NAXALITE; नक्सलियों का अगला नेता कौन होगा? सोनू या देवजी, बसवराजू की मौत के बाद मंडराया नेतृत्व का खतरा
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हैदराबाद, माओवादियों के सबसे बड़े कमांडर नंबाला केसव राव उर्फ बसवराजू की एनकाउंटर में मौत के बाद सुरक्षा एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि नक्सलियों का अगला नेता कौन होगा? 70 साल का बसवराजू इस प्रतिबंधित संगठन के महासचिव था। इस पोस्ट के लिए दो नाम सामने आ रहे हैं, थिप्पिरी तिरुपति उर्फ देवजी और मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू। तिरुपति माओवादी पार्टी की सशस्त्र शाखा सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (CMC) के प्रमुख हैं। वहीं, वेणुगोपाल राव को फिलहाल पार्टी का आइडियोलॉजी सेल की जिम्मेदारी है। सुरक्षा एजेंसियां यह जानने की कोशिश कर रही हैं कि इन दोनों में से कौन बसवराजू की जगह लेगा।

नक्सली संगठन में नेतृत्व का खतरा
डेढ़ करोड़ के इनामी बसवराजू की मौत के बाद नक्सली संगठन में नेतृत्व का खतरा मंडराने लगा है। तेलुगु राज्यों से पार्टी में भर्ती लगभग बंद हो गई है और सुरक्षा बलों के हमलों में माओवादी नेता बड़ी संख्या में मारे जा रहे हैं। उसके दो संभावित उत्तराधिकारियों में शामिल तिरुपति तेलंगाना के मडिगा (दलित) समुदाय से है, जबकि वेणुगोपाल राव ब्राह्मण है। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के मुताबिक, नक्सली तिरुपति को सर्वोच्च कमांडर बनाना चाहते हैं क्योंकि दलित होने के कारण वह आदिवासियों में पैठ बना सकता है। ये दोनों बसवराजू के बाद सेकेंड लाइन लीडरशिप में शामिल रहे। देवजी 62 साल और सोनू 70 साल का है। देवजी तेलंगाना के जगतियाल से है और सोनू पेद्दापल्ली इलाके का रहने वाला है।
अन्य नामों में कादरी सत्यनारायण रेड्डी का नाम भी सामने आ रहा है हालांकि उनका असर पहले से कम है और मल्ला राजी रेड्डी जिन्हें बहुत बूढ़ा माना जाता है और जिन्हें पहले गिरफ्तार किया गया था। वहीं इस मामले में एक्सपर्ट का कहना है कि बसवराजू की मौत पहले से ही कमजोर हो चुके विद्रोह को और कमजोर कर सकती है।
किस पर लगा सकते हैं दांव?
इंटेलिजेंस का मानना है कि नक्सली मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू पर दाव लगा सकते हैं। क्योंकि वह पुराने महासचिव किशनजी का भाई है। खुफिया अफसर भी मानते हैं कि बसवराजू की मौत के बाद नक्सली खत्म नहीं हुए हैं, मगर उनका मनोबल कम जरूर हुआ है। पुराने नक्सली कमांडर भले ही सरकार से बातचीत का पासा फेक रहे हैं। मगर वह हथियार छोड़ने को राजी नहीं हैं। एक अधिकारी ने कहा कि ज्यादातर पुराने कार्यकर्ता हथियार नहीं डालेंगे, जब तक कि वे मारे नहीं जाते।