिंता का विषय है। इसलिए चुनाव लड़ने के विकल्प पर विचार कर कई छोटे दलों से चर्चा भी कर रहे हैं।
सेवा भाव से रोका जा सकता है मतांतरण
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने मतांतरण के विषय पर कहा कि सामाजिक रूप से आदिवासी का मूल समाज बहुत कम है। ईसाई मिशनरी समर्पण के साथ काम करते हैं। वे 24 घंटे घूमते रहते हैं। उन्होंने कहा कि मतांतरण रोकने आरएसएस को भी ऐसा ही सेटअप तैयार करना होगा। मतांतरण को सेवा भाव से ही रोका जा सकता है। पेसा कानून के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा कानून न पहले बना था और न बनेगा। केंद्र व राज्य की सरकारें इसकी धज्जियां उड़ा रही है।खनिज संसाधनों के अंधाधुंध दोहन में ग्राम सभा के नियंत्रण के अधिकार को खत्म कर दिया गया, पर किसी जनप्रतिनिधि ने इसके खिलाफ एक शब्द नहीं कहा।भविष्य में जंगल भी प्राइवेट सेक्टर में चला जाएगा, यह अभी से दिख रहा है।