राज्यशासन

छत्तीसगढ की सियासत ‘कही-सुनी’

कालम

  रवि भोई

छत्तीसगढ़ की साय सरकार जनता की सर-आँखों में

राज्य में नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में भाजपा को जिस तरह लोगों ने समर्थन दिया है, उससे साफ़ है कि यहां की करीब 13 महीने पुरानी विष्णुदेव साय सरकार को सर-आँखों पर बैठा लिया है। नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में भाजपा को करीब 56 फीसदी वोट मिले हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 46 फीसदी वोट मिले थे, हालांकि राज्य में विष्णुदेव साय की सरकार बनने के करीब तीन महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को 52 फीसदी वोट मिले थे। लोकसभा में भाजपा ने राज्य की 11 में से 10 सीटें जीती। नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में तो भाजपा की लहर ही चल गई। विष्णुदेव साय सरकार में हर चुनाव में भाजपा का वोट परसेंट बढ़ने का मतलब साफ़ है कि लोग सरकार के कामकाज और नीतियों को पसंद कर रहे हैं। कहते हैं कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के स्लोगन-पार्षद से प्रधानमंत्री और पंचायत से पार्लियामेंट की भी खूब चर्चा रही। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री के नारे से प्रभावित होकर लोगों ने भाजपा के पक्ष में ईवीएम के बटन दबाए और ठप्पे लगाए। राज्य में भाजपा के वोट परसेंट में जबरदस्त उछाल को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है। वोट परसेंट बढ़ने को साय सरकार की मजबूती का सूचक भी माना जा रहा है।

भाजपा नेता का कैदी से प्रेम

कहते हैं कि भाजपा के एक नेता का रायपुर सेंट्रल जेल में बंद एक कैदी से प्रेम आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है। बताते हैं कि भाजपा नेता जेल में बंद कैदी के सुख-सुविधा के लिए अफसरों को समय -समय पर फोन करते रहते हैं। शुरू में जेल के अफसर दबाव में आकर कुछ मदद कर दी, पर जेल और पुलिस के आला अफसरों को भनक लगने के बाद भाजपा नेता के चहेते कैदी की व्हाट लगा दी। नेताजी के फोन का भी कोई असर नहीं हुआ। नेताजी पार्टी में खासे रसूखदार हैं और नेताजी के आशीर्वाद से जेल जाने से पहले कैदी की दसों अंगुलियां घी में थी।

कलेक्टरी का मोह भारी

कहते हैं धमतरी की कलेक्टर नम्रता गांधी अब शायद ही केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जाएं। 2013 बैच की आईएएस नम्रता गांधी को कैबिनेट सेक्रेट्रियेट में उप सचिव बनाए जाने का आदेश 31 जनवरी को हुआ था। आदेश के मुताबिक़ उन्हें तीन हफ्ते के भीतर नई जगह ज्वाइनिंग देनी थी। तीन सप्ताह के समय बीतने के बाद राज्य सरकार ने अब तक उन्हें कार्यमुक्त करने का आदेश जारी नहीं किया है। दुर्ग की कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी का भी केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति में जाने के लिए 10 फ़रवरी को आदेश हुआ था। तीन हफ्ते के भीतर इन्हें भी भारत सरकार में ज्वाइनिंग देनी है। ऋचा प्रकाश चौधरी को वाणिज्य मंत्रालय में उप सचिव बनाया गया है। ऋचा प्रकाश के बारे में भी राज्य सरकार ने अब तक फैसला नहीं किया है। इससे लग रहा है कि दोनों महिला अफसर कलेक्टर बनीं रहेंगी। वैसे भी कलेक्टर के रुतबे के सामने भारत सरकार के उप सचिव के पद को बौना ही माना जा रहा है।

कुंभ स्नान कर चर्चा में कलेक्टर साहब

कहते हैं राज्य में पंचायत चुनाव के दौरान एक कलेक्टर साहब कुंभ स्नान कर सुर्ख़ियों में आ गए हैं। राज्य के कुछ सचिव और प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी भी परिवार सहित कुंभ स्नान को गए, पर वे अकेले गए और आए, तो हल्ला नहीं हुआ। बताते हैं कि कलेक्टर साहब एक वीवीआईपी के साथ प्लेन से प्रयागराज गए थे। इस कारण वे सुर्ख़ियों में आ गए। चर्चा है कि कुंभ स्नान के लिए जाने हेतु कलेक्टर साहब ने न तो सरकार से अनुमति ली और ही राज्य निर्वाचन आयोग से। सरकार इस मामले में चुप्पी साधे हुए है। खबर है कि सरकार के कुछ लोग कलेक्टर साहब के इस काम से खुश नहीं हैं। कलेक्टर साहब उत्तरप्रदेश से ताल्लुक रखते हैं। ये साहब कांग्रेस राज में तीन जिलों में काफी कम-कम समय के लिए कलेक्टर रहे, फिर उन्हें मंत्रालय में पदस्थ कर दिया गया। इसका फायदा मिला और राज्य में भाजपा की सरकार बनते ही साहब को एक बड़े जिले की कलेक्टरी मिल गई।

पुलिस मुख्यालय में कमरों की मारामारी

कहते हैं पुलिस मुख्यालय में अफसरों की भीड़ बढ़ गई है, जिससे कमरों की मारामारी हो गई है। आलम यह है कि डीएसपी स्तर के अफसरों के लिए आरक्षित कमरों में डीआईजी स्तर के अधिकारियों को आबंटित करना पड़ा है। सरकार ने पिछले कुछ महीनों में फील्ड से कई आईपीएस अफसरों को हटाकर पुलिस मुख्यालय में पदस्थ कर दिया। काफी समय तक उन्हें विभाग नहीं मिला था। अब विभाग मिल गया है तो कमरों की समस्या आ गई। बताते हैं कि पुलिस मुख्यालय में इससे पहले एक साथ इतने अधिकारी तैनात नहीं थे। अफसरों की भीड़ के कारण एक छोटे से सेक्शन में एडीजी और आईजी स्तर के अधिकारी को पदस्थ करना पड़ा है। अब प्रभारी डीजीपी अरुणदेव गौतम क्या करते हैं ,इसका सभी को इंतजार है।

बिना कोषाध्यक्ष के कब तक चलेगी कांग्रेस

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल करीब दो साल से लापता हैं। ईडी उनके पीछे पड़ी है और उनकी तलाश में बताई जाती है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने रामगोपाल अग्रवाल की जगह अब तक किसी को प्रदेश कांग्रेस का कोषाध्यक्ष नहीं बनाया है। प्रदेश कांग्रेस बिना कोषाध्यक्ष के ही चल रही है। इस बीच विधानसभा, लोकसभा और नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव भी निपट गया। अब चर्चा होने लगी है कि बिना कोषाध्यक्ष के प्रदेश कांग्रेस कब तक चलेगी। इस बीच ईडी के अफसर प्रदेश कांग्रेस के कार्यालय तक जा पहुंचे। सुकमा का राजीव भवन ईडी के निशाने पर है। ईडी के अफसर सुकमा के कांग्रेस भवन के लिए धन की व्यवस्था की तह तक जाना चाहते हैं। अब प्रदेश कांग्रेस में कोषाध्यक्ष नहीं हैं तो ईडी का सामना प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री मलकीत सिंह गैंदू को करना पड़ा।

आबकारी अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति कब

कहते हैं कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए शराब घोटाले में कोर्ट ने आठ शराब कंपनियों को भी जिम्मेदार ठहराते हुए पार्टी बना दिया है और उन्हें कोर्ट में आने के लिए समंस जारी करने का आदेश दिया है , पर इस मामले में कुछ जिला आबकारी अधिकारियों और एक सहायक जिला आबकारी अधिकारी के अपराध में शामिल होने के बाद भी उनके खिलाफ अब तक अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिलना चर्चा का विषय है। कहते हैं अदालत ने भी इस पर टिप्पणी की है और कहा है कि अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिलने के कारण कार्रवाई नहीं हो पा रही है। सरकारी कर्मचारियों के मामले में राज्य सरकार को अभियोजन की स्वीकृति देनी है। अब देखते हैं सरकार कब तक अभियोजन की स्वीकृति देती है।

पीए-ओएसडी के फेर में मंत्री जी

कहते हैं कि साय सरकार के कुछ मंत्रियों पर पीए और पीएस भारी पड़ रहे हैं। एक मंत्री को तो पीए के अक्ल से चलने के कारण अपनी किरकिरी करानी पड़ गई। मंत्री जी अपनी ही पार्टी के विधायक के सवालों के फेर में उलझ गए। एक मंत्री जी के ओएसडी साहब ने तो मंत्री जी की जानकारी के बिना बजट प्रपोजल ही बदल दिया। बताते हैं एक मंत्री जी तो बाकायदा अपने एक पीए को ख़ुफ़िया काम में और एक को व्यवस्था में लगा रखा है। एक मंत्री जी बिना आदेश के अपने एक पुराने पीए को अपने साथ अटैच कर रखे हैं। पुराने पीए के कारण मंत्री जी के एक विभाग में विवाद की स्थिति बनी हुई है।

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