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DISCUSSION; कमजोर कंधों पर-मजबूत इरादों वाला देश कैसे टिकेगा ?……….

कालम

22 अप्रेल 2025 को कश्मीर के पहलगाम मे हुए 27 मासूम पर्यटकों की जान आंतकवादियों द्वारा नाम व धर्म पूछकर लिये जाने के बाद, पूरा देश शोक में डूबा रहा। और सरकार से दोषी एवं गुनाहगारों को सजा दिलाने के लिए देश की जनता एवं समस्त विपक्षी राजनैतिक दलों में एक जूटता दिखाई गई है। उस दरम्यान देश का विश्वगुरू साउदीअरब के प्रवास पर थे। पहलगाम की आंतकीय घटना सुन कर, विश्वगुरू साउदीअरब के दौरे को रद्द करते हुए तुरंत स्वदेश पहुचें और विश्वगुरू कश्मीर में न जाकर बिहार के मधुबनी में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए आंतकवादियों को जमकर ललकारते रहे। विश्वगुरू की सरकार पर ‘‘डगमाता विश्वास‘‘ का दबाव जरूर बना रहा। अंततः विश्वगुरू की सरकार के 06 मई की रात 1ः00 बजे भारतीय वायु सेना द्वारा कश्मीर सीमा पार के जंगलों में लश्कर-ऐ-तैयाब एवं इण्डियन मुजाहिद्दीन के आंतकी ठिकानों पर हवाई-हमले कर नेश्तानाबुद कर दिया गया।
भारतीय सेनाओं द्वारा की गई सख्त जवाबी कार्यवाही से प्रख्यात आंतकी मसूद अजहर के 10 परिवार सदस्यों के साथ उनके आंतकी ठिकानों को भी नष्ट कर दिये गयें। जवाबी हवाई हमले के वक्त आंतकी मसूद अजहर मौजूद न रहने के कारण जान से बच गये है। किन्तू वे दुखी होकर हमलो से नुकसान होने की बात को कबूल किये है। 06 अप्रेल की रात 1ः30 बजें तक भारतीय सेना समस्त आंतकी पनाहस्थलों का नेस्तानाबूद कर दिये। देशवासियों को अपने सेना पर गर्व है। परिणाम स्वरूप पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के नापाक इरादों के साथ जम्मू कश्मीर, गुजरात एवं सीमा से लगे शहरों को निशाने पर लेकर, हमले लगातार हवाई-हमले जारी रखे। किन्तू भारत के सेनाओं में आपार धैर्य क्षमता होने कारण, अपने सीमा मे रहकर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के ड्रोन एवं विमानों को लगातार नष्ट करते रहें। भारतीय सेनावों के शौर्य एवं विरता आगे देश की जनता नतमस्तक है। दोनो देशों के बीच युद्ध के चलते पाकिस्तानी ड्रोन को नष्ट के दौरान शहिद हुये पंजाब के उधमपुर निवासी सेना की बच्ची ने अपने पिता के प्रार्थिव शरीर को सलाम करते हुए, कसम लेकर दृढ़ संकल्प ली है कि – मैं बढ़ी होकर भारतीय सेना में फौजी बनकर अपने पापा की शहादत का बदला जरूर लूंगी। 

भारतीय सेना द्वारा 06 अप्रेल 2025 की रात को जवाबी हवाई हमलों को ‘‘ऑपरेशन सिंदूर‘‘ का नाम देकर, 27 पर्यटकों की सिंदूर की कीमत जवाबी हवाई हमलों से ली गई है। भारतीय सेनाओं द्वारा अदम्य साहस का परिचय देते हुए पड़ोसी मुल्क के आंतकी ठिकानों का सफाया करने से, पड़ोसी मुल्क तिलमिला गई है। और अपनी झुठी शान को बनाऐ रखने के लिए अमेरिका के अलावा अन्य मुल्कों से आर्थिक सहयोग एवं सैन्य सहयोग लेने के लिए लगातार गुहार लगाता रहा। बहुत की गई मिन्नतों के बाद अमेरिका द्वारा आर्थिक सहयोग एवं चीन द्वारा सैन्य-सांधनों का सहयोग देने के लिए तैयार भी हुए। चीन द्वारा दियें गयें विमान सहयोग का पोल, भारतीय सेनाओं द्वारा कुछ ही मिनटों में जमींदरोंज कर दियें गयें। दूसरी तरफ पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान अपनी बिगड़ती अर्थव्यवस्था से शुरू से ही चिंतित जरूर था। किन्तू सैन्य साधनों की कमी से घबरा कर, हवाई हमलों को और तेज कर दिये। पड़ोसी मुल्क सिंधू-जल-संधी को रोकने की बातों से परिशान भी हुए है। इसी दरम्यान भारत देश द्वारा चिनाब नदी पर बने बांध के गेट को खोलने से पड़ोसी मुल्क को, अनाज के फसलों का नुकसान भी उठाना पड़ा है।
भारतीय सेना द्वारा आंतकवादियों के आंतकी 19 ठिकानों में से 11 ठिकानों का नष्ट करने पर अंधभक्तों द्वारा देश के कुछ शहरों के चौक-चौराओं पर भारतीय सेना की वीरता  को सलामी देने के वजाय अपने विश्वगुरू के सैन्य-पोशाक-धारी होर्डिंग लग गये। साथ ही देश के प्रमुख विपक्षी पार्टी के नेताओं की देश-भक्ती पर लगातार प्रश्न उठाते रहें। जबकि प्रमुख विपक्षी राजनैतिक दल द्वारा देश की आजादी के लिए प्राणों की अहुति देकर देश को आजाद किये है। मगर सत्ता पक्षों का आजादी की लड़ाई में इनकी कोई भी भूमिका नहीं रहीं है।

10 मई 2025 की शाम 5ः00 बजे को आचानक अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ड्रम के संदेश के आधार पर दोनो देशों ने युद्ध विराम कर दियें इसकी पुष्टी देश के विदेश सचिव विक्रम मिसरी द्वारा घोषणा की गई है। दोनो देशों के बीच जारी युद्ध के समय विदेश सचिव द्वारा टेलीविजन चैनलों पर युद्ध की ताजा अपडेट (जानकारी) देते आ रहे थे। किंतू युद्ध विराम की खबर से समुचा देश पुनः आक्रोशित हो उठा और देश के सत्ताधीशों पर प्रश्न उठाते रहे। युद्ध विराम की घोषणा से देश की जनता, निराशा में डूब गई। देश की जनता को हमेशा अपने सेना पर गर्व रहा है। किंतू अचानक युद्ध विराम से देश के सेना का अपमान हुआ है। विश्वगुरू के 56‘‘ के सीने में, देश भक्ती की हुंकार कैसे आचानक गायब हो गई ?

समुचा देश 1971 के युद्ध विराम समय की घटनाओं को याद करते हुए, पुनः एक बार पुर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की मजबूत युद्धनीति को सराहा गया। इंदिरा गांधी ने 90 हजार दुश्मन देश की सेनाओं का आत्मसमर्पण करवा कर सशर्त युद्ध विराम की घोषणा की थी, इसके अलावा शिमला समझौता के अनुसार भारत एवं पाकिस्तान के निजी मामलों में तीसरे पक्ष की मध्यस्थता कबूल नहीं होगी। मगर 2025 की युद्ध विराम की घोषणा में अमेरिका का मध्यस्थता को विश्वगुरू सरकार ने क्यों स्वीकार किया ? इस तरह शिमला समझौता के नियमों का उल्लंघन का जवाब देश मांग रहा है। किंतू 2025 के दोनो देशों के बिच जारी युद्ध का, युद्ध विराम का क्या शर्त रहा और देश को युद्ध विराम के बदले क्या मिला है ? क्या देश को 27 पर्यटकों की जान लेने वाले आंतकवादियों का आत्मसमर्पण हो गया ? किंतू दूसरी तरफ युद्ध विराम का जश्न पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान मना रहा है। और भारत देश मायूसी में डूबकर अपने वीरता को कोस रहा है।

इसी दौरान अंधभक्तों के बीच में से एक महान दलबदलू अंधभक्त असम के मुख्यमंत्री द्वारा अपने विश्वगुरू के पक्ष में बयान दिया है कि 1971 को हुई युद्ध विराम के उपरांत बंग्लादेश की स्थापना के बाद की नाकामी के लिए इंदिरा गांधी जिम्मेदार है। कांगेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे एवं प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी द्वारा देश के प्रधानमंत्री से विशेष सत्र बुलाने की मांग की गई है। किंतू विश्वगुरू की सरकार अभी तक चुप है।
इस तरह 10 मई 2025 की शाम को अचानक हुए युद्ध विराम घोषणा के बावजूद पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान द्वारा लगातार 03 घंटे तक जम्मू कश्मीर, गुजरात एवं पंजाब के सीमा पर गोलीबारी करके अंतर्राष्ट्रीय युद्ध-विराम के नियमों का उलंघन किया गया है। देश के सेनाओं ने हिम्मत और धैर्य का परिचय देते हुए दुश्मनों के हवाई हमले को धराशायी कर दियें। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के नापाक ईरादो एवं हरकतों को पुरा विश्व देख चुका है। सबसे आश्चर्य की बात है कि- ‘‘ऑपरेशन-सिंदूर‘‘ ट्रेड मार्क के सिंदूर बेचने के लिए कई बड़े-बड़े उद्योगपति सामने आ चुके थे। किंतू सुप्रीम कोर्ट के पास शिकायत पहुचने कारण देश के विख्यात उद्योगपतियों ने अपना कदम पिछे कर लियें है। इसे कहते है कि – ‘‘आपदा में अवसर ढुंढना‘‘।

इंजीनियर तपन चक्रवर्ती 

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