भारतीय क्रिकेट टीम में होगी नए हेड कोच की ताजपोशी
वेस्टइंडीज गई भारतीय क्रिकेट टीम के दौरे में गए हेड कोच राहुल द्रविड़ का सफर खत्म होना तय है। ये भी तय है कि राहुल द्रविड़ आवदेन भी नही करेंगे, जैसा बीसीसीआई के सचिव जय शाह ने बताया था कि राहुल द्रविड़ चाहते भी है तो नियम से उन्हें आवेदन प्रक्रिया से गुजरना होगा। राहुल द्रविड़ ये भी जानते होंगे कि आवदेन करने के बाद भी उन्हें हेड कोच नही बनाया जायेगा, इसलिए सम्मानपूर्वक राम राम कहना ही ठीक है।
27 मई 2024 को आवेदन करने का समय खत्म हो चुका है। अधिकृत रूप से 30 टेस्ट अथवा 50 वनडे मैच खेलने वाले ही भारतीय टीम के हेड कोच बनने की पात्रता रखते है। वर्तमान में गौतम गंभीर का नाम सबसे ऊपर है लेकिन भारतीय क्रिकेट के इतिहास में 314 टेस्ट और 255 वनडे खेल चुके खिलाड़ियों में से जीवित खिलाड़ियों में दिलीप वेंसरकर, रवि शास्त्री, के श्रीकांत, कपिल देव , किरण मोरे,अनिल कुंबले, राहुल द्रविड़ सहित जो खेल रहे है या सन्यास नही लिए है उन्हे छोड़ दिया जाए तो 21 टेस्ट खिलाड़ी और 17 वन डे खिलाड़ी ऐसे बचते है जो बीसीसीआई के निर्धारित मापदंड को पूरा करते है।
बीसीसीआई के निर्धारित 30 टेस्ट या 50 वनडे से अधिक मैच खेलने वालों में सुनील गावस्कर , दिलीप वेंगसरकर, मोहिंदर अमरनाथ, मदनलाल, मनिंदर सिंह, नवजोत सिद्धू,मनोज प्रभाकर, अजहरुद्दीन, संजय मांजरेकर, सचिन तेंडुलकर, जगावल श्रीनाथ, नयन मोंगिया, वेंकटेश प्रसाद, सौरव गांगुली, वी वी एस लक्ष्मण, हरभजन सिंह, जहीर खान, वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, गौतम गंभीर, एम एस धोनी ,इशांत शर्मा ऐसे टेस्ट और वनडे खिलाड़ी है जो 30 से अधिक और 50से अधिक वनडे संयुक्त रूप से खेले हुए है।
50 से अधिक वनडे खेलने वाले खिलाड़ियों में राबिन सिंह, वेंकटपति राजू, विनोद कांबली, अजय जडेजा, सुनील जोशी, अजीत आगरकर, नयन मोंगिया, आशीष नेहरा, मो कैफ, इरफान पठान,दिनेश कार्तिक, सुरेश रैना, आर पी सिंह, एस श्रीसंत, प्रवीण कुमार,यूसुफ पठान, ऐसे खिलाड़ी है।
अगर बीसीसीआई खिलाड़ियों के टेस्ट,वन डे का सम्मिलित रिकार्ड देखे और सफलता को भी मापदंड बनाए तो सचिन तेंडुलकर सबसे पहले क्रम में आते है। सचिन भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रहे है। उनके पास 200 टेस्ट और 463 वनडे खेलने का अनुभव है। सचिन के बाद एम एस धोनी अकेले ऐसे खिलाड़ी है जिनके पास कप्तानी, के साथ साथ टेस्ट मैच में नंबर वन, वनडे और टी 20की चैंपियनशिप का ताज है। धोनी 90 टेस्ट,और 347 वनडे मैच खेलने का भी अनुभव रखते है। धोनी के सामने गौतम गंभीर का 58 टेस्ट और 147 वन डे का अनुभव आधे के बराबर है। एम एस धोनी अभी तक तो आईपीएल में खेल रहे है। वही गौतम गंभीर सभी फार्मेट से बाहर होकर केकेआर के मेंटर पोस्ट पर है। धोनी और गंभीर में 2011के विश्व विजेता होने पर किसका योगदान ज्यादा रहा है इस बात पर तेरह साल से विवाद जारी है।
आजकल एक ट्रेंड चल पड़ा है कि राजनीति ने खेलो में भी अपना दखल बना लिया है। कुछ साल पहले तो सत्तारूढ़ दल के राष्ट्रीय नेता और राज्यो के मुख्यमंत्रियों का जेबी अधिकार हो गया था कि वे राज्य क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बना दिए जाते थे। क्रिकेट की गली और मोहल्ले की गली में फर्क न जानने वालों ने भी संघ की अध्यक्षता की है। जस्टिस लोढ़ा कमेटी के निर्णय के बाद तकनीकी रूप से कोच, प्रशिक्षक के लिए न्यूनतम आहर्ता निर्धारित कर दी गई। यही नहीं 70 साल से ऊपर उम्र वालो को प्रतिबंधित भी कर दिया गया। इस कारण सुनील गावस्कर,मोहिंदर अमरनाथ, मदनलाल अपात्र हो गए। सौरव गांगुली बीसीसीआई के प्रमुख रह चुके है। रोजर बिन्नी वर्तमान प्रमुख है।
गौतम गंभीर को हेड कोच बनाए जाने के तीन कारण हो सकते है। पहला वे अपेक्षित अनुभव रखते है याने 58 टेस्ट और 147 वनडे का अनुभव है। दूसरा वे भारतीय जनता पार्टी के सदस्य है। पिछले पांच साल दिल्ली के सांसद भी रहे है। ये सबसे बड़ी अर्हता है। ऐसे में राहुल द्रविड़ का सबसे बेहतर विकल्प क्या हो सकता था? वैसे भी कोलकाता नाइट राइडर्स को आईपीएल ट्रॉफी जिताने के बदले कुछ पाने के हकदार गौतम गंभीर है तो……………
स्तंभकार-संजयदुबे