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HARASSMENT;मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में अभिनेत्रियों के साथ होता था यौन उत्पीड़न,5 साल से लंबित हेमा कमेटी की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

तिरुअनंतपुरम, एजेंसी, मलयालम सिनेमा की बेहद दागदार तस्वीर की बानगी जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट में मिली है। पांच साल बाद इसके सामने आते ही फिल्म उद्योग में ही नहीं केरल के राजनीतिक गलियारों में भी भूचाल आ गया। मलियाली फिल्म अभिनेत्रियों के यौन उत्पीड़न और दु‌र्व्यवहार की कहानी रिपोर्ट के हरेक पन्ने पर बयान होती है।

2017 में फिल्म अभिनेता व निर्माता दिलीप के अभिनेत्री भावना मेनन के खिलाफ यौन हिंसा मामले के बाद केरल सरकार की गठित इस कमेटी की रिपोर्ट जारी होते ही कांग्रेस नीत विपक्षी गठबंधन यूडीएफ और भाजपा ने वामदलों की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। साथ ही पिनरई विजयन सरकार पर आरोप लगाया कि वह पीडि़ताओं का साथ देने के बजाय फिल्मोद्योग के ‘शिकारियों’ के साथ है।

वीडी सतीसन ने लगाया आरोप

विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीसन ने आरोप लगाया कि सरकार आरोपित की निजता छिपाना चाहती है। साथ ही प्रशासन से आग्रह किया कि वह हेमा कमेटी के आधार पर रिपोर्ट दर्ज करें। सतीसन ने संवाददाताओं से कहा कि पोक्सो एक्ट के तहत हमले और यौन उत्पीड़न के मामले हो रहे हैं और प्रदेश सरकार के सांस्कृतिक मंत्री सजी चेरियन कह रहे हैं कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए एक फिल्म समागम किया जाएगा।

क्या है जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट? 

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट पर केरल सरकार के कार्रवाई नहीं करने पर आड़े हाथ लेते हुए कहा कि यह शर्मनाक और स्तब्धकारी है कि सरकार पांच साल इस रिपोर्ट पर बैठी रही और अब बहुत दबाव पड़ने के बाद जारी की है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री वी.मुरालीधरन ने चेरियन पर प्रहार करते हुए कहा कि ऐसी रिपोर्ट के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं करके खुद संस्कृति मंत्री ने अपराध किया है। चेरियन को इस्तीफा देना चाहिए।मलियाली फिल्म उद्योग को एक आपराधिक गैंग चला रहा

अभिनेता से नेता बने परिवहन मंत्री केबी गणेश कुमार ने कहा कि उन्होंने रिपोर्ट पढ़ी नहीं है, सरकार जरूरी कार्रवाई करेगी। सोमवार शाम को जारी रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि मलियाली फिल्म उद्योग को एक आपराधिक गैंग चला रहा है जिसमें उनकी मनमानी के आगे घुटने नहीं टेकने वाली महिला को फिल्म उद्योग से बाहर फेंक दिया जाता है। यह पूरा नेक्सस मुट्ठी भर फिल्म निर्माता, निर्देशक, अभिनेता और प्रोडक्शन कंट्रोलर चला रहे हैं।

पीड़िताओं ने आरोप लगाया है कि अक्सर काम मिलने से पहले ही उनके शोषण की मांग की जाती है। जो महिलाएं समझौता कर लेती हैं, उन्हें ‘कोड नेम’ दिए जाते हैं और बाकियों को इस व्यवसाय से बाहर कर दिया जाता है।

अभिनेत्रियों को यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा

जाने-माने कलाकार, निर्देशक या जो भी हों, फिल्म इंडस्ट्री की महिलाओं को यौन उत्पीड़न और शारीरिक शोषण की मांग से चौंकाया है। अभिनेत्रियों के होटल के कमरों के दरवाजे नशे में उनके साथी कलाकारों ने पीटे हैं। कई अभिनेत्रियों को यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, लेकिन वह अपनी और अपने स्वजनों की जान के खतरे के चलते पुलिस तक नहीं गईं।

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