
0अब सभी संगठनों को नए सिरे से सक्रिय करने की तैयारी, जनाधार तय करेगा नेताओं का भविष्य
रायपुर, कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट की पिछले दिनों मैराथन बैठक के बाद संगठन को मजबूत करने के लिए नए सिरे से रणनीति तैयार करने पर मंथन चल रहा है। इसमें सक्रिय कार्यकर्ताओं को बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी है। 7 जुलाई को राजधानी रायपुर में कांग्रेस की किसान-जवान-संविधान सभा होगी। इस सभा की भीड़ के आधार पर हर नेता का जनाधार तय होगा और तदनुरुप जिम्मेदारी दी जाएगी।
कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी, सह प्रभारी से लेकर कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं का छत्तीसगढ़ दौरा चल रहा है। पार्टी की बैठक लेकर संगठन को मजबूत करने की कोशिश की जा रही है। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पदाधिकारी से विचार विमर्श कर सरकार को घेरने की रणनीति भी बनाई जा रही है। इसी परिप्रेक्ष्य में चुनाव की तर्ज पर शीर्ष नेताओं की बड़ी सभा की तैयारी भी चल रही है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की राजधानी में 7 जुलाई को बड़ी सभा होनी है। इसके लिए पद पर बैठे सभी नेताओं को भीड़ जुटाने के लिए अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है। इसमें कांग्रेस के विभिन्न संगठनों के प्रदेश अध्यक्ष भी शामिल है। बारिश और खेती-किसानी का समय होने की वजह से कांग्रेस के सामने भीड़ जुटाने की बड़ी चुनौती होगी। यही वजह है कि भीड़ के आधार पर हर नेता का जनाधार भी तय होगा। इसका असर संगठन विस्तार में भी दिखाई देगा। बता दें कि कांग्रेस का संगठन विस्तार लंबे समय से नहीं हुआ है। महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष तो सालों से अपने पद पर बनी हुई है। कांग्रेस को उनका दूसरा विकल्प ही नहीं मिल रहा है।
राजनीति के जानकार मानते है कि यदि 2023 के चुनाव की बात की जाये तो कांग्रेस हारी जरूर है, लेकिन उतनी हताश नहीं है, क्योंकि वोटिंग परसेंट इतना ज्यादा कांग्रेस का नहीं गिरा है। भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव सभी सरकार के खिलाफ मुखर होकर बोलते हैं। अभी जो प्रक्रिया चल रही है, खासकर संगठन की तैयारी के रूप में देखी जा सकती है, क्योंकि कांग्रेस विपक्ष में बैठी हुई है।
अब हर माह समीक्षा
जिला और ब्लॉक कांग्रेस कमेटियों की रिपोर्ट पर अब पीसीसी में भी हर माह समीक्षा होगी। इस तरह से संगठन हर माह कामकाज और रिपोर्ट पर चर्चा करेगा। प्रदेश स्तरीय समीक्षा हर माह 25 से 30 तारीख के बीच होगी।
गुटबाजी चिंतनीय
कांग्रेस में शुरू से गुटबाजी हावी रही है। पिछली बार सत्ता में आने के बाद अब गुटबाजी चरम पर पहुंच गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की बैठक और बयानबाजी में यह बात साफ दिखाई देती है। इसका असर संगठन के विस्तार पर भी पड़ रहा है। वरिष्ठ नेताओं में आपसी तालमेल नहीं होने से जिलाध्यक्ष के चयन के लिए पर्यवेक्षक बनाने की नौबत आ गई है। इसके बाद गुटबाजी समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है।
निष्क्रिय पदाधिकारी होंगे बाहर
कांग्रेस पार्टी के जिम्मेदार सूत्रों का दावा है कि संगठन में पद लेकर घर बैठने वाले निष्क्रिय पदाधिकारी बाहर किए जा सकते हैं। उनके स्थान पर संगठन में नए चेहरों को मौका मिलेगा। संगठन में बिना पद के काम करने वाले कई सक्रिय कार्यकर्ता कतार में हैं, जो जिला अध्यक्ष पद के भी दावेदार हैं।