चुनावी डंडा; आबकारी घोटाले के बीच 138 अफसरों का तबादला, कई अधिकारी जांच के दायरे में
रायपुर, तीन वर्ष से अधिक समय तक एक ही स्थान पर पदस्थ रहने वाले आबकारी अधिकारियों का थोक में तबादला किया गया है। राज्य में विधानसभा चुनाव के पहले आबकारी विभाग के बड़े प्रशासनिक बदलाव में उपायुक्त, सहायक आयुक्त, जिला आबकारी अधिकारी, सहायक जिला आबकारी अधिकारी और उप निरीक्षक आबकारी शामिल हैं। शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से जांच में राहत के बाद राज्य सरकार ने आबकारी में पुराने मठाधीशों को इधर से उधर कर दिया है। इस तबादले को राजनीतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक तबादले की रणनीति चार महीने से बनाई जा रही थी। लिस्ट में कई ऐसे अधिकारी हैं, जो कि एक ही स्थान पर पांच वर्ष से भी अधिक समय से जमे हुए थे। तबादला सूची में छह आबकारी उपायुक्त, सात सहायक आयुक्त, 15 जिला आबकारी अधिकारी, 48 सहायक जिला आबकारी अधिकारी और 62 आबकारी उप निरीक्षकों के नाम शामिल हैं।
आबकारी विभाग के आला अधिकारियों ने बताया कि जिन अधिकारियों का तबादला किया गया है, उनमें कई अधिकारी आबकारी विभाग द्वारा शराब घोटाले को लेकर गठित समिति के जांच के दायरे में थे। इनमें से कई अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुलाया जा चुका था। वर्तमान में जांच पर रोक के बाद इनसे पूछताछ नहीं की जा रही है। बताया जाता है कि ये अधिकारी पहले से ही उच्च अधिकारियों के राडार पर थे।
पाठक स्टेट मार्केटिंग कार्पोरेशन के प्रबंध संचालक
आबकारी विभाग के आयुक्त जनक प्रसाद पाठक को छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कार्पोरेशन लिमिटेड (सीएसएमसीएल) के प्रबंध संचालक का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। स्टेट मार्केटिंग कार्पोरेशन का मुख्य कार्य शराब की खरीदी करने के साथ ही गुणवत्ता को सुनिश्चित करने, उपभोक्ता कानून और उत्पाद शुल्क कानूनों का पालन करना है। प्रदेश में शराब, बीयर के वितरण, बिक्री, कीमतों और ब्रांड को लेकर निर्णय सीएसएमसीएल के माध्यम से होता है। जून 2023 में निरंजन दास को हटाकर जनक प्रसाद पाठक को आबकारी आयुक्त की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
2000 करोड़ के शराब घोटाले की जांच
प्रदेश में 2000 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले की जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। ईडी ने दावा किया था कि छत्तीसगढ़ में वर्ष 2019 से 2022 तक शराब खरीदी-बिक्री में भ्रष्टाचार के साथ मनी लांड्रिंग की गई है। ईडी ने अपनी जांच में नेताओं, शराब कारोबारियों और आला अधिकारियों की 180 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच कर चुकी है।