CPCB;महाकुंभ में कई जगह स्नान के लायक भी नहीं पानी,CPCB की रिपोर्ट से हड़कंप, अफसरों से मांगा गया जवाब
पानी नहीं
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नई दिल्ली, एजेंसी, प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान विभिन्न स्थानों पर फीकल कोलीफोर्म का स्तर बढ़ गया है। कई जगहों पर जल स्नान के लायक नहीं है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने रिपोर्ट दायर कर सोमवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को यह जानकारी दी। दरअसल, सीपीसीबी के अनुसार फीकल कोलीफोर्म सीवेज प्रदूषण का संकेतक है। इसकी मात्रा 100 मिलीलीटर पानी में 2,500 यूनिट तक होनी चाहिए।
प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों में सीवेज प्रवाह को रोकने के मुद्दे पर सुनवाई कर रही एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल की पीठ ने कहा कि सीपीसीबी ने रिपोर्ट दायर की थी, जिसमें कुछ उल्लंघनों की ओर इशारा किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि निगरानी वाले स्थानों पर फीकल कोलीफोर्म (एफसी) के संबंध में नदी के जल की गुणवत्ता स्नान के लायक नहीं थी। महाकुंभ मेले के दौरान, बड़ी संख्या में लोग प्रयागराज में गंगा नदी में स्नान करते हैं, जिससे फीकल कोलीफोर्म की मात्रा में वृद्धि हुई है।
क्या निर्देशों का नहीं किया गया पालन?
पीठ ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने व्यापक कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने के ट्रिब्यूनल के पहले के निर्देश का पालन नहीं किया है। ट्रिब्यूनल ने पाया कि यूपीपीसीबी ने केवल कुछ जल परीक्षण रिपोर्टों के साथ एक कवरिंग लेटर दाखिल किया था। केंद्रीय प्रयोगशाला, यूपीपीसीबी के प्रभारी द्वारा भेजे गए 28 जनवरी, 2025 के कवरिंग लेटर के साथ संलग्न दस्तावेज की समीक्षा करने पर भी पता चलता है कि विभिन्न स्थानों पर फीकल कोलीफोर्म के उच्च स्तर पाए गए हैं।
जवाब दाखिल करने के लिए मिला एक दिन का समय
ट्रिब्यूनल ने उत्तर प्रदेश राज्य के वकील को रिपोर्ट की जांच करने और जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का समय दिया। पीठ ने यूपीपीसीबी के सदस्य सचिव और प्रयागराज में गंगा नदी में पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जिम्मेदार संबंधित राज्य प्राधिकरण को 19 फरवरी को होने वाली अगली सुनवाई में वर्चुअली पेश होने का निर्देश दिया।