कानून व्यवस्था

SUPREME COURT; हिट एंड रन मामलों में पुलिस करेगी पीड़ित को मुआवजा योजना के बारे में सूचित, सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

 नई दिल्ली, एजेंसी,  हिट एंड रन सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वालों और घायलों को मुआवजा सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पुलिस से लेकर सरकार तक को दिशा निर्देश जारी किए ताकि पीड़ित और उसके परिवार को मुआवजा मिलना सुनिश्चित हो।

देशभर में हिट एंड रन की बहुत अधिक दुर्घटनाएं दर्ज होने और बहुत कम संख्या में पीड़ितों को मुआवजा मिलने के आंकड़ों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि दुर्घटना के जिन मामलों में टक्कर मारकर भागने वाले वाहन का पता नहीं चलता, तो पुलिस दुर्घटना में मारे गए व्यक्ति के परिजनों को या दुर्घटना में घायल व्यक्ति को मुआवजा योजना के बारे में बताएगी और मुआवजा दावा कर सकने की जानकारी देगी।

कोर्ट ने सरकार से भी कहा है कि वह योजना का मुआवजा बढ़ाने पर विचार करे।यह आदेश जस्टिस अभय एस. ओका और पंकज मित्तल की पीठ ने हिट एंड रन सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को मुआवजे के बारे में उचित निर्देश मांगने वाली याचिका पर दिए। कोर्ट ने इस मामले में सरकार की योजना और सुनवाई मे मदद कर रहे न्यायमित्र वकील गौरव अग्रवाल व अन्य पक्षों के सुझाव देखने के बाद विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए।

2022 में 67,387 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज हुईं

कोर्ट ने कहा कि हिट एंड रन दुर्घटनाओं के प्रस्तुत आंकड़े देखने से पता चलता है कि 2022 में 67,387 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज हुईं। फैसले में पांच वर्षों की दुर्घटनाओं के आंकड़े दिए गए हैं। आदेश में यह भी दर्ज किया कि हिट एंड रन मामले में वित्त वर्ष 2022-2023 में केवल 205 मुआवजा दावे प्राप्त हुए जिसमें से सिर्फ 95 मामलों में क्लेम सेटल हुआ। कोर्ट ने आदेश में दर्ज किया कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा-161 के तहत केंद्र सरकार ने हिट एंड रन मामलों में मुआवजा योजना बनाई है और यह योजना एक अप्रैल, 2022 से लागू है।

इस योजना में हिट एंड रन दुर्घटना में जान गंवाने वाले के परिजनों को दो लाख रुपये और घायल को 50,000 रुपये मुआवजा देने का प्रविधान है। ये मुआवजा योजना हिट एंड रन के उन मामलों के लिए है जहां वाहन टक्कर मारकर भाग जाते हैं और पता नहीं चल पाता कि किस वाहन ने टक्कर मारी है। कोर्ट ने पाया कि इस योजना में मुआवजा पाने वाले पीड़ितों की संख्या बहुत कम है।

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