वन भूमि पट्टा बांटने में देश में अव्वल छत्तीसगढ़; 5.17 लाख लोगों को पट्टा, 46 हजार सामुदायिक पट्टे बंटे
रायपुर, छत्तीसगढ़ में वन अधिकार मान्यता अधिनियम का प्रभावी और संवेदनशीलता के साथ क्रियान्वयन हो रहा है। इसके परिणाम स्वरूप राज्य में आदिवासी – वनवासियों सहित गरीब तथा कमजोर वर्ग के समस्त लोगों को काफी राहत मिली है, और उनकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ हुई है।
छत्तीसगढ़ में वन अधिकार मान्यता पत्र के संदर्भ में कुल 5 लाख 17 हजार 096 हितग्राहियों को वन अधिकार पत्र प्रदाय किये गये है। व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र प्रदाय करने में छत्तीसगढ़ राज्य देश में प्रथम स्थान पर है। इसके अंतर्गत हितग्राहियों के समग्र विकास के लिए भूमि समतलीकरण, जल संसाधनों का विकास तथा क्लस्टर के माध्यम से हितग्राहियों को अधिकाधिक लाभ के उद्देश्य से अनेक योजनाओं के माध्यम से मदद पहुंचाई गई है।
इसी तरह राज्य में सामुदायिक वन अधिकार अंतर्गत कुल 46000 प्रकरणों को मान्यता प्रदान की गई है, जो कि पुनः देश में सर्वाधिक है। इसके अंतर्गत वनांचलों में निवासरत जन समुदाय को विभिन्न प्रकार के निस्तार संबंधी अधिकार जैसे गीण वन उत्पाद संबंधी अधिकार मछली व अन्य जल उत्पाद तथा चारागाह अधिकार विशेष पिछड़ी जाति एवं समुदायों, कृषकों को आवास अधिकार, सभी वन ग्रामों पुराने रहवास क्षेत्रों, असर्वेक्षित ग्राम आदि को राजस्व ग्राम में बदलने के अधिकार, आदि शामिल है। इसके अलावा वनांचल क्षेत्र में पाये जाने वाले लघु वनोपज संग्रहण के लिये 67 प्रजातियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया गया है और इस वर्ष छ.ग. राज्य वन अधिकार मान्यता के प्रभावी क्रियान्वयन द्वारा देश का 73 प्रतिशत लघु वनोपज का संग्रहण करने में सफलता प्राप्त की है।
वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य में कुल 4306 सामुदायिक वन संसाधन अधिकार मान्यता पत्र प्रदाय किये गये है। वन संसाधन अधिकार के प्रबंधन हेतु मान्यता प्रदान करने में छत्तीसगढ़ राज्य देश का प्रथम राज्य है, जहां व्यापक पैमाने पर वन वासियों के अधिकारों के संरक्षण को ध्यान में रखते हुये वन अधिकार पत्र प्रदाय किये गये है।