FARMING; प्याज ₹2 किलो, खंडवा में किसान बेहाल, लागत नहीं निकल रही, यही हाल रहा तो बच्चे नहीं करेंगे खेती

भोपाल, मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में प्याज उत्पादक किसानों का गुस्सा फूट पड़ा है. मंडी में प्याज के दाम घटकर मात्र 2 से 4 रुपये प्रति किलो रह गए हैं, जिससे किसान खेती के नाम पर बर्बादी की कगार पर हैं. लागत मूल्य भी नहीं निकल पा रहा, जिससे परिवार का गुजारा मुश्किल हो गया है.
एक किसान ने बताया, “बच्चों की स्कूल फीस तक नहीं भर पा रहे. सोयाबीन फसल खराब हो गई, मक्का के भाव गिरे और अब प्याज से भी धोखा मिला.” जिले में प्रतिदिन 10 से 20 हजार कट्टे प्याज मंडी पहुंच रहा है, लेकिन खरीदार कम होने से भाव लुढ़क गए.
खंडवा मंडी प्रभारी ने बताया, “प्याज के भाव 2 से 20 रुपये किलो तक हैं. निम्न गुणवत्ता वाले प्याज पर 2-4 रुपये ही मिल रहे.” जिले का प्याज महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, पूर्वांचल, बंगाल सहित विदेशों तक निर्यात होता है, लेकिन इस सीजन में अधिक उत्पादन और कम मांग से कीमतें धड़ाम से गिर गईं. किसान संगठनों का कहना है कि सरकारी खरीद या निर्यात सब्सिडी की कमी से यह हाल है. एक बुजुर्ग किसान बोले, “यही हाल रहा तो अगली पीढ़ी को प्याज की खेती से दूर रखना पड़ेगा. पढ़ाई-लिखाई पर जोर देकर शहरों की ओर रुख करेंगे, क्योंकि खेती अब घाटे का सौदा बन गई.”
वहीं, किसान नेता ने चेतावनी दी कि यदि भाव नहीं सुधरे तो मंडी का घेराव और आंदोलन होगा. कृषि विभाग ने आश्वासन दिया कि सब्जी निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन, किसानों का विश्वास टूट चुका है. यह संकट न केवल खंडवा, बल्कि पूरे मालवा क्षेत्र की कृषि अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है, जहां प्याज खेती लाखों परिवारों का सहारा है. विशेषज्ञों का मानना है कि स्टोरेज सुविधाओं और मार्केटिंग चेन में सुधार जरूरी है, वरना किसान पलायन को मजबूर हो जाएंगे.




