मानव हाथी द्वंद के लिए जारी दिशा-निर्देश देश में छत्तीसगढ़ को बदनाम करने वाला; हाथियों को पुरुष, महिला, अपराधी, बैल, संदिग्ध बताया गया
रायपुर, छत्तीसगढ़ वन विभाग ने हाल ही में मानव-हाथी द्वंद को नियंत्रित करने के लिए दिशा निर्देश बनाए हैं, अवर सचिव के दस्तकत से जारी किये हुए दस्तावेजों से स्पष्ट होता है कि शासन ने इनका अनुमोदन कर दिया है। इन दिशा निर्देशों में हुई गंभीर गलतियों की तरफ रायपुर के वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने ध्यानाकर्षण करते हुए वन मंत्री को पत्र लिखकर इसके प्रकाशन पर रोक लगाने की मांग की है।
वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने पत्र में कुछ गलतियों को बताया है, जिसके अनुसार नर हाथी को पुरुष और मादा हथनी को महिला लिखा गया है। हाथी से बचने के लिए आदर्श दूरी 250 मीटर बताई गई है। सिंघवी ने इसके विपरीत दावा किया है कि इतनी कम दूरी जनहानि बढ़ाने वाली है। ग्रामीण 250 मीटर तक पास जाने लगेंगे, हाथी बहुत तेज गति से दौड़ सकता है और ऐसे में यह आदर्श दूरी आत्मघाती सिद्ध होगी और जनहानि बढ़ाएगी।
हाथियों के लिए अपराधी (क्रिमिनल) शब्द का उपयोग किया गया है और बार-बार अपराध करने वाले हाथी को कैद करने की चर्चा की गई है। सिंघवी ने प्रश्न पूछा है कि क्या वन विभाग ने छत्तीसगढ़ के हाथियों को भारतीय दंड संहिता पढ़ा दी है जो कि उनके लिए अपराधी शब्द का उपयोग किया जा रहा है? संभवतः पूरे देश में पहली बार हाथियों के लिए अपराधी शब्द का प्रयोग हुआ है। ऐसे शब्द नफरत को बढ़ावा देते है। जबकि भारत सरकार ने हाथियों के लिए कठोर शब्द के उपयोग पर मना ही की है।
वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम में *कैद* शब्द का उपयोग ही नहीं किया गया है। वन विभाग को बताना चाहिए कि कितने माह या वर्ष वह हाथी को कैद करके रखेगा। दिशा निर्देश में बताया गया है कि कुछ हाथी दलों में नर हाथी दल का नेतृत्व करते हैं और कुछ हाथी दलों में मादा हाथी दल का नेतृत्व करती है। जबकि सभी जानकार जानते हैं कि हाथी परिवार में सिर्फ और सिर्फ मादा हथनी ही दल का नेतृत्व करती है।
सोलर बिजूका को बड़ी सावधानी से हाथी नष्ट कर देते हैं। इसका उदाहरण देकर बताया गया है कि मानव आकृति के प्रति हाथी नफरत का भाव रखते हैं।दावा किया गया है कि लोनर हाथी अपने दल से बाहर होकर मानव के पास पहुंच जाता है और उनका व्यवहार मानव के लिए बहुत ज्यादा घातक होता है। सिंघवी के अनुसार यह कथन आमजन में लोनर हाथी के लिए भय का माहौल बनाएगा और मानव की तरफ से द्वंद बढेगा।
हाथी की प्रतिदिन की जिलेवार उपस्थिति की जानकारी देने वाले आकाशवाणी में प्रतिदिन प्प्रसारित होने वाले हमर हाथी हमर गोठ पर पैसा न खर्च किया जाए। दूसरी जगह लिखा है कि हमरा हाथी हमर गोठ जैसे कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।“सींग”* और सायरन का प्रयोग और हाथियों की ओर बढ़ना कभी-कभी खतरनाक हो सकता है। दिशा निर्देश में ये “सींग” कहा से आ गया?
अंग्रेजी भाषा में नर हाथी के लिए कई बार *बुल एलीफेंट* शब्द का उपयोग होता है और हाथियों की एक अवस्था के लिए मस्त शब्द का उपयोग होता है। लिखा है “हाथी बैल” के “मुस्त” के दौरान मनुष्य के प्रभुत्व को आसानी से स्वीकार नहीं करते। प्रभुत्व शब्द से क्या बताना चाहता है विभाग?
क्षेत्र में हाथियों की संख्या पता लगाए जाने के बाद लिखा है कि ज्ञात पहचानी गई *“संदिग्ध”* हाथियों की तलाश करें। यहाँ दिशा निर्देश किन संदिग्ध हथियों की बात कर रहा है किन परिस्थितियों में हाथी संदिग्ध हो जाते हैं इसे नहीं बताया गया है। दिशा निर्देश कितने लूजली बनाए गए हैं कि उसमें यह लिख दिया गया है कि हाल ही में सृजित 14 पशु चिकित्सकों के पद को अंततः नियमित करना चाहिए। सिंघवी ने पूछा कि इस प्रशासनिक सुझाव का हाथी मानव द्वंद के दिशा निर्देश से क्या लेना देना है?
दिशा निर्देश की प्रस्तावना में वन विभाग ने स्वीकारा है कि हाथियों के प्रति नफरत का वातावरण बनने से जंगली हाथियों की मौतें हुई है और अब खुद ऐसे दिशा निर्देश जारी कर रहे हैं जिनमें हाथियों के लिए नफरत बढे। हिंदी भाषा की इतनी गलतियां है जो यह प्रतिपादित करता है की वन विभाग बिना सोचे समझे हाथी-मानव द्वंद नियंत्रित करने चला है।