POLICE; पुलिस कमिश्नर कार्यालय के लिए भवन की तलाश शुरु, पुराने पीएचक्यू दफ्तर पर नजर

रायपुर, राजधानी रायपुर में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागु करने के वास्ते पुलिस कमिश्नर कार्यालय के लिए भवन की तलाश शुरु कर दी गई है। कुछ अफसर पुराना पीएचक्यू पेरिसर को उपयुक्त मान रहे है। जहां अभी राजस्व मंडल एवं रोजगार कार्यालय है। मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार राज्योत्सव के मौके पर रायपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली की शुरुआत होनी है।
पुलिस के कुछ अधिकारी पुराना पीएचक्यू कार्यालाय परिसर को पुलिस कमिश्नर कार्यालय के लिए बेहत्तर मानरहे है। शर के बीचों बीच होने के साथ यहां पर्याप्त जगह भी है। वैसे भी यहां पहले कमिश्नर कार्यालय था। यहां से कुछ दफ्तर नया रायपुर भी शिफ्ट होने वाले है। मुख्य रुप से राजस्व मंडल एवं रजगार कार्यालय को ही शिफ्ट करना पडेगा। यहां वाहनों की पार्किग के लिए भी पर्याप्त जगह है। वैसे विधान सभा भवन भी नवंबर 2025 में नवा रायपुर शिफ्ट हो रहा है। यह भवन भी खाली हो जायेगा। एसएसपी कार्यालय को तोडकर नया भवन बनाने का प्रस्ताव भी है।
जानकारों के अनुसार पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद जिले में लॉ एंड ऑर्डर की जिम्मेदारी कमिश्नर के हाथों में होगी. यदि सरकार चाहेगी तो, ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग से एसपी (रूरल) की नियुक्ति हो सकती है. अगर पूरा जिला कमिश्नरेट के तहत आता है तो एसपी रैंक के अधिकारियों को डीसीपी बनाया जा सकता है. फिलहाल, सीएम विष्णुदेव साय ने केवल इसकी घोषणा की है. अधिकारों का दायरा और तैनाती की प्रक्रिया आने वाले दिनों में तय होगी. रायपुर का पहला पुलिस कमिश्नर कौन होगा, इस पर भी सबकी निगाहें टिकी हुई है.
बता दें पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम पहले से दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, भोपाल, इंदौर जैसे बड़े महा नगरों में लागू है. इसमें शहर की कमान किसी वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को दी जाती है, जो आमतौर पर डीजी, एडीजी या आईजी रैंक के हो सकते हैं. कौन- अधिकारी इस पद पर बैठेगा, यह राज्य सरकार तय करती है और यह शहर की जनसंख्या व क्राइम रिकॉर्ड पर निर्भर करता है.
पुलिस आयुक्त के अधिकार
कमिश्नर के पास ऐसे कई अधिकार होंगे जो वर्तमान में कलेक्टर या मजिस्ट्रेट के पास होते हैं, जैसे-धारा 144 या कर्फ्यू लगाने का निर्णय, धरना-प्रदर्शन की अनुमति देना, आर्म्स एक्ट के तहत कार्रवाई, बड़े सार्वजनिक आयोजनों की अनुमति, जिला बदर और प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का आदेश आदि है। इससे पुलिस को किसी भी स्थिति में त्वरित निर्णय लेने की शक्ति मिलेगी और कलेक्टर पर निर्भरता खत्म हो जाएगी.
कलेक्टर के अधिकार सीमित हो जाएंगे
कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद कलेक्टर के अधिकार भी सीमित हो जाएंगे. वह सिर्फ रेवेन्यू का काम देखेंगे, जबकि अन्य अनुमति संबंधी कार्य कमिश्नर के हाथों में होंगे.