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THEATER; युवा रंगकर्मी के निधन पर वर्चुअल श्रद्धांजलि देने लगी थी होड़, अर्थी को कांधा देने चार लोग भी नहीं जुटे

भोपाल,  माता-पिता की मौत के बाद बुरी तरह अवसाद की चपेट में आए शहर के युवा रंगकर्मी ने हमीदिया के रैनबसेरा में गुमनामी में दम तोड़ दिया। जेब से मिली डायरी से उसकी पहचान अपूर्व शुक्ला के रूप में हुई। उसकी मौत की खबर आने के बाद इंटरनेट मीडिया पर उसके कथित चाहने वालों में इमोजी के साथ श्रद्धांजलि देने की होड़ सी लग गई, लेकिन रीयल में उसकी सजी हुई अर्थी को कांधा देने के लिए चार लोग नहीं जुट सके। अंत में साथ देने के लिए जो आगे आए, उनमें दो मुस्लिम समाज के युवा थे। लंबे समय से अपूर्व को अवसाद से बाहर निकालने का प्रयास कर रहे दोस्त कपिल ने सजल आंखों से उसे अंतिम विदाई दी।

कोहेफिजा थाना पुलिस ने बुधवार सुबह हमीदिया अस्पताल के रैन बसेरा से एक 35 वर्षीय युवक का शव बरामद किया था। तलाशी के दौरान उसकी पेंट की जेब से इलाज के कुछ पर्चों के अलावा एक डायरी बरामद हुई थी। डायरी में मिले फोन नंबर पर संपर्क करने के बाद मृतक की पहचान अपूर्व पुत्र स्व. पंकज शुक्ला के रूप में हुई। पुलिस को आसपास के लोगों से पूछताछ में पता चला कि अपूर्व करीब डेढ़ माह से रैन बसेरा में रह रहा था।

पहले मां, फिर पिता की मौत का लगा था सदमा

अपूर्व पहले पिता पंकज शुक्ला और मां इंदिरा शुक्ला के साथ जहांगीराबाद के अहीर मोहल्ला में रहता था। पंकज शुक्ला वरिष्ठ पत्रकार थे, जबकि उनकी पत्नी वकालत करती थीं। आकर्षक चेहरे के धनी अपूर्व को थियेटर का शौक था। नाटक में अपने किरदार को शिद्दत से निभाने के कारण उसे फिल्मों में भी छोटे-मोटे रोल मिल चुके थे। रंगकर्मियों में अपनी अलग पहचान बना चुके अपूर्व के जीवन को पहला धक्का तीन साल पहले तब लगा, जब उसकी मां की मौत हो गई। मां की मौत के एक साल बाद ही उसके सिर से पिता का साया भी उठ गया।

अवसाद ने बनाया नशे का शिकार

अवसाद के चलते अपूर्व नशे में डूब सा गया था। जहांगीराबाद छोड़कर वह कमला नगर क्षेत्र में रहने लगा। नशे की लत के कारण उससे लोग कतराने भी लगे थे। कैमूर, कटनी में रहने वाली उसकी मौसी प्रतिभा मिश्रा ने उसे अपने साथ चलने को भी बोला, लेकिन वह नहीं माना था। बुधवार को अपूर्व की मौत के बाद उसे इंटरनेट मीडिया पर कई प्रबुद्ध लोगों ने श्रद्धांजलि दी। गुरुवार को जब उसके अंतिम संस्कार का समय आया तो अर्थी सजाने के लिए बुजुर्ग चाचा डा. अमिताभ शुक्ला, मौसा और जिगरी दोस्त कपिल तुलसानी ही मौजूद थे। मौसा और चाचा काफी बुजुर्ग थे। इस वजह से कपिल के साथ दो मुस्लिम युवाओं व एक अन्य ने अर्थी का कांधा दिया। अपूर्व के शव को मुखाग्नि उसके मौसा ने दी।

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