
रवि भोई
भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति तक लटका मंत्रिमंडल का विस्तार
कहते हैं कि विष्णुदेव साय मंत्रिमंडल का विस्तार अब भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति तक लटक गया है। कायदे से भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति अप्रैल में हो जानी चाहिए थी, पर कई राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव न होने से मामला पेंडिग हो गया। इस बीच पहलगाम की घटना हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और अन्य नेता फिलहाल आतंकवाद के सफाए में जुटे हैं। इस कारण राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति का मामला पेंडिग में चला गया है। कहा जा रहा है कि जब तक राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो जाती, तब तक साय मंत्रिमंडल का विस्तार भी लटक गया। मंत्रिमंडल का विस्तार न होने से दावेदार विधायकों में बैचेनी बढ़ती जा रही है। राष्ट्रीय अध्यक्ष का फैसला न होने के कारण नई प्रदेश कार्यकारिणी भी नहीं बन पा रही है। अब देखते हैं भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का फैसला कब तक हो पाता है।
भारतमाला प्रोजेक्ट में कई नेता और आईएएस सुर्ख़ियों में
कहते हैं भारतमाला प्रोजेक्ट में कुछ दलाल,एसडीएम और तहसीलदार-पटवारी ने खेला नहीं किया। बताते हैं कि करीब दस आईएएस अफसरों और नेताओं ने बहती गंगा में हाथ धोया है। बताते हैं नेताओं और आईएएस अफसरों ने प्रोजेक्ट का आंकलन कर बेनामी जमीन की खरीदी की और बेचकर मोटा मुनाफा कमाया। भारतमाला प्रोजेक्ट रायपुर -अभनपुर तक ही नहीं सिमटा है , कोरबा, रायगढ़ और राज्य के कुछ अन्य इलाकों में भी यह प्रोजेक्ट फैला है। चर्चा है कि भारतमाला प्रोजेक्ट में ईओडब्ल्यू के साथ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी ) की जाँच से नेता और अफसरों के हाथ -पांव फूलने लगे हैं। भारतमाला प्रोजेक्ट में अभी जाँच प्रारंभिक स्तर में ही है,जाँच आगे बढ़ने के साथ कई खुलासे की संभावना है।
मंत्री के पीछे पड़े भाजपा के नेता
कहते हैं साय सरकार के एक मंत्री के पीछे संगठन के लोग और भाजपा के कुछ बड़े नेता पड़ गए हैं। इस मंत्री से कार्यकर्ता भी बड़े नाराज बताए जाते हैं। चर्चा है की मंत्री जी की शिकायत दिल्ली की गई है। हल्ला है कि मंत्री जी ने पार्टी के नाम से कुछ उद्योगपतियों से भारीभरकम वसूली कर ली, पर पूरी राशि पार्टी फंड में जमा नहीं करवाया। इसको लेकर संगठन के कुछ लोग नाराज बताए जाते है। मंत्री जी के बारे में धारणा है कि उन्होंने अपना एक समूह बना लिया है और उसी समूह की सलाह पर ही काम करते हैं। शुरू-शुरू में मंत्री जी ऊँचे पायदान पर थे। बताते हैं अब नीचे खिसकने लगे हैं।
ऋचा शर्मा का खाद्य विभाग से हटना चर्चा में
प्रदेश में अब तक खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की जिम्मेदारी अपर मुख्य सचिव ऋचा शर्मा और सचिव अंबलगन पी. संभाल रहे थे। अब 2003 बैच की आईएएस रीना बाबा साहेब कंगाले अकेले संभालेंगी। वैसे एसीएस ऋचा शर्मा के पास खाद्य के साथ वन विभाग भी है। पर उनसे खाद्य विभाग को हटाया जाना चर्चा का विषय बन गया है। ऋचा शर्मा के खाद्य विभाग से ट्रांसफर को नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष संजय श्रीवास्तव के भव्य पदभार समारोह से जोड़कर देखा जा रहा है। बताते हैं संजय श्रीवास्तव के पदभार समारोह खुले मैदान में आयोजित किया गया था और समारोह में शरीक होने वालों के लिए लंच की व्यवस्था भी की गई थी। खबर है कि ऋचा शर्मा भव्य आयोजन के पक्ष में नहीं थी। इस कारण उनका खाद्य विभाग की जिम्मेदारी से मुक्त होना चर्चा का विषय बन गया है।
छत्तीसगढ़ कांग्रेस में पतन का दौर
लगता है सत्ता से बाहर होकर कांग्रेस छत्तीसगढ़ में अपने अस्तित्व को मिटाने में जुट गई है। इसका उदाहरण है रायपुर नगर निगम के पांच पार्षदों का इस्तीफा। कहते हैं अभी तो प्रदेश कांग्रेस के फैसले के खिलाफ मुखर होकर पांच पार्षदों ने इस्तीफा दिया है। बड़े नेता सचेत नहीं हुए तो संगठन के कुछ लोग भी पार्टी छोड़ सकते हैं। कांग्रेस के बड़े नेताओं ने ही नगर निगम चुनाव में आकाश तिवारी को टिकट नहीं दिया था। आकाश तिवारी के निर्दलीय चुनाव जीतते ही कांग्रेस के बड़े नेताओं का दिल पसीज गया। आकाश तिवारी को कांग्रेस में शामिल करने के साथ नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी भी भेंट कर दी, जबकि आकाश तिवारी की वापसी के पहले संदीप साहू को नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया था। कांग्रेस के इस फैसले से कई सवाल भी उठ रहे हैं। मामले को सुलझाने के लिए कांग्रेस ने एक समिति बना दी है, पर ऐसे पार्टी कैसे चलेगी ? यह भी प्रश्न उठ रहा है। लोग सवाल कर रहे हैं कि यह सब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज की जानकारी में हुआ है या फिर उन्हें अंधेरे में रखकर फैसला ले लिया गया। जो कुछ भी है, रायपुर नगर निगम की लड़ाई से कांग्रेस की साख को नुकसान हुआ है।
यशवंत कुमार ने बाजी मारी
2007 बैच के आईएएस यशवंत कुमार को सरकार ने नया राज्य निर्वाचन पदाधिकारी नियुक्त किया है। बताते हैं सरकार ने नए राज्य निर्वाचन पदाधिकारी के लिए यशवंत कुमार के अलावा शिखा राजपूत और के डी कुंजाम का नाम भारत सरकार को भेजा था। शिखा राजपूत पहले अतिरिक्त राज्य निर्वाचन पदाधिकारी रह चुकी हैं। भारत सरकार ने यशवंत कुमार के नाम को हरी झंडी दी। माना जा रहा है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अभी काफी समय है , ऐसे में सरकार यशवंत कुमार को राज्य निर्वाचन पदाधिकारी के साथ किसी विभाग की जिम्मेदारी सौंप सकती है।
खानसामे के कारण नप गए एक एसपी साहब
चर्चा है कि एक एसपी साहब अपने एक खानसामे के कारण जिले से बेदखल हो गए। बताते है कि साहब के पैसे पर खानसामे की नजर लग गई और उसने हाथ साफ़ कर लिया। साहब ने उसकी पिटाई करवा दी। साहब की गाढ़ी कमाई तो थी नहीं। इस कारण साहब कुछ ज्यादा कर नहीं पाए, लेकिन महकमे में कांड आग की तरह फ़ैल गई और आंच सरकार तक पहुंच गई। इसके बाद सरकार ने एसपी साहब को जिले से बाहर करने में ही भलाई समझी और जब एसपी का ट्रांसफर लिस्ट निकला तो उन्हें लूप लाइन में भेज दिया गया।
मुख्यमंत्री के जमीनी पकड़ की कवायद
कहते हैं सुशासन तिहार के बहाने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय शासन और प्रशासन पर मजबूत पकड़ की कवायद शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री धरातल पर हकीकत का आंकलन कर फैसला लेने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। सहज-सरल व्यक्तित्व वाले विष्णुदेव साय को शुरू में लोग हल्के में ले रहे थे , लेकिन उनके कुछ फैसलों से लोगों का भ्रम टूट गया। बीएड उपाधि वाले शिक्षकों की सेवा को बहाल कर उन्होंने नहले पर दहला मार दिया। चर्चा है कि कलेक्टर और एसपी की पोस्टिंग भी मुख्यमंत्री ने अपनी पसंद को महत्व दिया। हल्ला है कि अफसरों की पोस्टिंग में विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह की राय को तवज्जो दिया गया।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)