AIIMS; एम्स में दो रोगियों की बेंटाल सर्जरी, हृदय की महाधमनी में थी रुकावट,मोर्फान सिंड्रोम से पीड़ित थे दोनों रोगी
रायपुर, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के चिकित्सकों ने दुर्लभ मोर्फान सिंड्रोम से पीड़ित दो रोगियों की जटिल बेंटाल सर्जरी की है। इसमें हृदय के एऑर्टिक वाल्व और ऊपर के एऑर्टा के एक भाग का सही विकास न हो पाने की वजह से उसे ऑपरेशन थियेटर में बनाए गए एक विशेष वाल्व से बदल दिया जाता है। दोनों रोगियों की यह सर्जरी सफल रही है और दोनों को डिस्चार्ज कर दिया गया है।
दुर्ग के 35 वर्षीय पुरुष रोगी और कबीरधाम के 18 वर्षीय स्कूली छात्र को एम्स में सांस लेने में दिक्कत के बाद उपचार के लिए लाया गया था। चिकित्सकों की जांच में ज्ञात हुआ कि दोनों मोर्फान सिंड्रोम बीमारी से पीड़ित हैं। यह आनुवांशिक बीमारी होती है जिसमें गर्भकाल में शिशु में जेनेटिक बदलाव के कारण क्रोमोसोम्स में दिक्कत से हृदय और आंख की मांसपेशियां और ऊतक विकसित नहीं हो पाते। इससे हृदय की महाधमनी की मांसपेशियों में अत्याधिक फैलाव, लीकेज, हार्ट फेल होना और महाधमनी के फटने की चुनौती रहती है। बढ़ती उम्र के साथ इसका और अधिक प्रभाव दिखने लगता है। इससे सांस फूलना, अत्याधिक थकावट, कमजोरी के लक्षण आने लगते हैं।
एम्स के सर्जन्स की टीम के डॉ. जी. सौरभ, डॉ. निरुपम चक्रवर्ती, डॉ. प्रनय, डॉ. स्नेहा और मुख्य कार्डियिक एनेस्थेटिस्ट डॉ. सुब्रता सिंगा ने डॉ. जितेंद्र के साथ मिलकर लगभग आठ घंटे लंबी चुनौतीपूर्ण कार्डियक सर्जरी की। इसे बेंटाल विद हेमी आर्च कहा जाता है। एम्स में यह सर्जरी पहली बार की गई है। अमेरिकन हॉर्ट एसोसिएशन के एक शोध के मुताबिक तीन से पांच हजार बच्चों में से एक को यह बीमारी जन्मजात होने की संभावना होती है। मोर्फान सिंड्रोम के 60 से 80 प्रतिशत रोगियों को इस प्रकार की समस्या होने पर तुरंत सर्जरी की आवश्यकता होती है।
रोगी की ऑपरेशन पूर्व जांच में डॉ. सत्यजीत, डॉ. सुरेंद्र नायक और प्रो. नरेंद्र बोधे भी शामिल थे। ड़ॉ. अनिल, डॉ. संदीप, डॉ. अखिलेश, डॉ. गासपर, डॉ. मनीष, डॉ. अर्पित, डॉ. अमृतांश के साथ ओटी, वार्ड और ओपीडी के कर्मचारियों ने भी इस सर्जरी में अहम योगदान दिया।
दोनों रोगियों को पांच दिन तक आईसीयू और उसके बाद पांच दिन तक वार्ड में चिकित्सकों की गहन निगरानी में रखा गया। इसके बाद पूर्णतः स्वस्थ होने के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया है। दोनों की सर्जरी आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत निःशुल्क की गई। टीम को कार्यपालक निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (सेवानिवृत्त) ने बधाई देते हुए इसी प्रकार स्वास्थ्य चुनौतियों का मिलकर हल करने पर जोर दिया है।