GST;’मेहा भूल गेहॉव रास्ता- सब चीज होगे सस्ता’, गरीबों को दिवाली के तोहफे कैसे?

रायपुर, ‘मेहा भूल गेहॉव रास्ता- सब चीज होगे सस्ता’ को चरितार्थ करते हुए जीएसटी 18 और 5 प्रतिशत होने के बाद जो चीजों का दर कम हुआ है उनसे गरीब आवाम को किसी प्रकार का कोई राहत मिल गया कहना एकदम बेमानी ही लगता है। अब कम दर में मिलने वाली चीज की लिस्ट ही देख लीजिए पनीर, आचार, बिस्किट, चाकलेट, सिलाई मशीन, थर्मो मीटर ,ट्रेक्टर, एसी, चश्मा, वाशिंग मशीन, कीटनाशक, ग्लूकोमीटर, मोटर सायकल, थ्री वीलर, डीजल कार, पान मशाला। अब सोचने वाली बात यह है कि क्या गरीब लोगों की ये इस्तेमाल होने वाली चीज वास्तव में है। कहना समझ से परे ही लगता है ।
दिन भर में चार से पांच सौ रुपया कमाने वाले गरीब इंसान का जीवन इन्हीं सब चीज में निर्भर करती है। काश चावल दाल नमक मिर्च पर फोकस किया जाता। सब्जी- भाजी जो रोजमर्रा की चीज है उसमें फर्क ही क्या पड़ा है। आज भी दाल 180 रुपया और चावल 70 से 80 रुपया किलो बिक रहा है। अगर सरकार को कम ही करना था तो पेट्रोल और डीजल को जीएसटी की श्रेणी में लाकर 18 प्रतिशत में रख देना था ताकि ट्रांसपोर्टिंग में आने वाले कमी से कुछ राहत मिलता।
अब गरीब के बच्चे को पिज्जा बिस्किट से क्या लेना देना है। उनको तो अंगाकर रोटी उनके मां बाप खिलाने से ही पेट भरता है। रही बात आचार के सस्ता होने की बात तो गरीब लोग दुकान से आचार कभी खरीदना ही नहीं चाहते। उनको तो अपने घर में बनाए गए आचार की स्वाद ही अमृत लगता है। अब इनको पान मशाला से क्या लेना देना है। जब वह पान खाते ही नहीं है। सरकार की मादक पदार्थों में कीमत बढ़ाना यानि 40 प्रतिशत जीएसटी लगाना सराहनीय कदम है। गुटका, सिगरेट ,बीड़ी, शराब को महंगा करने से कुछ गरीब इन सब से अलविदा जरूर कर सकते है ताकि स्वास्थ्य में कुछ तो सुधार आने की उम्मीद जरूर बन सकता है जिसमें भी कम हुआ है वह भी किसी में 2 रुपया, किसी में 5 रुपया। अधिकतम वस्तुएं जिसे गरीब आज भी इस्तेमाल नहीं कर पाएगा तो इसे प्रधानमंत्री द्वारा गरीबों को दिवाली के तोहफे कैसे माना जा सकता है।