HC;आर्य समाज के नाम पर छत्तीसगढ़ में चल रही फर्जी संस्थाएं, दो दर्जन संस्थानों को एचसी की नोटिस
आर्य समाज
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0 छग प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा ने संस्थानों की जांच और कार्रवाई के लिए दायर की याचिका
बिलासपुर, छत्तीसगढ़ प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर प्रदेश में आर्य समाज के नाम पर रजिस्ट्रेशन कर विवाह कराने और भारी शुल्क वसूलने वाले फर्जी संस्थानों पर कार्रवाई की मांग की है। हाई कोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए रजिस्ट्रार, फर्म एवं सोसायटी सहित करीब दो दर्जन से संस्थानों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता का आरोप है कि संबंधित अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1973 का उल्लंघन करते हुए कई संस्थाओं का पंजीकरण किया है। इन संस्थानों द्वारा विवाह संपन्न कराकर अवैध रूप से धन वसूली की जा रही है, जबकि वे आर्य समाज के सिद्धांतों का पालन नहीं करते हैं।
पंजीयन रद्द करने की उठाई मांग
याचिका में इन संस्थानों का पंजीयन रद करने की मांग की गई है। आर्य प्रतिनिधि सभा ने जानकारी दी कि छत्तीसगढ़ में वर्तमान में 24 से अधिक संस्थाएं आर्य समाज के नाम पर विवाह एवं अन्य अनुष्ठान करा रही हैं, जबकि इन्हें इसके लिए कोई वैधानिक मान्यता प्राप्त नहीं है। प्रदेश में 22 संस्थानों को पक्षकार बनाते हुए याचिका में उल्लेख किया गया है कि इनमें से 10 रायपुर, पांच दुर्ग और तीन बिलासपुर में संचालित हो रहे हैं। अदालत में आगे की सुनवाई के दौरान इन संस्थानों की वैधानिक स्थिति और उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों की गहन जांच की जाएगी।
आर्य समाज की स्थापना और उद्देश्य
आर्य प्रतिनिधि सभा ने याचिका में बताया कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने 10 अप्रैल 1857 को आर्य समाज की स्थापना की थी। यह संगठन सामाजिक सुधार और जनजागरण के लिए कार्य करता है। संगठन तीन स्तरों पर संचालित होता है। केंद्रीय स्तर पर सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा, प्रांतीय स्तर पर प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा और जिला स्तर पर संबद्ध आर्य समाज। छत्तीसगढ़ प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा राज्य में आर्य समाज मंदिरों की देखरेख और मान्यता प्रदान करने वाली पंजीकृत संस्था है।